“Insult Shayari: Exploring the World of Humiliation and Disgrace” is a curated collection of verses that delve into the realm of sharp wit and candid expressions. This anthology navigates through the terrain of pointed observations, clever comebacks, and unapologetic statements that embody the spirit of satire. These Shayaris serve as a poignant reminder that sometimes, words can be the most potent form of self-defense. Whether it’s addressing personal grievances or expressing societal discontent, this compilation provides a voice for those who refuse to be silenced.
Insult shayari
भोकना और चिल्लाना कुत्तों का काम है,
हम तो बेज्जती भी इज्ज़त से करते है.
बार बार आंसू साफ कीजिए,
बेज्जती करता रहूंगा,
आप बस थोड़ा बात कीजिए..
Dil Ki Tamanna Hai Ke Main Bhi,
Apni Palko Pe Bithhaun Tujhko,
Bas Tu Apna Wajan Kam Kar Le,
Toh Palkon Par Bithh Lun Tujhko.
Itna Khubsurat Kaise Muskura Lete Ho,
Itna Qatil Kaise Sharma Lete Ho,
Kitni Aasani Se Jaan Le Lete Ho,
Kisi Ne Sikhaya Hai,
Ya Bachpan Se Hi Kamine Ho..
बेज्जती को लेकर चलता हू, मै अकेले इस सड़क पर,
और हमेशा वक़्त कहता आए रहा है,
किसी के लिए भी अच्छा मत करो..
आसमान जितना नीला है, सूरजमुखी जितना पीला है,
पानी जितना 💧गीला है, आपका स्क्रू उतना ही 🔧 ढीला है.
Kya Mast Mausam Aaya Hai,
Har Taraf Pani Hi Pani Laya Hai,
Tum Ghar Se Baahar Mat Niklna,
Varna Log Kahenge Barsat Hui Nahi,
Aur Mendhak Nikal Aaya Hai..
Iss Dil Ko Toh Ek Baar Ko,
Bahla Kar Chup Kara Lunga,
Par Iss Dimaag Ka Kya Karun,
Jiska Tumne Dahi Kar Diya Hai…
इस 💗 को तो एक बार को, बहला कर चुप करा लूँगा,
पर इस दिमाग का क्या करूँ, जिसका तुमने दही कर दिया है..
Aasmaan Jitna Neela Hai,
SurajMukhi Jitna Peela Hai,
Paani Jitna Geela Hai,
Aapka Screw Utna Hi Dheela Hai..
क्या मस्त मौसम आया है, हर तरफ पानी ही पानी लाया है,
तुम घर से बाहर मत निकलना,
वर्ना लोग कहेंगे बरसात हुई नहीं और मेंढक 👾 निकल आया है.
दिल की तमन्ना है,
कि मैं भी अपनी पलकों पे बैठाऊं तुझको,
बस तू अपना वजन कम कर ले,
जिससे ये काम आसान लगे मुझकों.l
इस दिल को तो एक बार बहला कर चुप करा लिया हैं,
पर इस दिमाग का क्या करूँ, जिसका तुमने दही बना दिया हैं.
चाँद से रौशनी ज्यादा, और सितारों से कम निकले,
जब भी मैं तुझे देखूँ, मेरा हँस-हँस के दम निकले.
पानी आने की बात करते हो,
दिल जलाने की बात करते हो,
चार दिन से मुहँ नही धोया, तुम नहाने की बात करते हो.
तारीफ़ के काबिल हम कहाँ,
चर्चा तो आपकी चलती हैं,
सब कुछ तो हैं आपके पास, बस सींग और पूंछ की कमी खलती हैं.
लोग शुरुवात में हँसेंगे ‘बेइज़्ज़त’ करेंगे और फिर कामियाब होने पर तुम्हारी दात देंगे।
ज़माने में मेरी इज्जत उछालने के लिए उसने खुद को ”बेइज्जत” कर लिया.. ऐसा बदनसीब हैं मेरा दुश्मन जिसने मुझे जलाने के लिए ‘खुद’ को जला दिया..
तेरे जज्बातों से अपना ‘रिश्ता’ जोड़ दूं.. दोस्त तू हंस दे जरा, मैं तेरे दांत तोड़ दूं..
बेइज़्ज़ती करना “दोस्त” की ये भी एक जूनून है,
इसमें भी एक मज़ा है इसमें भी एक सुकून है।
‘तरसोगे’ कभी मेरी एक ‘झलक’ के लिए इस बेइज्जती का ऐसा बदला मैं लूंगा.. आज तोड़ा हैं तूने गुरूर मेरा मगर एक दिन तेरा सिर ‘झुकाकर’ रहूंगा..
