100+ New Wife Shayari 2 Line

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Wife Shayari in Hindi

सिर्फ कुछ ही महीनो में
उनको हमारी आदत हो गयी,
लगता हैं शादी के कुछ ही दिनों में
उन्हें हमसे मोहब्बत हो गयी।

आपके साथ बिताया गया हर
लम्हा खास लगता है,
आपके साथ सुबह की शुरआत
करना अच्छा लगता है।

आपका साथ जब से हमने पाया है,
खुद को बेहद खुशनसीब पाया है।

कैसे कहूँ इश्क भी तुम हो
और जूनूँ भी तुम ही हो,
अब जब अहसास तुम हो
तो जिंदगी भी तुम ही हो।

Wife Shayari

जैसा मांगा उपरवाले से,
वैसा तेरे जैसा यार मिला,
कुछ और नहीं ख़्वाहिश मेरी,
तेरा जो इतना प्यार मिला।

मैं कैसे समझाऊं की आप मेरे क्या हो,
आप ही मेरी जमीन और आसमान हो।

मेरी हर खुशी तुम पर कुर्बान,
मेरे हर ख्वाब तुम पर कुर्बान,
तुम्हारे लिए तो मेरी
ये जान भी कुर्बान।

हर वक़्त मुस्कुराना
आपकी फितरत में है,
और ये मुस्कुराहट बनाये
रखना हमारी किस्मत में है।

जब वो इश्क़ करते हैं,
‌हर पल अच्छा सा लगता हैं,
‌शरारतें कुछ होती हैं,
‌और प्यार भी सच्चा सा लगता है।

सुबह की चाय तभी अच्छी लगती है,
जब उस पल में आपका साथ हो।

मेरे बीमार दिल का इलाज हो तुम,
मेरी हर ख़ुशी का एहसास हो तुम।

साथ देना मेरा तुम हर एक मोड़ पर,
तुम्हारे बिन मेरा सब कुछ अधूरा है।

मेरी ज़िंदगी की कहानी
तेरी हकीकत बन गई है,
साथ मिला जबसे तेरा,
मेरी किस्मत बदल गई है।

सुबह का सवेरा आपके साथ हो,
हर पल आपका खास हो,
दिल से बस यही दुआ है क
हर लम्हा आपका साथ हो।

कुछ और मुझे अब खुदा से नहीं चाहिए,
आप मिले मेरी जिंदगी मुझे मिल गई।

तुम जैसा न कोई है,
नहीं कोई हो पायेगा.
जो प्यार है हमें तुमसे,
वो किसी और से न हो पाएगा।

Beautiful Lines for Wife

तू हर चीज़ मांग ले मुझसे,
तुझपर सब कुर्बान है,
बस एक जान मत माँगना,
क्यूंकि तू ही तो मेरी जान है।

Wife Shayari

उसकी बस एक झलक ही काफी हैं,
मेरी होंठो की हसी के लिए।

तुम चाय जैसी मोहब्बत करो,
मैं बिस्कुट जैसे डूब न जाओं तो कहना।

इस दिल मे ख्याल जब भी तेरा आया,
खूदा कसम सिर्फ तेरा वो चांद सा
मुस्कुराता चेहरा नजर आया।

अब से रातें तेरी दिन मेरा होगा,
अब से हर दिन नया सवेरा होगा।

हाँ है उनसे मोहब्बत,
ये उम्र का तकाजा तो नहीं,
हम यूं ही उन पर मर मिटे,
कहीं ये असर ज्यादा तो नहीं।

सदा तेरे मासूम से चेहरे पर
प्यारी सी मुस्कान हों,
कोई हो ना हो बस
दुआओं में तेरा नाम हों।

