100+ Sorry Shayari in Hindi

“100+ Sorry Shayari in Hindi: Mend broken bonds and heal hurt feelings with heartfelt apologies through this expressive collection. These shayaris convey genuine remorse, seeking forgiveness and understanding. Let the power of words bridge the gap between hearts, as you express your sincerest regrets and the desire to make amends. From sweet and tender verses to poignant reflections, these apologies carry the essence of remorse and love. Whether it’s a friend, family member, or a loved one, use these shayaris to convey your heartfelt apologies and rebuild the trust and love in your relationships. Embrace the power of Sorry Shayari to heal wounds and foster stronger bonds with your loved ones.”

Sorry Shayari

हमसे कोई खता हो जाये तो माफ़ करना,
हम याद न कर पाएं तो माफ़ करना,
दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं,
पर ये दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना।

तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी,
तुम्हारे बिना चिरागों में रोशनी न रहेगी,
क्या कहे क्या गुजरेगी इस दिल पर,
जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी।

नाराज क्यूँ होते हो किस बात पे हो रूठे,
अच्छा चलो ये माना तुम सच्चे हम ही झूठे,
कब तक छुपाओगे तुम हमसे हो प्यार करते,
गुस्से का है बहाना दिल में हो हम पे मरते।

खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो,
दिल में इतना दर्द क्यूँ है वजह बता दो,
देर हो गयी याद करने में जरूर,
लेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल मिटा दो।

बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से,
हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से,
तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले,
कोई बिखर गया है तेरे रूठ जाने से।

हो सकता है हमने आपको कभी रुला दिया,
आपने तो दुनिया के कहने पे हमें भुला दिया,
हम तो वैसे भी अकेले थे इस दुनिया में,
क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।

हम रूठे भी तो किसके भरोसे रूठें,
कौन है जो आयेगा हमें मनाने के लिए,
हो सकता है तरस आ भी जाये आपको,
पर दिल कहाँ से लायें आपसे रूठ जाने के लिये।l

दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया,
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया,
हम से तू नाराज़ हैं किस लिये बता जरा,
हमने कभी तुझे खफा तो नहीं किया।

अगर मै हद से गुज़र जाऊ तो मुझे माफ़ करना,
तेरे दिल में उत्तर जाऊ तो मुझे माफ़ करना,
रात में तुझे देख के तेरे दीदार के खातिर,
पल भर जो ठहर जाऊ तो मुझे माफ़ करना!!!!

एक ज़रा सी भूल खता बन गयी,
मेरी वफ़ा ही मेरी सजा बन गयी,
दिल लिया और खेल कर तोड़ दिया उसने,
हमारी जान गयी और उनकी अदा बन गयी.

खफा होने से पहले खता बता देना,
रुलाने से पहले हँसना सिखा देना,
अगर जाना हो कभी हम से दूर आप को,
तो पहले बिना सांस लिए जीना सिखा देना।

न चलता है दिल पर जोर कोई,
यह खुद की ही मर्जी चलाता है,
करता है खटाएं कैसी कैसी,
और बदले में हमें रुलाता है।

किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं,
किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं,
गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या,
ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं।

मेरी हर खता पर नाराज़ न होना,
अपनी प्यारी सी मुस्कान कभी न खोना,
सुकून मिलता है देखकर आपकी मुस्कराहट को,
मुझे मौत भी आये तो भी मत रोना!

देखा है आज मुझे भी गुस्से की नज़र से,
मालूम नहीं आज वो किस-किस से लड़े है।

न तेरी शान कम होती न रुतबा ही घटा होता,
जो गुस्से में कहा तुमने वही हँस के कहा होता।

रिश्तों में दूरियां तो आती-जाती रहती हैं,
फिर भी दोस्ती दिलो को मिला देती है,
वो दोस्ती ही क्या जिसमे नाराजगी न हो,
पर सच्ची दोस्ती दोस्तों को मना ही लेती है।

तुम नफरतों के धरने कयामत तक जारी रखो ऐ सनम,
हम मोहब्बत से इस्तीफा मरते दम तक नहीं देंगे।

सॉरी कहने का मतलब है,
कि आपके लिए दिल में प्यार है,
अब जल्दी से हमे माफ़ कर दो ऐ सनम,
सुना है आप बहुत समझदार हैं।

आज मैंने खुद से एक वादा किया है,
माफ़ी मंगुगा तुझसे तुझे रुसवा किया है,
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है।

तुम दुआ हो मेरी सदा के लिए,
मैं जिंदा हूँ तुम्हारी दुआ के लिए,
कर लेना लाख शिकवे हमसे,
मगर कभी खफा न होना खुदा के लिए।

गलती तो हो गयी है,
अब क्या मार डालोगे?
माफ़ भी कर दो ऐ सनम,
ये गलफहमी कब तक पालोगे?