दिल अपना जो दे खुशी से, प्यार करो ”आप” भी उसी को.. तरस खाने की बात करें, इतना बेइज्जत ना करो किसी को..
ये दुनिया हस कर मज़ा लेती है, बेइज्जती भी करती है, और गले भी लगती है।
ना ”सुनवाई” ना इन्साफ ना वकालत मिलती है, मोहोब्बत की अदालत में बस ज़लालत मिलती है।
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात “आख़री” होगी !
ना ज़ाने कौनसी रात🌌 “आख़री” होगी !
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से !
ना जाने कौनसी “मुलाक़ात” आख़री होगी !!
नहीं चाहिए कुछ भी तेरी ‘इश्क़’ कि दूकान से,
हर चीज में मिलावट है बेवफाई कि..!!!!
इतना खुबसूरत कैसे मुस्कुरा लेते हो,
इतना कातिल कैसे “शरमा” लेते हो,
कितनी आसानी से जान ले लेते हो,
किसी ने सिखाया है…
या बचपन से ही कमीने हो?
तू कहे तो चाँद तारे तोड़ दूँ, तू कहे तो ये दुनिया छोड़ दूँ, तू एक बार हँस के देख मेरे दोस्त, तेरे सारे गंदे ‘दांत’ न तोड़ दूँ।
चाँद से रौशनी ज्यादा और सितारों से कम निकले, जब भी मैं तुझे देखूं मेरा हंस-हंस के दम निकले।
फिर ‘चाहे’ हो जाए नाम तेरा पूरी दुनिया में दोस्त मेरी तरफ से तुझे हमेशा बेइज़्ज़ती ही मिलेगी।
जुल्फों में फूलों को सजा के आयी,
चेहरे से दुपट्टा ”उठा” के आयी,
किसी ने पूछा आज बड़ी खुबसूरत लग रही है,
हमने कहा शायद आज नहा के आयी! ?
Insult shayari in Lines
दिल की तमन्ना है कि मैं भी, अपनी पलकों पे ‘बैठाऊँ’ तुझको, बस तू अपना वजन कम करले, तो पलकों पर बिठा लूँ तुझको…
दुआ करते हैं हम खुदा से,
के वो आप जैसा “दोस्त” और न बनाये,
एक कार्टून जैसी चीज है हमारे पास,
कहीं वो भी ‘कॉमन’ न हो जाये…
कमाल के तेर नखरें कमाल का तेरा स्टाइल हैं, बात करने की तमीज नही और हाथ में ‘मोबाइल’ हैं.
घड़ीभर की “मोहब्बत” में लोग मां बाप को भूलते है.. संस्कारों का अपमान करके सरेआम उनका सर झुकाते है..
चाँद से रौशनी ज्यादा और सितारों से कम निकले, जब भी मैं तुझे देखूं मेरा हंस ‘हंस’ के दम निकले।
वो मेरी किस्मत मेरी तकदीर हो गयी, हने उनकी याद में “इतने” खत लिखे कि वह रद्दी बेचकर ही अमीर हो गयी.
सही ”काम” में बेइज्जती की फिक्र नहीं करते हैं.. जो जानते है वो सही काम की इज़्जत भी करते हैं..
दूर बैठे रहोगे, पास न आओगे कभी !
ऐसे रूठोगे तो ”जान” ले जाओगे कभी !
शोले बन जायेगें सभी फूल मेरे आंचल के !
तुम जो मोहब्बत की घटा बनके न छाओगे कभी !!
हमें सुकून नहीं मिल पाता हैं.. सम्मान देकर हर किसी को सबसे बड़ा सम्मान मिल जाता हैं..
मैं झुक गया तो वो “सज़दा” समझ बैठे, मैं तो इन्सानियत निभा रहा था, वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे।।
दुनिया में सबसे अच्छा तोहफा वक्त है,
क्योंकी जब आप ‘किसी’ को अपना वक्त देते हो,
तो आप उसे अपनी जिंदगी का वह पल देते हैं,
जो कभी लौटकर नही आता…
बार बार आंसू साफ कीजिए, बेइज्जती करता रहूंगा , आप बस ‘थोड़ा’ बात कीजिए .
कभी हौसला भी आजमा लेना चाहिए; बुरे वक़्त में “मुस्कुरा” लेना चाहिए; अगर सांतवे दिन भी खुजली ना मिटे तो; आठवें दिन नहा लेना चाहिए।
तुमसा कोई ‘दूसरा’ जमीन पर हुआ;
तो रब से शिकायत होगी!
एक का तो झेला नहीं जाता;
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी!
तमीज सीखानी पड़ती है लोगों को.. बेइज्जती करना ‘आसान’ लगता सबको..