तेरे चेहरे की हसीं,
मेरे दिल का सुकून है।

कुछ इस तरह तेरी
आगोश में खो गए,
जैसे दो जिस्म एक जान हो गए।

खो कर तुझमें खुद को पा लिया,
सागर से मैंने मोती चुरा लिया।

Wife Shayari

करने दो शरारत
मुझे अपनी अल्फाज़ो से,
डूब जाने दो
मुझे तुम अपनी बाहों मे।

चाहे उम्र भर सताना मुझे,
लेकिन कभी छोड़
कर मत जाना मुझे।

लड़ते भी तुमसे है,
मरते भी तुम पर है।

खुशी दे या गम बस दिया कर,
तेरी दी हुई हर चीज अच्छी लगती है।

आ तेरे दिल के अँधेरों में
मैं उजाला कर दूँ,
बसा लूँ तुझे अपनी साँसों में
और खुद को फ़ना कर दूँ।

तुम्हें पाते ही
ख़ुद को खो बैठता हूँ,
पर नज़रें मिलते ही,
हम मिल जाते हैं।l

इतनी जल्दी ना कर मनाने की,
रूठ जाने पर भी हम तेरे ही हैं।

बस मेरी एक ही दुआ है,
मेरे रब से मुझे जितनी भी
ज़िंदगी दे मेरे हमसफ़र के साथ दे।

Wife Shayari

लफ्ज़ो में बयां नहीं कर सकता
मै उसकी चाहत को,
मेरी आँखों में देख लो,
मेरी मोहब्बत बेशुमार है।

पति पत्नी में कोई रूठे तो
इक दूजे को मना लो,
दिल में उठे मोहब्बत के
अरमान तो खुलकर बता दो।

मुश्किलें तमाम हो
पर साथ तेरा हो,
गिरू अगर तो
संभाले मुझे वो हाथ तेरा हो।

आपको सताना अच्छा लगता है,
आपको मनाना अच्छा लगता है,
हर लम्हा आपको अपनी
याद दिलाना अच्छा लगता है।

कितने रोमांचक होते थे वो पल,
जब संग होते थे हम और तुम।

Wife Shayari

आपका साथ हम कुछ
इस तरह निभाएंगे,
आपके बुढ़ापे मे हर कदम पर
आपका साथ निभाएंगे।

मुझे इक बात कहनी थी अगर मुझ को इज़ाज़त हो
तुम्हीं मेरी मुहब्बत हो मुहब्बत हो मुहब्बत हो

इश्क़ में ख़ुदकुशी नहीं करते
इश्क़ में इंतिज़ार करते हैं

कभी कभी तो झगड़ने का जी भी चाहेगा
मगर ये जंग मोहब्बत से जीती जाएगी

कुछ न मैं समझा जुनून ओ इश्क़ में
देर नासेह मुझ को समझाता रहा

यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें

भले ही प्यार हो या हिज्र हो या फिर सियासत हो
कुछ ऐसे दोस्त थे हर बात पर अशआर कहते थे

लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं
इश्क़ में इतना ख़सारा है तो घर जाते हैं

मकीन-ए-दिल को ख़ानुमा-ख़राबियों से इश्क़ था
क़याम ढूँढता रहा तुम्हारी छत के बाद भी

Wife Shayari

हमारे बाद तेरे इश्क़ में नए लड़के
बदन तो चूमेंगे ज़ुल्फ़ें नहीं सँवारेंगे

जहाँ कोई गणित चलता नहीं है
उसी का नाम ही तो है मोहब्बत

अकेलेपन से कहाँ तालमेल होता है
खिलाड़ी इश्क में दो हों तो खेल होता है

मैं इसलिए भी तिरे वस्ल से झिझकता हूँ
कहीं फिर इश्क़ मेरा रायगाँ न हो जाए

जी नहीं भरता कभी इक बार में
इश्क़ हम ने भी दोबारा कर लिया

हमें इस मिट्टी से कुछ यूँ मुहब्बत है
यहीं पे निकले दम दिल की ये हसरत है

इश्क़ हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं
सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद पे इजारा तो नहीं

