“100+ Naseeb Shayari” is a mesmerizing collection of poetic verses that delve into the enigmatic realm of destiny and fate. Through the art of words, these Shayaris explore the unpredictable journey of life, portraying the tales of joys and sorrows, successes and failures. Each verse reflects the essence of how destiny weaves its intricate patterns, impacting human lives in profound ways. This anthology of poetry offers profound insights into the ever-changing tides of fate, instilling in the readers the courage to embrace uncertainties and rise above challenges. As readers immerse themselves in these unique expressions, they find solace and inspiration, empowering them to confront life’s ups and downs with resilience and fortitude. “100+ Naseeb Shayari” thus becomes a timeless tribute to the enigma of destiny, encouraging individuals to march forward with unwavering determination, no matter what the cards of fate hold.
Naseeb Shayari
मैं मोहब्बत करती थी
वो नफरत करता था
दरअसल हुआ वही जो हमारे
नसीब में था.!!
कोशिशे जीने की तो जारी है
पर कमबख्त नसीब साथ नही देता..!
तुम मेरा सोया हुआ नसीब
फिर से जगा दो
एक बार ही सही आकर
मुझे गले से लगा लो..!
ख्वाहिशे डूबती जा रही है
प्यार के समुंदर में
और गमों के बादल
आते जा रहे है नसीब में..!
गुजर गया Waqt रेत की तरह
जिंदगी भी दर्द दे रही है
फूटे Naseeb की तरह..!
नसीब मिला दे मुझे उससे
जिसकी मुझे तलाश है
उसके ना होने से मेरी
जिंदगी में गम ही पास है..!
जिंदगी की रफ्तार में
हम कुछ यूं चल पड़े है
दोस्तों से भरी महफिल
को भी हम छोड़ चले है..!
साहिल की आस में
कश्ती दरिया दिखा देती है
ठोकर लगना इंसान को
संभलना सिखा देती है..!
मेरे नसीब में फूल नही
तो क्या करूं माली
आया हूं बाग में
तो कांटे ही ले चलूं..।
सच्चे मन से वह मांग लिया
पर वो नसीब में नही
तिनके जैसी बिखर गई है
मेरी जिंदगी अब कही..!
औरो की जिंदगी
तलाशते-तलाशते
खुद ही जीना भूल गए
खुशी की चाह में जिंदगी में
गम और दर्द के साये बढ़ते गए..!
उनकी बाहों में टूटने का
मौका आखिर मिल ही गया
फटा था अब तक जो नसीब
मेरा आखिर सील गया..!
कोशिशे मेरी सफर करती है
नसीबो से बहुत
तुम जो मिल गए हो
यूं हाथों की लकीरो में..!
खिलते हुए चेहरे
पर मायूसी छाई है
कांटो भरी जिंदगी
मेरे नसीब में आई है..!
एक सच्चे इंसान की दुआ
वक्त के साथ-साथ
naseeb भी बदल देती है..!.
किसी ने नही किया
हमे करीब अपने
खैर छोड़ो यार भी
नही थे नसीब मे अपने..!
मेरे नसीब में ना था
तेरा दीदार करना
मैंने आंसुओं से लिख
दिया तेरा इंतजार करना..!
पनाह कैसे मिलेगी दोस्त
जब नसीब में भटकना लिखा हो
सुकून कैसे मिलेगा जब
जिंदगी मैं दर्द सहना लिखा हो..
चर्चा-एं- आम रहा तेरा
इश्क मेरे महफिले दिल में
लाख ढूंढा तुझे पर मिला
ना तू कभी मेरे नसीब में..!
जिसे हम चाहते हैं
वह हमारे करीब रहे
बस इतना ही खुशकिस्मत
हमारा नसीब रहे..!
सच की राह पर तू चलने
को हर वक्त तैयार है
अपनी मंजिल का तू
ही मुसाफिर और नसीब
को बदलने के लिए तैयार है..!
दिल की किताब में
सबसे पहला नाम तुम्हारा ही था
पर शायद तुम्हारे ही नसीब में
प्यार हमारा ना था..!
घुटन सी होने लगी है
इस जिंदगी से
खुदा अब मौत
लिख दे मेरे नसीब में !
ना दूर का ना करीब का
इंसान को मिला करता है
बस उसके नसीब का..!
दुनिया एक बाजार है
इंसानियत का होता यहां व्यापार है
खुद को बिकने मत देना
चाहे आपका नसीब ही खराब है..!
कायनात की सबसे
बड़ी चीज प्रेम है
इसके बावजूद यह
सब के नसीब में नही है..!
समय भी रुक गया था
गुजरते हुए करीब से
आज उतरी थी चांदनी
आंगन के नसीब से..!
किस्मत की बेबसी भी तो देखो
कोई दो रोटी के लिए तरस रहा है
तो कोई मोटापे से भड़क रहा है..!
बनाए थे जो ख्वाब हमने
इस प्यार की तो तुम मूरत नही
गिला है तुमको हमसे तो
ताजमहल सी खूबसूरत तुम नही..
बेटियां अगर दुश्मन की भी
हो तो फिर भी उनके अच्छे
नसीब की दुआ होती है
इनसे ही तो जिंदगी की
तकदीर हसीन होती है..!
कुछ तो रहा होगा तेरे मेरे दरमिया
वरना रूहानी ख्वाब की ताबीर
जिंदगी में कहां नसीब होती है..!
आज मेरा मेरी सोच से झगड़ा हुआ है
ना जाने क्यो मुझे ऐसा लगा
मेरा नसीब बिगड़ा हुआ है..!
ख़ुदा तौफ़ीक़ देता है जिन्हें वो ये समझते हैं
कि ख़ुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तक़दीरें
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
क्या सोचा था और क्या हो गया,
हर ख़्वाब न जाने कहाँ खो गया,
लगता है मेरा नसीबा मुझसे पहले,
जा कर मेरी क़ब्र में सो गया !
सुनाऊँ तो भला कैसे सुनाऊँ यार, तुम्हें अपनी दास्ताँ-ए-दिल,
होठों से मुस्कान ही नहीं, लफ्ज़ भी छीन कर ले गया संगदिल…!
जब चाहत ही सितमगर हो जाती है,
ज़िन्दगी मौत से बदत्तर हो जाती है !
कितने शौक से छोड़ दिया उसने मुझे
अब तो मेरा नसीब भी मेरा साथ नही दे रहा है
इसीलिए ये आशिक अब पागल हो रहा है..!!
मैं मोहब्बत करती थी
वो नफरत करता था
दरअसल हुआ वही जो हमारे
नसीब में था.!!
कोशिशे जीने की तो जारी है
पर कमबख्त नसीब साथ नही देता..!
तुम मेरा सोया हुआ नसीब
फिर से जगा दो
एक बार ही सही आकर
मुझे गले से लगा लो..!
ख्वाहिशे डूबती जा रही है
प्यार के समुंदर में
और गमों के बादल
आते जा रहे है नसीब में..!
गुजर गया Waqt रेत की तरह
जिंदगी भी दर्द दे रही है
फूटे Naseeb की तरह..!
नसीब मिला दे मुझे उससे
जिसकी मुझे तलाश है
उसके ना होने से मेरी
जिंदगी में गम ही पास है..!
जिंदगी की रफ्तार में
हम कुछ यूं चल पड़े है
दोस्तों से भरी महफिल
को भी हम छोड़ चले है..!
साहिल की आस में
कश्ती दरिया दिखा देती है
ठोकर लगना इंसान को
संभलना सिखा देती है..!