Humsafar Shayari in Hindi | हमसफर शायरी और स्टेटस : Take a poetic trip honoring friendship with our selection of more than 100+ Humsafar Shayari. These lines eloquently capture the happiness, comprehension, and bond that companions experience together on life’s journey. Discover the complexity of relationships, the support through highs and lows, and the enchantment of meeting your soul match via poignant words. Regardless of your romantic status or the relationships you hold dear, our Shayari offers an area to pay tribute to the profound significance of ‘humsafar’. Come celebrate with us the beauty of friendship as it is expressed through poetry.
Humsafar Shayari
हमारी तो सिर्फ एक ही ख्वाहिश हैं,
हर जन्म मेरे हमसफर तुम ही बनों !!
चेहरे पर तेरे सिर्फ मेरा ही नूर होगा उसके,
बाद फिर तू ना कभी मुझसे दूर होगा जरा,
सोच के तो देख क्या ख़ुशी मिलेगी जिस,
पल तेरी मांग में मेरे नाम का सिंदूर होगा !
आगे सफर था और पीछे हमसफर था रुकते तो,
सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छुट जाता !
हमसफ़र साथ हो तो बुढ़ापे में भी,
खूबसूरती झलकती है !!
आप जैसा हँसी हमसफर हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन हैं !!
राह भी तुम हो राहत भी तुम ही हो,
मेरे सुख और दुख को बांटने वाली,
हमसफर भी तुम ही हो !
एक ही मंजिल है उनकी एक ही है रास्ता,
क्या सबब फिर हमसफ़र से हमसफ़र लड़ने लगे !
जिंदगी की राहो में मिलेंगे तुम्हें हजारों हमसफर,
लेकिन उम्र भर भूल ना पाओगे वह मुलाकात हूँ मैं !
मेरा सफ़र अच्छा है लेकिन मेरा,
हमसफर उससे भी अच्छा है !
सामने मंजिल थी और पीछे उसका वजूद,
क्या करते हम भी यारों,
रुकते तो सफर रह जाता चले तो हमसफर रह जाता !
रहे जिंदगी में यह कहानी सभी की है,
हमराज कोई और है हमसफर कोई और है !
ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती,
मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती,
कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता,
मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती !
राह-ए-वफ़ा में कोई हमसफर जरूरी है,
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है,
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफ़िल है !
मेरी हर खुशी हर बात तेरी हैं साँसों,
में छुपी ये हयात तेरी हैं दो पल भी,
नहीं रह सकते तेरे बिन धडकनों की,
धडकती हर आवाज तेरी है !!
बातें तो हर कोई समझ लेता है,
हमसफर ऐसा हो जो खामोशी भी समझे !
रौनक आ गई है मेरे जीवन में यहां वहां,
तुम सा हमसफ़र होगा कहाँ ।
यूँ तो बहुत हैं अपने मगर अपनों सी,
किसी में वो बात नहीं हम सफ़र में तो हैं जिंदगी के,
लेकिन हमसफ़र कोई साथ नहीं !!
एक हमसफर को दूसरे की कद्र करनी चाहिए !
क्योंकि यही प्यार का आधार होता है !!
उल्फत में अक्सर ऐसा होता है,
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है,
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी,
हमसफर उनका कोई और होता है !
आप जैसा हँसी हमसफर हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन है !
मेरे बाद किसी और को हमसफर बनाकर देख लेना,
तेरी ही धड़कन कहेगी कि उसकी वफा में,
कुछ और ही बात थी !
बिन कहे ही तूने मुझे सब कुछ दे दिया है,
आंखों से आंसू और दिल से सारा दर्द ले लिया है !
हमारी तो सिर्फ एक ही ख्वाहिश है,
हर जन्म मेरे हमसफर तुम ही बनो !
बातें तो हर कोई समझ लेता है,
हमसफर ऐसा हो जो खामोशी भी समझ ले !
हमसफर खूबसूरत हो या ना हो,
लेकिन सच्चा होना चाहिए !
हमारी तो सिर्फ एक ही ख्वाहिश हैं,
हर जन्म मेरे हमसफर तुम ही बनों !!
चेहरे पर तेरे सिर्फ मेरा ही नूर होगा उसके,
बाद फिर तू ना कभी मुझसे दूर होगा जरा,
सोच के तो देख क्या ख़ुशी मिलेगी जिस,
पल तेरी मांग में मेरे नाम का सिंदूर होगा !
आगे सफर था और पीछे हमसफर था रुकते तो,
सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छुट जाता !
हमसफ़र साथ हो तो बुढ़ापे में भी,
खूबसूरती झलकती है !!
आप जैसा हँसी हमसफर हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन हैं !!
राह भी तुम हो राहत भी तुम ही हो,
मेरे सुख और दुख को बांटने वाली,
हमसफर भी तुम ही हो !
एक ही मंजिल है उनकी एक ही है रास्ता,
क्या सबब फिर हमसफर से हमसफर लड़ने लगे !