कहीं जब प्यार की बातें चलेंगी
तुम्हें तब तब कमी मेरी खलेगी

मुहब्बत में हमने सियासत न की
तभी इश्क़ में कोई बरकत न की

प्यार की रात हो छत पर हो तेरा साथ तो फ़िर
चाँद को बीच में डाला नहीं जाता मुझसे

इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है

वफ़ा का ज़ोर अगर बाज़ुओं में आ जाये
चराग़ उड़ता हुआ जुगनुओं में आ जाये

नताएज जब सर-ए-महशर मिलेंगे
मोहब्बत के अलग नंबर मिलेंगे

इस मरज़ से कोई बचा भी है
चारागर इश्क़ की दवा भी है

बरस रही है आँखें हैं ये इनको बादल मत कहना
मौत हुई है दिल की मेरे उसको घायल मत कहना

मोहब्बत तो तुम्हें करनी नहीं थी
मेरे अंदर का बच्चा मारना था

मुहब्बत में जो माथा चूम कर वादा किया उसने
उसे भी आम बातों का ही दर्जा दे दिया उसने

हम मुहब्बत में किसी के वास्ते
जी नहीं सकते तो मर तो सकते हैं

अगर उस ने बुलाया है चलो फिर
मोहब्बत को करो ज़िंदा उठो फिर

सच बताओ कि सच यही है क्या
साँस लेना ही ज़िंदगी है क्या

दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती
इतनी ख़ूबसूरत ये ज़िंदगी नहीं होती

हिज्र में इश्क़ यूँ रखा आबाद
हिचकियाँ तन्हा तन्हा लेते रहे

इश्क़ तू ने बड़ा नुक़सान किया है मेरा
मैं तो उस शख़्स से नफ़रत भी नहीं कर सकता

देखो तुम ने इश्क़ किया है शायर से
शेर कहेगा ज़ेवर थोड़ी ला देगा

देखो तुम ने इश्क़ किया है शायर से
शेर कहेगा ज़ेवर थोड़ी ला देगा

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

दूजा इश्क़ किया तो ये मालूम हुआ
पहले वाले में भी ग़लती मेरी थी

हाय रे मजबूरियाँ, महरूमियाँ, नाकामियाँ
इश्क़ आख़िर इश्क़ है, तुम क्या करो, हम क्या करें

मेरी अक्ल-ओ-होश की सब हालतें
तुमने साँचे में जुनूँ के ढाल दी

रास्ता जब इश्क का मौज़ूद है
फिर किसी की क्यूँ इबादत कीजिये?

फ़ुर्सत नहीं मुझे कि करूँ इश्क़ फिर से अब
माज़ी की चोटों से अभी उभरा नहीं हूँ मैं

इश्क़ जिसको सभी समझते हैं
वहम है लज़्ज़त-ए-रसाई का

वफ़ा का ज़ोर अगर बाज़ुओं में आ जाये
चराग़ उड़ता हुआ जुगनुओं में आ जाये

हिज्र में इश्क़ यूँ रखा आबाद
हिचकियांँ तन्हा तन्हा लेते रहे

क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़
जान का रोग है बला है इश्क़

इश्क़ की इक रंगीन सदा पर बरसे रंग
रंग हो मजनूँ और लैला पर बरसे रंग

इश्क़ हमारा चाँद सितारे छू लेगा
घुटनों पर आकर इज़हार किया हमने

आज हम दोनों को फ़ुर्सत है, चलो इश्क़ करें
इश्क़ दोनों की ज़रूरत है, चलो इश्क़ करें

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

सर्दी और गर्मी के उज़्र नहीं चलते
मौसम देख के साहब इश्क़ नहीं होता

तोहफ़ा, फूल, शिकायत, कुछ तो लेकर जा
इश्क़ से मिलने ख़ाली हाथ नहीं जाते

मसअला ये नहीं कि इश्क़ हुआ है हम को
मसअला ये है कि इज़हार किया जाना है

इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था ‘शेफ़्ता’
ये क्या किया कि दोस्त को दुश्मन बना दिया

