“100+ Insult Shayari: Embrace the sting of words with this collection of sharp and witty shayari designed to deliver a verbal punch. These creative verses are crafted to leave an impact, challenging the recipient’s ego and wit. From sassy comebacks to cutting jibes, this assortment is not for the faint-hearted. Use them with caution, for they hold the power to both amuse and offend. Perfect for those moments when you need to defend your pride or simply revel in a playful banter of words. Remember, the best defense is often a clever offense, so choose your words wisely and let these shayaris do the talking.”
Insult Shayari
दिल की तमन्ना है कि मैं भी, अपनी पलकों पे बैठाऊँ तुझको,
बस तू अपना वजन कम करले, तो पलकों पर बिठा लूँ तुझको।
तू कहे तो चाँद तारे तोड़ दूँ,
तू कहे तो ये दुनिया छोड़ दूँ,
तू एक बार हँस के देख मेरे दोस्त,
तेरे सारे गंदें दांत तोड़ दूं.
चाँद से रोशनी ज्यादा और सितारों से कम निकले,
जब भी मैं तुझे देखूं मेरा हँस हँस के दम निकले।
इस दिल को तो एक बार को, बहला कर चुप करा लूँगा,
पर इस दिमाग का क्या करूँ, जिसका तुमने दही कर दिया है।
दुआ करते हैं हम खुदा से,
कि वो आप जैसा दोस्त और न बनाये,
एक कार्टून जैसी चीज है हमारे पास,
कहीं वो कॉमन न हो जाये।
पानी आने की बात करते हो,
दिल जलाने की बात करते हो,
चार दिन से मुंह नहीं धोया,
तुम नहाने की बात करते हो।
आसमान जितना नीला है,
सूरजमुखी जितना पीला है,
पानी जितना गीला है,
आपका स्क्रू उतना ही ढीला है।
कमाल तेरे नखरे,
कमाल का तेरा स्टाइल है,
बात करने की तमीज नहीं,
और हाथ में मोबाइल है।
तारीफ के काबिल हम कहाँ,
चर्चा तो आपकी चलती है,
सब कुछ तो है आपके पास,
बस सींग और पूंछ की कमी खलती है।
दिल की तमन्ना है कि मैं भी
अपनी पलकों पे बैठाऊं तुझको,
बस तू अपना वजन कम कर ले,
जिससे ये काम आसान लगे मुझकों.
दिल की तमन्ना है कि मैं भी
अपनी पलकों पे बैठाऊं तुझको,
बस तू अपना वजन कम कर ले,
जिससे ये काम आसान लगे मुझकों.
चाँद से रौशनी ज्यादा
और सितारों से कम निकले,
जब भी मैं तुझे देखूँ
मेरा हँस-हँस के दम निकले.
इस दिल को तो एक बार
बहला कर चुप करा लिया हैं,
पर इस दिमाग का क्या करूँ
जिसका तुमने दही बना दिया हैं.
पानी आने की बात करते हो,
दिल जलाने की बात करते हो,
चार दिन से मुहँ नही धोया,
तुम नहाने की बात करते हो.l
आसमान जितना नीला हैं,
सूरजमुखी जितना पीला हैं,
पानी जितना गीला हैं,
आपका स्क्रू उतना ही ढीला हैं.
इन्सल्ट शायरी
कमाल के तेर नखरें
कमाल का तेरा स्टाइल हैं,
बात करने की तमीज नही
और हाथ में मोबाइल हैं.
तारीफ़ के काबिल हम कहाँ,
चर्चा तो आपकी चलती हैं,
सब कुछ तो हैं आपके पास
बस सींग और पूंछ की कमी खलती हैं.
शाम होते ही ये दिल उदास होता हैं,
टूटे ख्वाबों के सिवा कुछ न पास होता हैं,
तुम्हारी याद ऐसे वक्त बहुत आती हैं,
जब कोई बंदर आस-पास होती हैं.
वो भी क्या दिन थे,
जब हम हसीनों से गले मिला करते थे,
यह उन दिनों की बात हैं,
जब हम दो साल के हुआ करते थे.
तेरे प्यार में बरसों से प्यासा हूँ सनम
इस तरह से हमने इजहार कर दिया
और उन्होंने पानी की पाइप मुंह में
डालकर मोटर चला दिया.
जी करता हैं तेरे पास आउँ,
तेरे पास आकर रूक जाउँ,
न बैठू, न बोलूँ
अब तेरी इन मदहोश आँखों में,
संतरे का छिलका निचोड़ के भाग जाउँ.
दिली तमन्ना है कि मैं भी अपनी पलकों पे बैठाऊँ तुझको,
बस तू अपना वजन कम करले, तो मेरा काम आसान हो जाए !!!
वो शख़्स जो झुक के तुमसे मिला होगा …
य़कीऩन उसका क़द तुमसे बड़ा होगा …!
ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिये,
जनाब; खर्चा बहुत होता है, मंजिलों को पाने में!
चप्पल छोटी हो जाए तो पाँव में नहीं आती;
वाह वाह! चप्पल छोटी हो जाए तो पाँव में नहीं आती;
और गर्लफ्रेंड मोटी हो जाए तो बाहों में नहीं आती।
कभी हौसला भी आजमा लेना चाहिए;
बुरे वक़्त में मुस्कुरा लेना चाहिए;
अगर सांतवे दिन भी खुजली ना मिटे तो;
आठवें दिन नहा लेना चाहिए।
कमाल तेरे नखरे, कमाल का तेरा स्टाइल है;
बात करने की तमीज नहीं, और हाथ में मोबाइल है!
तारीफ के काबिल हम कहाँ;
चर्चा तो आपकी चलती है!
सब कुछ तो है आपके पास;
बस सींग और पूंछ की कमी खलती है!
मैं झुक गया तो वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था,
वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे।।