Enter a realm of intense emotions with our captivating collection of 100+ Dushmani Shayari. These verses delve into the depths of animosity and bitterness, reflecting the complexities of human relationships. Each Shayari unveils the raw emotions that arise from conflicts, rivalries, and betrayals, portraying the darker shades of the human heart. Through poignant language and powerful imagery, these poetic expressions capture the pain and anger of being at odds with someone. Whether stemming from personal vendettas or societal divisions, these Shayaris mirror the harsh realities of enmity and its impact on the human psyche. Yet, amidst the darkness, they offer a glimpse of catharsis and release, providing an outlet for emotions that may otherwise remain unspoken.
Dushmani Shayari
ये कह कर मुझे मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए,
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए.
हम अपने से ज्यादा दुश्मनो पर नज़र रखते हे।
इसलिए तो, कब अपने दुश्मन बन जाते हे पता ही नहीं चलता।।
दुश्मनी भी आवश्यक है
जब बातें, अधिकार, चरित्र एवं सम्मान की हो।
रिश्ते में प्यार की ताक़त कुछ वक़्त बीत जाने के बाद पता चलती हे,
वरना पहली मुलाकात में तो दुश्मन भी प्यार से बाते करता हे।
जीस्म पर खरोच दे दोगे तो चलेगा
मगर आत्मसम्मान पर खरोच और
दुश्मनी बिल्कुल भी बर्दाश्त नही करूंगा
दुश्मन और सिगरेट को जलाने के बाद,
उन्हे कुचलने का मज़ा ही कुछ और होता है.l
कुछ न करने से उलझन होती हे खुद को,
और कुछ कर जाने से उलझन होती हे दुसरो को।
समय कितना भी खराब हो
मैं उधार दुश्मनी एहसान नही लेता….
तुझसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,
जो हर बात पर कहते हैं.. ‘तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.
दुश्मन प्यारा नहीं होता,
वो एक ही इंसान ऐसा होता हे,
जो हमारी कमजोरी और
हमारी ताक़त की परख रखता हे।
दुश्मनी लौट कर जरूर आएंगे
आपकी सफलता देख कर
कभी ख़ुद को मेरे प्यार में भुला कर देख,
दुश्मनी अच्छी नहीं मुझे दोस्त बना करे देख.
मेरी नाराज़गी पर हक़ मेरे अहबाब का है बस,
भला दुश्मन से भी कोई कभी नाराज़ होता है.
अब न यकीन किसी पर करीब से करेंगे,
दुःख सुख अपने किसी करीब से करेंगे,
दोस्त ही आखिर बन गए दुश्मन मेरे,
जब कभी की दोस्ती तो सीधे रक़ीब से करेंगे।
अभी तो बदला लेना बाकी है
हाँ अकेले है और अकेले ही दुश्मनी काफी है
दुश्मनी लाख सही ख़तम न कीजिये रिश्ता,
दिल मिलें या न मिलें हाथ मिलाते रहिये.
जो दिल के करीब थे वो जबसे दुश्मन हो गए
जमाने में हुए चर्चे हम मशहूर हो गए.
हिफाज़त गेरो से तो कर लेते,
लेकिन कोई अपना ही दुश्मनी पर उतर गया था,
जिसको हमसफ़र चुना था हमने,
वो अपने वादों से मुकर गया।
मेरी खोपड़ी
की झोपड़ी हिलाया न…. दुश्मन
तो तेरी हस्ती की बस्ती जला दूंगा….
मुझसे दोस्ती ना सही तो दुश्मनी भी ना करना
क्यूंकि में हर रिश्ता पूरी शिददत से निभाता हूँ .
तुमसे अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले,
हर बात पर कहते हे की,
तुझे नहीं छोड़ेंगे।
खुद नवाजे तुझे मुझसे बेहतर,
मगर तू मेरे लिए तरसे
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की हैं,
दोस्तों ने भी क्या कमी की हैं.
जगह ही नही दिल में अब दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है .
खाये हे फरेब कुछ यूँ,
अब न दोस्ती की वफ़ा समझ होगी,
न दुश्मनो की रहगुजर समझ होगी,
भले तन्हाई होगी या रुसवाई होगी।
गलतियां माफ कीजिये
दुश्मनी नही..
