“Discover 100+ of the finest Sufi Sher Shayari verses, where poetic mysticism and spiritual wisdom intertwine, offering glimpses into the soul’s yearning for transcendence and divine love. Each sher (couplet) is a profound expression of Sufi philosophy and poetic artistry.”
बेहद हसीन मुस्कराहट हुआ करती हैं,
इश्क़ जब रूह में समाता है ।।
सब खफा हैं मेरे लहज़े से,
मगर मेरे हाल से कोईवाकिफ नही ।।
कोई मुझ तक पहुच नही पाता,इतना आसान हाई पता मेरा।।
अब खुशी देकर आजमा ले खुदाइन गमो से तो में मरा नही ।।
छोड़ दू किस तरह, ऐ यार मैं चाहत तेरीमेरे ईमान का हासिल है मोहब्बत तेरी।।फ़ना बुलंदशहरी
बड़ी फुर्सत और खूबसूरती से
ऊपर वाले ने इंसान बनाया
खुदा भी हुआ हैरान यह देखकर,
कि इंसान ने खुद को क्या बनाया?
अब कब्र में भी होगा ठिकाना याद रख,
आएगा ऐसा भी ज़माना जरूर याद रख।।
कोई चाहत नही मेरी इस ज़माने से,
चाहत तो है अब सिर्फ खुदा को पाने की ।।
बिखरा पड़ा हुआ है खुद तेरे घर में
तेरा वजूद,
और में तुजे ढूंढ़ता रहा बेकार के
महफ़िलो में ।।
बात कुछ और ही थी मगर
बात कुछ और हो गई
और आंख ही आँख में,
तमाम रात हो गई ।।
बिछड़ के मुझसे तुम अपनी कशिश
न खो देना,
मायूश चहरे अच्छे नही लगते ।।
जो भी करो पूरी शिद्दत से करो,
इश्क़ राधा सा करो,
और इंजतार मीरा सा करो ।।
समशान में जाते ही मिट गए,
सारे लकीर,
पास पास जल रहे थे राजा
और फकीर ।।
खुदा ने उसी सजदे को कबूल फ़रमाया,
जो खुद को भूलकर खुदा को लेकर आया.
ना अनपढ रहा ना काबिल बना
खामखा ये ज़िन्दगी तेरे स्कूल
में दाखिला लिया ।।
चलो मान लिया पत्थर था में,
थे अगर आप हुनरमंद तो
तराशा क्यों नही मुझे ।।
कुछ बेकरारी सी थी उन हवाओ में,
लगता है ऐसा की मौजूद हैं तू इन फिज़ाओ में।।
तेरे हुस्न की खूबी कुछ इस तरह बयां हो गई
आया जब तेरा नाम होटो पर तो
जुबा मीठी हो गई ।।
नज़रे झुक जाएं तो समझ मे आता है,
मगर नज़रे मिलने के बाद नज़र का
झुक जाना ये गजब की बात हो गई ।।
शायर होते है वो लोग जो शायरी लिखते है,
हम तो बदनाम किस्म के लोग है,
जो सिर्फ दर्द लिखते है ।।
मोहब्बत और वफ़ा के ज़माने अब गए जनाब ,
मोहब्बत अब तो दिल को बहलाने का सामान है
होता अगर हम पर कर्ज तो उतार भी देते
मगर ये इश्क़ था कमब्खत जो चढ़ता गया ।।
हसीन फिज़ाओ में उलझकर एक राज जाना,
कहते है जिसे दुनिया मोहब्बत
वो नशा ही कातिलाना है ।।
मोहब्बत में कभी झील कभी समंदर
तो कभी जाम रखा है,
इश्क़ करने वालो ने भी ना जाने इन आंखों
का क्या क्या नाम रखा है ।।
अपना ज़मीर बेचकर अमीर हो जाना
बेहतर है इससे अच्छा फ़क़ीर हो जाना,
बुलाकर आज सभी आशिको के गमो
की महफ़िल लगाते है
आप उठा लाओ ग़ालिब की शायरी वाली किताब
और हम फिर दिल का हाल सुनाते है ।।
दिल मे है जो दर्द वो दर्द किसे बताये,
हस्ते हुए ये ज़ख्म किसे दिखाए ।।
ये दुनिया कहती है हमे खुशनसीब
लेकिन ये दांस्ता नसीब की किसे सुनाये ।।