वो भी क्या दिन थे कि जब इश्क़ किया करते थे
हम जिसे चाहते थे चूम लिया करते थे

अगर है इश्क़ सच्चा तो निगाहों से बयाँ होगा
ज़बाँ से बोलना भी क्या कोई इज़हार होता है

वादा करो कि हाथ छुड़ाकर न जाओगे
वादा करो कि सात जनम तक रहेगा इश्क़

न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है

ये इश्क़ आग है और वो बदन शरारा है
ये सर्द बर्फ़ सा लड़का पिघलने वाला है

तू तो वाक़िफ़ है रिवाज़-ए-ग़म से इसके
इश्क़ तो तेरा भी ये पहला नहीं है

अकेलेपन से कहाँ तालमेल होता है
खिलाड़ी इश्क में दो हों तो खेल होता है

हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे
कि तुम को पहली मोहब्बत की बद्दुआ न लगे

इक और इश्क़ की नहीं फुर्सत मुझे सनम
और हो भी अब अगर तो मेरा मन नहीं बचा

ऐसे असमंजस में मत डालो मुझे तुम मेरी जान
ठीक से सोचो समझ लो इश्क़ सा है इश्क़ है

ये यक़ीं है की मेरी उल्फ़त का
होगा उन पर असर कभी न कभी

Wife Shayari

गर सज़ा में उम्र भर की बा-मशक़्क़त क़ैद है
जुर्म भी फिर इश्क़ सा संगीन होना चाहिए

इश्क़ पहले बना था जाने जाँ
नींद की गोलियाँ बनीं थीं फिर

ज़िन्दगी से ऐसे काटा सीन उसने इश्क़ का
देखता है कोई जैसे फ़िल्म गाने काट कर

इश्क़ मेरी ज़ुबान से निकला
और मैं ख़ानदान से निकला

बाक़ी सारे काम भुलाकर इश्क़ किया
सुबह से लेकर शाम बराबर इश्क़ किया

इश्क़ हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं
सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद पे इजारा तो नहीं

इश्क़ को पूछता नहीं कोई
हुस्न का एहतिराम होता है

हुआ जो इश्क़ तो वो रोज़ ओ शब को भूल गए
वो अपने इश्क़ ए नुमाइश में सब को भूल गए

है दुआ जल्दी जन्नत अता हो तुझे
तू मेरे इश्क़ का इश्क़ है ऐ रक़ीब

तुम्हारी इक झलक से रंग उल्फत के उड़ाए हैं
नज़ारों की नज़ाकत को ज़रा देखो मेरी जानाँ

यार इक बार परिंदों को हुकूमत दे दो
ये किसी शहर को मक़्तल नहीं होने देंगे

इश्क़ को एक उम्र चाहिए और
उम्र का कोई ए’तिबार नहीं

कब तुम्हे इश्क पे मजबूर किया है हमने
हम तो बस याद दिलाते हैं चले जाते हैं

कुछ इस लिए भी तेरी आरज़ू नहीं है मुझे
मैं चाहता हूँ मेरा इश्क़ जावेदानी हो

मैं दौड़ दौड़ के ख़ुद को पकड़ के लाता हूँ
तुम्हारे इश्क़ ने बच्चा बना दिया है मुझे

दूजा इश्क़ किया तो ये मालूम हुआ
पहले वाले में भी ग़लती मेरी थी

इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम

हुआ टुकड़े वहम जब ये कहा उसने
तुम्ही सब कुछ हो लेकिन मेरा इश्क़ नहीं

इश्क़ जिसको सभी समझते हैं
वहम है लज़्ज़त-ए-रसाई का

मैं कैसे मान लूँ कि इश्क़ बस इक बार होता है
तुझे जितनी दफ़ा देखूँ मुझे हर बार होता है

