100+ Mausam Shayari is a captivating collection of poetic verses that beautifully encapsulate the essence of different seasons and their impact on emotions. From the enchanting beauty of spring’s blossoms to the warmth of summer’s embrace, from the melancholy of autumn’s falling leaves to the cozy charm of winter’s snow, each Shayari paints vivid imagery of nature’s ever-changing moods. The poems reflect on how these seasons mirror the human experience, influencing feelings of joy, nostalgia, love, and even longing. Through evocative language and soul-stirring metaphors, these Shayaris transport readers on a lyrical journey through the passage of time and the eternal dance between nature and the human heart.
Whether seeking to celebrate the joys of a particular season or finding solace in the familiarity of changing landscapes, this collection offers a poetic exploration of the profound connection between mankind and the ever-shifting Mausam.
Mausam Shayari
कम से कम अपनी जुल्फे तो बाँध लिया करो।
कमबख्त. बेवजह मौसम बदल दिया करते हैं।।
सुहाने मौसम में दिल भी कहीं भटक जाता है
उस गली में ही कहि फिर से दिल अटक जाता है
सतरंगी अरमानों वाले,
सपने दिल में पलते हैं,
आशा और निराशा की,
धुन में रोज मचलते हैं,
बरस-बरस के सावन सोंचे,
प्यास मिटाई दुनिया की,
वो क्या जाने दीवाने तो
सावन में ही जलते है।
जब तुम यूँ मुस्कुराते हुए आते हो,
तो संग मौसम बाहर का लाते हो.l
कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं?
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ? “मौसम” की या “अपनों” की!
सुहाना मौसम भी बिगड़ जाता है
आँधियों के चलने से
धोखेबाज भी बदल जाते है
धोखेबाजियों के चलने से
तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद,
काले स्याह बादल ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझे।
विचार हो जैसा वैसा मंजर होता है,
मौसम तो इंसान के अंदर होता है.
रुका हुआ है अज़ब धुप छाँव का मौसम,
गुज़र रहा है कोई दिल से बादलों की तरह..!!
जो आना चाहो हज़ारों रास्ते
न आना चाहो तो हज़ारों बहाने।
मिज़ाज-ऐ-बरहम , मुश्किल रास्ता
बरसती बारिश और ख़राब मौसम।।
अरे इतना भी मत सताओ
मौसम सुहाना है……
थोड़े नखरे कम करो
दूर क्यूँ हो ,थोड़ा पास आजाओ।
कुछ तो हवा भी सर्द थी
कुछ था तेरा ख़याल भी,
दिल को ख़ुशी के साथ साथ
होता रहा मलाल भी।
मौसम का मिजाज समझ में नही आता है,
यह भी इंसानों की तरह बेवफा हो जाता है.
अपने किरदार को मौसम से बचाए रखना !
लौट कर फूलों में वापस नहीं आती खुशबू.”
लुत्फ़ जो उस के इंतज़ार में है।
वो कहाँ मौसम-ए-बहार में है।।
जमाने भर का गम अपने कंधो पर उठा रखा है
नज़रों का कहर दिल में दबा रखा है
अपने मौसम को तो तूने सुहाना बना रखा है
हमारे मौसम को धुंए में जला रखा है
कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आए,
और कुछ मेरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी।
आज मौसम ने मूड सुहावना बना रखा है
चलो अंदर चलते है बेफ़िजूली बातों में क्या रखा है
इश्क़ में सुहाना लगता है हर मौसम,
हर मौसम टूटे दिल को देता है सिर्फ़ गम.
बरसती बारिशों से बस इतना ही कहना है
के इस तरह का मौसम मेरे अंदर भी रहता है
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे।
मैं शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे।।
नीचे गिरे पत्ते भी सुख जाया करते है
सर्दी के मौसम में जोड़े भी रूठ जाया करते है
ये मौसम कितना प्यार है,
खूबसूरत कितना यह नजारा है,
इश्क़ करने का गुनाह हमारा है,
मेरे सीने में धड़कता दिल तुम्हारा है.
काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड,
और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह..!
यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते,
बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते।
जो आने वाले हैं मौसम उनका एहतराम करो,
जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते।।
बेईमान मौसम से पूछो कुछ हरकत कर रहा है
बताता नहीं क्या ……
ये मेरे हमसफर से डर रहा है
सुहाने मौसम से मैं आज भी डरता हूँ,
उसे भूलने की कोशिश आज भी करता हूँ.
जैसा मूड़ हो वैसा मंजर होता है..
मौसम तो इंसान के अंदर होता है…
आज है वो बहार का मौसम,
फूल तोड़ूँ तो हाथ जाम आए।।
इस सर्दी के मौसम ने भी बोहोत सताया है
फिर तेरी यादों ने भी नींदो से हमें जगाया है
ठन्डे मौसम में भी हमे जोरों से रुलाया है
अकेलेपन से मुझे मेरे मित्रों ने ही तो बचाया है
आ देख मेरी आँखों के, ये भीगे हुए मौसम,
ये किसने कह दिया कि तुम्हें भूल गये हम.
बलखाने दे अपनी जुल्फों को हवाओं में,
जूड़े बांधकर तू मौसम को परेशां न कर.
मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा,
हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा।।
भूली यादों को याद कर के आज रोया हूँ
भूले जख्मो को आज फिर से म भिगोया हूँ
तभी ठंडी के मौसम में भी लंबी चदर को तान सोया हूँ।
टूटे दिल से मत पूछों कौन-सा मौसम अच्छा लगता है,
जब वो साथ होता है तो हर मौसम अच्छा लगता है.
सुहाने से मौसम में, रूहानी सी बात कह गई,
उससे प्यार नही करना था, मगर प्यार हो गई.
तुम मौसम की तरह बदल रही हो,,
मैं फसल की तरह बरबाद हो रहा हूँ..!!
कुछ आपका अंदाज है कुछ मौसम रंगीन है,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ, जुर्म दोनो संगीन है।।
दिसंबर में मौसम भी कति प्यारा होता है
होता ठंडा है मगर
फिर भी सबका दुलारा होता है।
मौसम गए सुकून गया ज़िन्दगी गई
दीवानगी की आग में क्या-क्या गया न पूछ।।
इस ठंडे मौसम की बाहर बन कर
ठंडी में भी गर्मी की फुहार बनकर
शुर मय जीवन में छनकार बनकर
तेरी मोहोब्बत में फसा हूँ
एक लाचार बनकर।