100+ Nazar Shayari in Hindi


“Dive into a treasury of 100+ Nazar Shayari, where words weave the magic of gazes and glances. Explore the intensity and subtleties of human connections through verses that capture the power of eyes meeting – expressions of love, curiosity, and intrigue. These poetic gems unravel the language of looks, painting a canvas of emotions that reveal the unspoken stories behind every gaze. Experience the enchantment of Nazar Shayari and embark on a journey of emotions that transcend words.”

Nazar Shayari

एक नज़र देखते तो जाओ मुझे
कब कहा है गले लगाओ मुझे

मेरी नज़रों से ख़ुद को देखो तुम
तुम हो क्या चीज़ जान जाओगी

नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह
ग़ज़ल ने सीखे हैं अंदाज़ सब तुम्हारी तरह

कभी ज़िन्दगी से यूँ न चुराया करो नज़र
कि मौजूद भी रहो तो न आया करो नज़र

मेरी नज़र में उसने जब उस नज़र से देखा
दिल में मेरे ये कैसे जज़्बात आ रहे हैं

डगर मुश्किल मगर है हौसले पुरज़ोर सीने में
रगों में रक्त है उबला मचा है शोर सीने में

कभी तो यार आ जाओ सताने को
नज़र आओ नज़र हमसे मिलाने को

निहारा था बड़ी शिद्दत से उसने इक दफ़ा मुझको
तभी नज़रों में उसकी मैंने पूरा खो दिया ख़ुद को

जिधर देखा उधर नज़र आया
यार मेरा किधर नज़र आया

नज़ारे आँख में चुभने लगे हैं
यहाँ हम साथ आते थे तुम्हारे

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं
लड़कियाँ धान के पौदों की तरह होती हैं

मोहब्बत में रक़ीबों पे नजर जाती है समझो
अजब है पर इधर की बेल उधर जाती है समझो

होंगी नज़रें सभी की मुझ पे ही फिर
उस ने गर इक नज़र भी देख लिया

मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी
तिरा हाथ ज़िंदगी भर कभी जाम तक न पहुँचे

यहाँ पे अब नज़र में कुछ दिखाई तो नहीं देता
यहाँ सबके नज़र में यार अब पैसा उतर आया

तेरे आ जाने की अफ़वाह भर से
नज़र दरवाज़े से हटती नहीं है

ऐसे वो अपना असर छोड़ गया
मुझपे वो अपनी नज़र छोड़ गया

यहाँ फुटपाथ पे अब तो नज़र है ही नहीं आख़िर
पढ़ाई छोड़ मजबूरी कहे मुझको कमाना है

चाँद पर तेरी नज़र को देख कर ही
टूट जाता है ये तारा धीरे धीरे

पहले डाली तेरे चेहरे पे बहुत देर नज़र
ईद का चाँद तो फिर बाद में देखा मैंने

महताब तेरे रुख़ की ज़ियारत का नाम है
सिंदूर तेरी माँग का उल्फ़त का नाम है

सहारा भी किनारा भी सुनो तो जान तुम ही हो
अरे मेरी नज़र का बस सदा अरमान तुम ही हो

खार से गुल, गुलों से हार बनाने वाले
अब कहाँ हैं अदू को यार बनाने वाले

गुज़ारिश है ज़रा झुमका हिला दो
मेरी नज़रों को झूला झूलना है

कि दिल को चीर दिखाने का हमको ज़ौक नहीं
तेरी नज़र में गलत हैं तो हम गलत ही सही

मिरी नज़र में ख़ाक तेरे आइने पे गर्द है
ये चाँद कितना ज़र्द है ये रात कितनी सर्द है

हमारे बाद उसकी इस नज़र में कौन था वैसे
हमारे बाद चश्मों से नमी किसने निकाली थी

उनकी नज़रों में अब ऊपर उठना है
ख़ुद की नज़रों में अब गिरना ही होगा

उनकी नज़रें झुकी हैं धीरे धीरे
अब वो शरमा चुकी है धीरे धीरे

दूर जाते ही नज़र आने लगे हो तुम मुझे
लग रहा है पास की मेरी नज़र कमज़ोर है

महबूब को नज़रों के दरीचे में बिठा कर
करते रहो रौशन दर-ओ-दीवार ग़ज़ल के

बात इतनी सी है मेरे हम दम
तू नज़र आया जब जिधर देखा

चाहत खरीदना मेरी आदत नही है और
उसकी नजर में सब कुछ पैसा है जान दे

मेरी नज़रों में वो बसे कब थे?
जिनकी नजरों से गिर चुका हूँ मैं

इक हमीं तो हैं दीद के क़ाबिल
तू हमीं से नज़र चुराती है

शोख़ नज़रों के इशारे हो गए
ख़ुशनुमा सारे नज़ारे हो गए

मेरे रश्के क़मर तूने पहली नज़र
जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया

तुझ तक आने का सफ़र इतना भी आसाँ तो न था
तूने फेरी है नज़र हमसे जिस आसानी से

सर्द शामें और गर्माहट भरी उसकी नज़र
इसलिए भी उस नज़र से ये नज़र हटती नहीं

एक लड़की है मुस्कुराती है
मोजिज़े हुस्न के दिखाती है

यूँ मुझे टकटकी लगाके न देख
धीरे-धीरे सुलग न जाऊँ मैं

नज़रो में सबकी माना कि छोटा सा हो गया
देखा कभी जो माँ ने मै आला सा हो गया

ज़िक्र तुमने किया मगर फिर भी
हो रहा क्यों नहीं असर फिर भी

कि अब तो नींद से भी है तमाम सी शिकायतें
न जाने बात क्या है जो नज़र में आती ही नहीं

वो लौटेंगे कभी वापस हमे इम्कान होता है
मगर फिर भी मियाँ इम्कान तो इम्कान होता है

दिल मसर्रत से भर नहीं आता
जब मुझे वो नज़र नहीं आता

Leave a Comment