तू जब पास होता है दिल की धडकन बढ़ जाती है,
हमसफर बनकर तूने हमें जिंदगी को नया रंग दिया है !
जिंदगी की राहो में मिलेंगे तुम्हें हजारों हमसफर,
लेकिन उम्र भर भूल ना पाओगे वह मुलाकात हूँ मैं !
मेरा सफ़र अच्छा है लेकिन मेरा,
हमसफर उससे भी अच्छा है !
सामने मंजिल थी और पीछे उसका वजूद,
क्या करते हम भी यारों,
रुकते तो सफर रह जाता चले तो हमसफर रह जाता !
रहे जिंदगी में यह कहानी सभी की है,
हमराज कोई और है हमसफर कोई और है !!
ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती,
मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती,
कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता,
मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती !
राह-ए-वफ़ा में कोई हमसफर जरूरी है,
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है,
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफ़िल है !
मेरी हर खुशी हर बात तेरी हैं साँसों,
में छुपी ये हयात तेरी हैं दो पल भी,
नहीं रह सकते तेरे बिन धडकनों की,
धडकती हर आवाज तेरी है !!
बातें तो हर कोई समझ लेता है,
हमसफर ऐसा हो जो खामोशी भी समझे !
रौनक आ गई है मेरे जीवन में यहां वहां,
तुम सा हमसफ़र होगा कहाँ ।
यूँ तो बहुत हैं अपने मगर अपनों सी,
किसी में वो बात नहीं हम सफ़र में तो हैं जिंदगी के,
लेकिन हमसफ़र कोई साथ नहीं !!
आप जैसा हँसी हमसफर हो अगर,
जा रहे हैं कहाँ सोचता कौन है !
Latest Humsafar Quotes
मेरे बाद किसी और को हमसफर बनाकर देख लेना,
तेरी ही धड़कन कहेगी कि उसकी वफा में,
कुछ और ही बात थी !
एक हमसफर को दूसरे की कद्र करनी चाहिए !
क्योंकि यही प्यार का आधार होता है !!
उल्फत में अक्सर ऐसा होता है,
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है,
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी,
हमसफर उनका कोई और होता है !
बिन कहे ही तूने मुझे सब कुछ दे दिया है,
आंखों से आंसू और दिल से सारा दर्द ले लिया है !
हमारी तो सिर्फ एक ही ख्वाहिश है,
हर जन्म मेरे हमसफर तुम ही बनो !
बातें तो हर कोई समझ लेता है,
हमसफर ऐसा हो जो खामोशी भी समझ ले !
हमसफर खूबसूरत हो या ना हो,
लेकिन सच्चा होना चाहिए !
शाम आई तो बिछुड़े हुए हमसफर,
आंसुओं से इन आंखों में आने लगे,
आंखें मंजर हुई काम नग़्मा हुए
घर के अन्दाज ही घर से जाते रहे !
जब साथ हो तुम हमसफर के रूप में,
तुम्हारे साथ चलने को तैयार है कड़ी धूप में !
राह भी तुम हो राहत भी तुम ही हो,
मेरे सुख और दुख को बांटने वाली,
हमसफर भी तुम ही हो !
शाम आयी तो बिछड़े हुए हमसफर,
आंसुओं से इन आंखों में आके रहे,
हर मुसाफिर है तन्हा-तन्हा क्यों,
एक-एक हमसफर से पूछते हैं !
कितनी खूबसूरत सी,
लगने लगती है जिंदगी,
जब कोई तुम्हारे पास आके,
घुटनों के बल तुमसे पूछे,
क्या तुम मुझसे शादी करोगी !
सामने मंजिल थी और पीछे उसका वजूद,
क्या करते हम भी यारों रुकते तो सफर रह,
जाता चले तो हमसफर रह जाता !
