100+ Tanhaai Shayari in Hindi | तन्हाई शायरी

“100+ Tanhaai Shayari” is a poignant collection of verses that beautifully encapsulates the essence of solitude. Through eloquent words and heartfelt expressions, these shayaris delve into the depths of loneliness, introspection, and the quiet moments when one is left alone with their thoughts. Each verse paints a vivid portrait of the emotions that arise in solitude, exploring the contemplative and sometimes melancholic aspects of being alone. Whether seeking solace in moments of seclusion or simply reflecting on the human experience, this collection provides a voice to the myriad feelings and reflections that come with the embrace of solitude.

Tanhaai Shayari

आज तेरी याद को सीने से लगा के रोये,
खयालो में तुझे पास बुलाके रोये,
हज़ार बार पुकारा तुझको तन्हाई में,
हर बार तुझे पास न पाकर रोये।

एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ,
कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।

कहीं तो उम्मीद दिखे कहीं कोई उम्मीदवार दिखे,
मेरे सावन में भी कोई काश पतझड़ बहार दिखे,
धुनों की सरगम में ध्वनि मेरी झनकार दिखे,
बस जहां दिखे कुछ हरदम बेशुमार दिखे।

तन्हाईयाँ भी अब तनहा सी रहने लगी हैं,
बात इतनी सी है कि तू नहीं पास उनके,
वो मान भी जाती मगर कुछ मजबूरियां थी,
साथ अपने लेकर तू जो गयी अहसास उनके।

आज खुद की दुनिया वीरान है साकी,
कभी मैं हँसता था औरों को देखकर।

कई रातों से सोया नही हूँ मैं,
तन्हा हूँ मगर, खोया नही हूँ मैं,
बड़ी घुटन है दिल के कैदखाने में,
आँख में पानी है मगर रोया नही हूँ मैं।

हम रहे ख़ामोशी से उनके साथ और,
वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे।

उनकी हर बात का इल्म था हमें और,
वो हमीं से सब छुपा रहे थे।

ऐतराज़ था उन्हें हमारी सारी बातों से,
फ़िर भी हम साथ निभा रहे थे।

चलते रहे अकेले इन राहो में हम और,
वो खुद को हमसफ़र बता रहे थे।

कुछ ये शाम उदास है कुछ मेरा दिल उदास है,
ये शहर तो रोशन है महफ़िलों की रौशनी में,
फिर क्यूँ मुझे तन्हाई का एहसास है,
वो दूर थे तो मेरे बहुत करीब थे,
क्यूँ दूरियाँ महसूस हुईं आज जब वो मेरे पास है।

दिल के सहरा में कब आलम-ए-तन्हाई है,
जब भी देखा तेरी तस्वीर नजर आई है।

मैं अपनी ख़ाक उठाकर कहाँ-कहाँ घूमूं,
तेरे बगैर मेरी ज़िन्दगी की कीमत क्या है।

तेरे बगैर भी तो गनीमत है ज़िन्दगी,
खुद को गँवा कर कौन तेरी जुस्तजू करे।

जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।

तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा,
दूर तुमसे अब रह न सकूँगा,
अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,
ये दूरी अब सह न सकूँगा।

मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,
बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।

यादों में आपके तनहा बैठे हैं,
आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,
आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,
इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।

तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया,
रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।

कितना अधूरा सा लगता है
जब बादल हो बारिश न हो,
आँखें हो कोई ख्वाब न हो
और अपना हो पर पास न हो।

कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।

अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात…
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?

किसी को प्यार की सच्चाई मार डालेगी,
किसी को दर्द की गहराई मार डालेगी,
मोहब्बत में बिछड़ के कोई जी नहीं सकता,
और बच गया तो उसे तन्हाई मार डालेगी।

चाँदनी बन के बरसने लगती हैं
तेरी यादें मुझ पर,
बड़ा ही दिलकश मेरी
तनहाइयों का मंज़र होता है।

ये शाम बहुत तनहा है मिलने की भी तलब है,
पर दिल की सदाओं में वो ताकत ही कहाँ है,
कोशिश भी बहुत की और भरोसा भी बहुत था,
मिल जायें बिछड़ कर वो किस्मत की कहाँ है।

लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,
इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।

​​​​दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला,
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला,
तेरे होते हुए आ जाती थी दुनिया सारी,
आज तनहा हूँ तो कोई नहीं आने वाला।

जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।

कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है,
अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है,
तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती,
तन्हाई में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है।

तेरे आने की खबर मुझे ये हवाएं देती हैं,
तेरे मिलने को मेरी हर साँस तरसती है,
तू कब आके मिलेगी अपने इस दीवाने से,
तुझसे मिलने को मेरी आवाज तरसती है।