इश्क पर कई लोग करते है अपना गुमान.. फरेब की चाहत में होता उनका अपमान..
हर दफा जज्बातों का तूने ‘अपमान’ किया है.. जिससे मुझे परहेज था बिल्कुल वही किया है..
बेइज़्ज़ती करना आसान है साहब सभी को “इज़्ज़त” देना एक सी ये बड़ी बात है।
किसी की बेइज्जती करने से पहले हज़ार बार सोच लेना.. किसी की बद्दुआएं कहीं मुश्किल ना कर दे जीना..
बोलने में मेरी आवाज़ कांप रही है, तुझसे बात करके अब वह बात नहीं है,,,,,। जलील होकर जी रहा हूं,,शायद आज-कल,, हां,तुम्हारी ही बातें मुझे बेइज्जती नवाज़ रही है,,,,,,,।
मेरे दोस्तों में एक भी सांप नहीं है सारे कुत्ते हैं।
सफलता के सफर मैं ‘बेइज्जती’ भी जरूरी है जनाब इससे डरने वाले बिखर जाते है और लड़ने ‘वाले’ निखर जाते हैं..
भोकना और चिल्लाना कुत्तों का काम है हम तो बेज्जती भी इज्ज़त से करते है।
अगर बता दिया होता की तुम टूट के बिखर चुकी हो
तो समेट के कचरे के डिब्बे में फेक देता।
अपमान वाली शायरी
मै बन जाऊ कितना भी सुथरा, बेज्जती करते वो हर बार थे पर जब बोल दे पीठ पीछे कोई, तो साले उसे ”तोड़ने” के लिए भी तैयार है।
भोकना और चिल्लाना कुत्तों का काम है, हम तो “बेज्जती” भी इज्ज़त से करते है।
बेज्जती को लेकर चलता हू मै अकेले इस सड़क पर और हमेशा ‘वक़्त’ कहता आए रहा है किसी के लिए भी अच्छा मत करो।
अब न देखेंगे किसी को तुम्हें देखने के बाद, दुनिया ”छोड़” देंगे तुम्हें छोड़ने के बाद, खुदा माफ़ करे इतने झूठ बोलने के बाद…
इस दिल को तो एक बार को, बहला कर चुप करा लूँगा, पर इस ‘दिमाग’ का क्या करूँ, जिसका तुमने दही कर दिया है।
पानी आने की बात करते हो, दिल जलाने की ‘बात’ करते हो, चार दिन से मुहँ नही धोया, तुम नहाने की बात करते हो.
एक साल में बारा महीने होने है, ये दोस्त पूरे साल पूरी ज़िन्दगी कमीने होते हैं।
हम उस ”ऊंचाई” पर हे जहा तुम्हारे ‘सर’ से ज्यादा उंचाई पर हमारे पांव रहते हे ।
बेज्जती को ‘लेकर’ चलता हू, मै अकेले इस सड़क पर, और हमेशा वक़्त कहता आए रहा है, किसी के लिए भी अच्छा मत करो।
पानी आने की बात करते हो, दिल जलाने की बात करते हो, चार दिन से मुंह नहीं धोया, तुम नहाने की बात करते हो…
बेइज़्ज़त लाख हुआ है ये दिल तेरी महफिलों में, मगर एक बार भी इसने बुरा नहीं माना।
शाम-होते ही ये दिल उदास होता हैं, टूटे ख्वाबों के सिवा कुछ न पास होता हैं, तुम्हारी याद ऐसे ”वक्त” बहुत आती हैं, जब कोई बंदर आस-पास होती हैं.
बेइज्जती मत करना.. वरना जिंदगी भर पड़ेगा प्यार के लिए तरसना..
इतिहास गवाह है जिसे इस दुनिया में “बेइज़्ज़त” होने का डर रहा है उसकी कभी ज़माने में कभी इज़्ज़त नहीं हुई।
तारीफ़ के काबिल हम कहाँ, चर्चा तो आपकी चलती हैं, सब कुछ तो हैं आपके पास, बस सींग और ”पूंछ” की कमी खलती हैं.
जब तू होती थी मेरी जिन्दगी में तो तेरे मेरे इश्क के चर्चे बहुत थे, अच्छा ही हुआ जिन्दगी से चली गयी तू क्योकि तेरे ”खर्चे” ही बहुत थे.
लगातार एक से प्यार करना, कोई ‘बेइज्जती’ नहीं होता , “सच कहूं यारो” गरीब के प्यार की कोई इज्ज़त नहीं होती ।
मज़ाक उतना ही करो जितना कि बेइज्जती ना हो , दुस्मनी झेल लेंगे साहब पर यह साली बेज्जती बरदाशत नहीं होती।