जिंदगी की सफर में समंदर का किनारा मिला
भटक गए थे जो रास्ता
ओ हमसफर के सहारे मिला ।
नई है जिंदगी नई है रास्ते
दर-दर भटक रही थी मैं
ना दिखी कोई मंजिल ना दिखी रास्ते
अनजाने में हम सफर मिले
मिल गई जिंदगी की पुराने रास्ते ।
इस जीवन से अनजान थी मैं
जिंदगी क्या है नादान थी मैं
हमसफर के सहारे
मंजिल और मुकाम भी मैं।
जिंदगी की बिरान बागिया में
दूब भी ना उगी थी
हमसफर से मिलाने के बाद
जिंदगी की बिरान बगिया में
नई कलियां खिल गई थी ।
मासूम भरी जिंदगी कैसे संवारू
बस मुझे जीना आता है
जिंदगी क्या है मुझे हमसफर ही सिखाता ।
कोई तुम्हारा सफ़र पर गया तो पूछेंगे
रेल देख के हम हाथ क्यों हिलाते हैं
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
फूल से लेकर ये धनिया लाने तक के इस सफ़र को
मुझको तेरे साथ ही तय करने की ख़्वाहिश है पगली
सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा
मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर
सफ़र सफ़र है मिरा इंतिज़ार मत करना
इस तरह करता है हर शख़्स सफ़र अपना ख़त्म
ख़ुद को तस्वीर में रखता है चला जाता है
किताब, फ़िल्म, सफ़र इश्क़, शायरी, औरत
कहाँ कहाँ न गया ख़ुद को ढूँढता हुआ मैं
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
अभी से पाँव के छाले न देखो
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये
ग़म-ए-हयात में यूँ ढह गया नसीब का घर
कि जैसे बाढ़ में डूबा हुआ ग़रीब का घर
अपनी हस्ती का भी इंसान को इरफ़ांन हुआ
ख़ाक फिर ख़ाक थी औक़ात से आगे न बढ़ी
कभी तो कोसते होंगे सफ़र को
कभी जब याद करते होंगे घर को
सितारे और क़िस्मत देख कर घर से निकलते हैं
जो बुज़दिल हैं मुहूरत देखकर घर से निकलते हैं
सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
सिवा इसके कुछ अच्छा ही नहीं लगता है शामों में
सफ़र कैसा भी हो घर को परिंदे लौट जाते हैं
एक मुद्दत से हैं सफ़र में हम
घर में रह कर भी जैसे बेघर से
वो अजब शख़्स था हर हाल में ख़ुश रहता था
उस ने ता-उम्र किया हँस के सफ़र बारिश में
सफ़र शुरू तो होने दे अपने साथ मेरा
तू ख़ुद कहेगा ये कैसी बला के साथ हूँ मैं
सारे दुख सो जाएँगे लेकिन इक ऐसा ग़म भी है
जो मिरे बिस्तर पे सदियों का सफ़र रख जाएगा
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
हम-सफ़र हो तो कोई अपना-सा
चाँद के साथ चलोगे कब तक
तुम हम-सफ़र हुए तो हुई ज़िंदगी अज़ीज़
मुझ में तो ज़िंदगी का कोई हौसला न था
तुम हम-सफ़र हुए तो हुई ज़िंदगी अज़ीज़
मुझ में तो ज़िंदगी का कोई हौसला न था
वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी
कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी
हम-सफ़र वो जो हम-सफ़र ही न था
और फिर कर लीं दूरियाँ मैं ने
मैं तन्हाई को अपना हम-सफ़र क्या मान बैठा
मुझे लगता है मेरे साथ दुनिया चल रही है
हम-सफ़र रह गए बहुत पीछे
आओ कुछ देर को ठहर जाएँ
उस को नए सफ़र में नए हम-सफ़र के साथ
दिल ख़ुश हुआ है क्यों ये ज़िया देखते हुए
क़यामत है कि होवे मुद्दई का हम-सफ़र ‘ग़ालिब’
वो काफ़िर जो ख़ुदा को भी न सौंपा जाए है मुझ से
ये हम-सफ़र तो सभी अजनबी से लगते हैं
मैं जिस के साथ चला था वो क़ाफ़िला है कहाँ
सफीर-ए-इश्क़ हमें अब तो हम सफ़र कर लो
हमारे पास तो सामान भी ज़ियादा नहीं
कैसा अजीब वक़्त है कोई भी हम-सफ़र नहीं
धूप भी मो’तबर नहीं साया भी मो’तबर नहीं
हमें ख़बर है कोई हम-सफ़र न था फिर भी
यक़ीं की मंज़िलें तय कीं गुमाँ के होते हुए
मुझे ये क्या पड़ी है कौन मेरा हम-सफ़र होगा
हवा के साथ गाता हूँ नदी के साथ चलता हूँ
बिछड़े मुझ से इस तरह वो ज़िंदगी के हम-सफ़र
बुझ गए हों जलते जलते जैसे रस्ते के चराग़
शौक़-ए-मंज़िल हम-सफ़र है जज़्बा-ए-दिल राहबर
मुझ पे ख़ुद भी खुल नहीं पाता किधर जाता हूँ मैं
मिरे हम-सफ़र मिरी जान-ए-जाँ कहूँ और क्या
तिरी क़ुर्बतों में हैं दूरियाँ कहूँ और क्या
हाँ ऐ गुबार-ए-आश्ना मैं भी था हम-सफ़र तिरा
पी गईं मंज़िलें तुझे खा गए रास्ते मुझे
रह-ए-हयात में लाखों थे हम-सफ़र ‘एजाज़’
किसी को याद रखा और किसी को भूल गए
अकेला हूँ मैं हम-सफ़र ढूँढता हूँ
मोहब्बत की मैं रहगुज़र ढूँढता हूँ
क़यामत है कि होवे मुद्दई का हम-सफ़र ‘ग़ालिब’
वो काफ़िर जो ख़ुदा को भी न सौंपा जाए है मुझ से
वक़्त की धूप तेज़ होती है
हम-सफ़र हो तो राह कट जाए