हम मिले भी तो क्या मिले,
वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे कदम बढ़े,
न कभी तुम्हारी झिझक गई।

तन्हा बैठा हूँ रात भर, ये तन्हाई मेरी साथ है, दिल की बातें कहूँ किसे, ज़िन्दगी ने क्या क्या खेल खिलाए हैं।

रातें लम्बी हैं, और तन्हाई साथ है, खामोशी से बातें, ये तन्हाई का आलम है, दिल की हर दहलीज़ में बसी है तन्हाई, इसे समझना कितना मुश्किल है।

रात की चाँदनी में छुपा है तन्हाई का गीत, दिल की हर धड़कन में बसा है तन्हाई का सीला, रिश्तों की बातें तो होती हैं सभी जगह, पर अकेलेपन में ही बसा है असली तन्हाई।

रात की चुप्पी में सुनता हूँ, तन्हाई की बातें कहता हूँ, दिल के अंदर बसी ये अलग दुनिया, जहां हर रोज़ बसता हूँ।

तन्हाई में बैठ कर हर रात, सपनों की दुनिया में खो जाता हूँ, दिल की बातें कहता हूँ चाँद से, तन्हाई मेरी साथी है, यही बताता हूँ।

अकेलापन में है एक अलग सा सुर, तन्हाई का ये खुदा सा है इज़हार, दिल की गहराईयों में बसी ये बातें, तन्हाई में ही मिलता है सच्चा प्यार।

चाँदनी रातों में बुलाती है यह तन्हाई, दिल की हर बात को सुनाती है यह तन्हाई, सितारों से बनती है दोस्ती इसकी, रात की राह में है सदा साथ इस तन्हाई की।

दिल में बैठी यह तन्हाई कहती है, रिश्तों की ज़मीन में छुपा है सच, अकेलेपन में ही मिलता है सच्चा आत्म-समर्पण, तन्हाई में ही मिलता है असली अपनपन।

रातों में होती है यह बातें, दिल की हर राहों में होती है तन्हाई, चाँदनी रातों में मिलती है साथी, मेरी तन्हाई, मेरी रातें, मेरी कहानी।

तन्हाई का यह आलम है बहुत ही अजीब, हर रात को साथी बना है यह अकेलेपन, दिल की हर धड़कन में बसी है यह उम्मीद, तन्हाई का यह सफर है बहुत ही अनूठा।

रात की तन्हाई में चाँद से बातें, सितारों से कहता हूँ मेरे ख्वाबों की रातें, दिल की गहराईयों में बसा है यह अकेलेपन, रात की तन्हाई में मिलता है सच्चा आत्म-समर्पण।

रात की तन्हाई में है कुछ खास बातें, दिल की हर धड़कन में बसा है तन्हाई का आलम, चाँदनी रातों में होता है मिलन यहाँ, अपनी तन्हाई में हूँ यहीं, मेरा हक है यहाँ।

रातों में होती है बातें यह तन्हाई की, दिल की हर धड़कन में बसी है यह तन्हाई की बातें, चाँदनी रातों में सजती है तन्हाई की दुनिया, रात की तन्हाई में है खास एक ही बात, वो है सिर्फ मेरी बात।

रात की तन्हाई में बजता है सुर, दिल की हर धड़कन में है बसी तन्हाई, चाँदनी रातों में होती है बातें, तन्हाई की मिठास है यहाँ की सबसे अद्भुत बात।

रातों में चाँदनी की रौशनी में, दिल की हर बात सुनती है तन्हाई, चाँद से कहती है यह तन्हाई की बातें, मेरी तन्हाई, मेरी रातें, मेरी कहानी।

रात की तन्हाई में बुलाती है सपनों की दुनिया, दिल की हर धड़कन में है बसी तन्हाई की दहलीज़, चाँदनी रातों में होती है बातें यह तन्हाई की, रातों की तन्हाई में होती है यह बातें, सच्चे दिल से यह कहता हूँ।

तन्हाई का यह आलम है बहुत ही गहरा, दिल की हर बात में बसा है तन्हाई का सच, रातों में होती है खामोशी यहाँ, तन्हाई की दुनिया में है एक अलग सा मिठासा।

रातों की तन्हाई में बसता हूँ, दिल की हर बात को कहता हूँ, चाँदनी रातों में होती है मेरी साथी, तन्हाई मेरी साथी है, यही कहता हूँ।

तन्हाई में है एक अलग सा जहां, दिल की हर धड़कन में बसी है यह तन्हाई, चाँदनी रातों में होता है मिलन यहाँ, रातों की तन्हाई में होती है बातें अजीब-अजीब।

रातों की तन्हाई में है कुछ खास बातें, दिल की हर बात में होती है तन्हाई की आलम, चाँदनी रातों में होती है मिलन यहाँ, अपनी तन्हाई में हूँ यहीं, यही बताता हूँ।

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