बख़्शी हैं हम को इश्क़ ने वो जुरअतें ‘मजाज़’
डरते नहीं सियासत-ए-अहल-ए-जहाँ से हम

अच्छा तो इश्क़ करना तुम ही हमें सिखा दो
जैसा कि तुम कहोगे बस हू-ब-हू करेंगे

अक़्लमंदों के बस की बात नहीं
इश्क़ अन्धों का खेल है बेटा

किसी के इश्क़ में बर्बाद होना
हमें आया नहीं फ़रहाद होना

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है
माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है

Wife Pe Shayari

मिलता नहीं जहाँ में कोई काम ढंग का
इक इश्क़ था सो वो भी कई बार कर चुके

Wife Shayari

उसके इश्क़ में बाल बढ़ाने वालों सुन लो
उसके घर वाले तो पैसा देखेंगे

अदब वाले अदब की महफ़िलें पहचान लेते हैं
उन्हें तुम प्यार से कुछ भी कहो वो मान लेते हैं

इश्क़ इक ‘मीर’ भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है

ये जो मैं होश में रहता नहीं तुमसे मिल कर
ये मिरा इश्क़ है तुम इसको नशा मत समझो

दौलतें मुद्दा बनीं या ज़ात आड़े आ गई
इश्क़ में कोई न कोई बात आड़े आ गई

अपनी कि़स्मत में ही जब इश्क़ नहीं है यारो
किसलिए अश्क-ए-लहू इश्क़ में जाया करना

हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए
इश्क़ के मग़्फ़िरत की दुआ कीजिए

शौक़ के हाथों ऐ दिल-ए-मुज़्तर क्या होना है क्या होगा
इश्क़ तो रुस्वा हो ही चुका है हुस्न भी क्या रुस्वा होगा

अक्सर ही ज़ख़्म इश्क़ में पाले हैं औरतें
पर कितने टूटे मर्द सँभाले हैं औरतें

ये भी एजाज़ मुझे इश्क़ ने बख़्शा था कभी
उस की आवाज़ से मैं दीप जला सकता था

कितना झूठा था अपना सच्चा इश्क़
हिज्र से दोनों ज़िंदा बच निकले

इश्क़ में जी को सब्र ओ ताब कहाँ
उस से आँखें लड़ीं तो ख़्वाब कहाँ

अव्वल अव्वल ईजाद हुआ इश्क़ ख़ुदा से
फिर उसके बाद इस जहां में रस्सियाँ बनी

कबूतर इश्क़ का उतरे तो कैसे?
तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है

जानती हो कि क्या हुआ है तुम्हें
इश्क़ का रोग लग गया है तुम्हें

इश्क़ कहां अब पहले वाला होता है
इश्क़ से बढ़ कर इश्क़ का चर्चा होता है

मैं इसलिए भी तिरे वस्ल से झिझकता हूँ
कहीं फिर इश्क़ मेरा रायगाँ न हो जाए

परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के
वफ़ा करने की नौबत आ गई है

हुस्न को शर्मसार करना ही
इश्क़ का इंतिक़ाम होता है

पैशन फ़ॉलो करने के इस चक्कर में,
इश्क़ हमारा काफ़ी पीछे छूट गया।

रास्ता जब इश्क का मौज़ूद है
फिर किसी की क्यूँ इबादत कीजिये?

देख कर हर कोई बेकार समझ ले मुझ को
अपनी उल्फ़त में गिरफ़्तार समझ ले मुझ को

Wife Shayari

सताना रूठ जाना और मनाना इश्क़ है लेकिन
अगर हद से ज़ियादा हो तो रिश्ते टूट जाते हैं

क्या कहा इश्क़ जावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या

बताया है किसी के इश्क़ ने हमको
कि दुनिया ख़ूबसूरत भी हो सकती है

कुछ तबीयत में उदासी भी हुआ करती है
हर कोई इश्क़ का मारा हो, ज़रूरी तो नहीं

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