वो जो बन के दुश्मन हमे जीतने को निकले थे,
कर लेते अगर मोहब्बत तो हम ख़ुद ही हार जाते.
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी.
कभी कभी जीत भी अब हार जैसी लगती हे,
जब अपनों का साथ नहीं मिलता,
और हार भी कभी कभी जीत जैसी लगती हे,
जब दुश्मन भी आपके होसलो की तारीफ करता हे।
हर शख्स है खुदा बनने में मशरूफ
ये तमाशा भी खुदा देख रहा है..
हम दुश्मन को भी बड़ी शानदार सजा देते हैं,
हाथ नहीं उठाते बस नजरों से गिरा देते हैं.
पूछा है ग़ैर से मिरे हाल-ए-तबाह को,
इज़हार-ए-दोस्ती भी किया दुश्मनी के साथ.
ना दोस्ती हे कोई न कोई दुश्मन,
आखिर इस दुनिया में कर क्या रहे हे हम।
उन बदुवाओ से डरो
जो दुश्मन बोल कर नही दी जाती…
उसका ये अंदाज़ भी दिल को भा गया हैं,
कल तक जो दोस्त था आज दुश्मनी पर आ गया हैं.
वैसे दुश्मनी तो हम -कुत्ते- से भी नहीं करते है,
पर बीच में आ जाये तो -शेर- को भी नहीं छोड़ते.
गज़ब की गाली दी हे तजुर्बे ने,
आज कल अपनों से ज्यादा दुश्मन काम आते हे।
आज कल नए ट्रेंड आने लगे है
और बच्चे बाप को दुश्मनी सिखाने लगे है
लोग कहते हैं कि इतनी दोस्ती मत करो कि
दोस्त दिल पर सवार हो जाए,
मैं कहता हूँ दोस्ती इतनी करो कि
दुश्मन को भी तुम से प्यार हो जाए.
कुछ न उखाड़ सकोंगे तुम हमसे दुश्मनी करके,
हमें बर्बाद करना चाहते हो तो हमसे मोहब्बत कर लो.
फ़िक्र करने वाले काम मिलते हे दुनिया में,
दुश्मन तो सारा जहा हे।
दुश्मनी हो जाती है मुफ़्त में सैकड़ों से ‘साहब’..,
इंसान का बेहतरीन होना भी एक गुनाह है..।।
दुश्मनी जम के करो पर इतनी गुंजाईश रहे,
कल जो हम दोस्त बन जाए तो शर्मिंदा न हो.
देखा तो वो शख्स भी मेरे दुश्मनो में था,
नाम जिसका शामिल मेरी धड़कनों में था.
कमाने को तो इज़्ज़त भी हे ज़माने में,
सिर्फ दौलत नहीं कमाता हु,
गुजरता हु जब भी,
दुश्मनो की गलियों से,
ढेरो सलाम पाटा हु।
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उसके बिना जिया नहीं जा सकता!!
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी हैं, तीर की तरह,
मगर खामोश रहता हूँ, अपनी तकदीर की तरह.
जिस खत पे ये लगाई उसी का मिला जवाब,
इक मोहर मेरे पास है दुश्मन के नाम की.
अपनी मोत का मेने अनोखा जाल बन लिया,
एक दुश्मन को मेने मेहबूब चुन लिया।
मास्क लगा कर 2 महीने में थक गया वो दुसमन…
जो कहता था औरत को हमेशा पर्दे में रहना चाहिए…
ख़ाक मजा है जीने में,
जब तक आग ना लगे दुश्मन के सीने में.
दुश्मनों से क्या ग़रज़ दुश्मन हैं वो
दोस्तों को आज़मा कर देखिए.
खुदा करे,,,
जो भी करे मुझसे दोस्ती,
उसकी सारी हसरत दुआ बन जाये,
और जो भी करे मुझसे दुश्मनी,
उसकी क्रश उसके बच्चो की बुआ बन जाये।
पता था वो दुश्मन दबाना चाहते थे…
फिर भी हम उन्हें आजमाना चाहते थे..
उसके दुश्मन है बहुत आदमी अच्छा होगा,
वो मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा.
दुश्मन को कैसे खराब कह दूं ,
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है.