हर वक़्त तुमको याद करता हूँ,
हद से ज्यादा तुम्हे प्यार करता हूँ,
क्यों तुम मुझसे खफा बैठे हो,
मैं एक तुम्हीं पर तो मरता हूँ।

कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हमसे,
मिलना पड़ेगा कभी न कभी जरुर हमसे,
नजरें चुराने वाले ये बेरुखी है कैसी,
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हमसे।

कहा सुना जो भी हो माफ़ करना
कुछ वादे किये ना निभाए हों तो माफ़ करना
कुछ बातें जो हम दोनों के बिच हवी
उन में कुछ भला बुरा हुवा हो तो माफ़ करना

कर देना माफ़ हम को दिल से अगर तोडा हो कभी दिल
ज़िन्दगी किया भरोशा कल कफ़न में लिपटा मिले तुम को ये दोस्त तुम्हारा

इश्क की नगरी में माफ़ी नहीं किसी को भी
इश्क उमर नहीं देखता बस उजाड़ देता हैखता हो गई हो तो सजा भी सुना दो
दिल में इतना दर्द क्यू है वजह भी बता दो
देर हो गई याद करने में ज़रूर लेकिन
तुमको भुला देंगे ये ख्याल दिल से निकाल दो

दर्द हो दिल में तो दुवा कीजिये दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिये
हम को फ़रियाद करनी आती है आप सुनते ही नही तो क्या कीजिये

उससे ज़रूर माफ़ी मांगो जिससे तुम चाहते हो
उसे मत छोड़ो जो तुम्हें चाहता है
उस से कुछ न छुपाओ जो तुम पे ऐतबार करे

होंटों से दुआ के लिए जसने नहीं होती
अब इससे जायदा तेरी खुवासिश नहीं होती
है प्यार का सहेर यहाँ बदल नहीं आती
अगर बदल भी आ जाये तो बारिश नहीं होती

बस एक माफ़ी तौबा कभी जो इससे सताए तुम को
लो हाथ जुड़े लो कान पकडे अब और कैसे मनाये तुमको
तुम्हारे आते ही इस नगर से हमें तानाफत सी हो गई
में शरारत भी कैसे सह लो के छोड़ रही है हवाएँ भी तुमको

रूठ कर हमसे यूँ दूर जा बैठे हैं कहीं
उनकी यादें सता रही हैं हमें हर वक्त यहीं
कोई उनसे हमारी खता तो पूछ आइये
हम सर झुकाये इंतजार में बैठे हैं यही

दिल उदास हैं तेरे चले जाने से
हो सके तो मुसाफ़िर तू लौट आ
तेरे क़दमों में सर झुकाये खड़े हैं हम
तू बस एक बार सजा तो सुना जा

माना भूल हो गई हैं हमसे
पर इस तरह रूठों ना मेरे सनम
एक बार नज़रे उठा कर देखों हमें
हम दौबारा ना करेंगे, ये खता, हैं कसम

उसकी खुशियों के लिए लड़ें थे दुनियाँ से
आज वो ही हमसे खफ़ा बैठे हैं
क्या गुनाह हो गया हैं हमसे
हम सर झुकायें सजा पाने बैठे हैं

चाँद तो हमसे दूर हैं
हम तो तेरे नूर पर फ़िदा हैं
ना जाने तू रूठा क्यूँ हैं हमसे
फिर भी सजा पाने खड़े हैं कबसे

संध्या की बैचेनी हैं तू
तेरी यादें इस कदर सताती हैं
दौड़ कर चले आते जहाँ हैं तू
काश हम पता जान पाते

शब्दों का जाल कुछ गलत बुन लिया
पर मेरे दिल में वैसी बात ना थी
शर्मिंदा हूँ खुद अपने अल्फाजों के लिए
क्यूंकि खुद से ऐसी उम्मीद ना थी

दिन चढ़ा, दिन ढला
पर मेरा दिल उदास ही था
मुझसे कोई बहुत नाराज हैं
इसलिए आज हर पंछी उदास था

मेरे खुवाबों में वो तीर चला कर काली गई
में सोया थ मुझ को जगह कर चली गई
मैंने पूछा चाँद कैसे निकलता है
वो अपने चहेरे से जुल्फें हटा कर चली गई

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