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Zindagi Shayari
क्या हुआ करता था मैं
और क्या अब हो गया हूं
बच्चा भी हूं में कही में
या पूरा ही खो गया हूं..!
जिंदगी मैथमेटिक्स
का सवाल हो गई है
साल दर साल
बवाल हो गई है..!
एक तूफ़ान उठता है
हर रोज मेरे भीतर
और सुकून को कही
दूर उड़ा ले जाता है..!
अपनी ही जिंदगी से मैं
आज रूबरू करने लगी थी
जुगनू को ही तकदीर
समझकर मैं बढ़ने लगी थी.
क्या कीमत लगाऊं मैं खुद की l
अब पेड़ से गिरी पत्तियां तो
रद्दी के भाव में भी नही बिकती..!
नया कल चौखट पर है
आज उस पर एतबार कर
कब तक बीते कल में उलझेगा
चल आज एक नई शुरुआत कर..!
ZINDAGI एक खेल है
इसे हर रोज एक नए तरीके से
खेलना हमे #Sikhana होगा !
जिंदगी ख्वाहिशों की एक खुली #Kitab है
जिंदगी #Sanson और तन्हाइयो का हिसाब है !
जिंदगी और खुद से प्यार करो तभी हम
जीवन को बेहतर तरीके से जी सकते है !
जिंदगी को अगर बेहतर बनाना है
तो दर्द को छुपाना होगा और गम में
मुस्कुराना सीखना होगा !
मेरी जिंदगी का हर
दिन खूबसूरत हो जाए
मेरी बिछड़ी हुई मोहब्बत मुझे मिल जाए !
मेरे बेजुबा इश्क को गम का तोहफा दे गई
जिंदगी बन कर आई थी और जिंदगी ही ले गई !
उसी मोड़ से शुरू करनी है
फिर से मुझे जिंदगी जान सारा
शहर अपना था और तुम अजनबी थे !
आओ हम चांद का किरदार
अपना ले दाग अपने पास
रख लें और रोशनी बांट दें !
अगर जिंदगी में कुछ पाना चाहते हो
तो अपनी सोच बदलो इरादे नही !
अपने बीते हुए कल को भूल कर
आज में जीना ही जिंदगी है और
समय की चाल के साथ चलना ही जिंदगी है !
जिंदगी हर रोज सूर्य की पहली
किरण के साथ नई उम्मीद देती है
यही इंसान के लिए जीने की वजह देती है !
समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए।
एक साँस सबके हिस्से से हर पल घट जाती है
कोई जी लेता है जिंदगी किसी की कट जाती है !
आया ही था खयाल कि आँखें छलक पड़ीं
आँसू किसी की याद के कितने करीब हैं!
इक टूटी सी ज़िंदगी को समेटने की चाहत थी
न खबर थी उन टुकड़ों को ही बिखेर बैठेंगे हम।
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से।
सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है!
फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की
जैसे ये ज़िंदगीए ज़िंदगी नही कोई इल्जाम है!
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको
ऐ ज़िंदगीए मुझे रोज रोज तमाशा न बनाया कर।
मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही
पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते!
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नजर तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजर से हम।
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो
कई अपने मेरे बदल गये अब तो
करते थे बात आँधियों में साथ देने की
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
ज़िन्दगी में ऐसे लोग भी होते है
जिन्हें हम पा नही सकते सिर्फ चाह सकते है!
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले!
ज़िन्दगी कभी आसन नही होती इसे आसान करना
पड़ता है कुछ नजर अंदाज करके कुछ को बर्दास्त करके!
ज़िंदगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नही !
यह मेरा टूटना और टूट कर बिखर जाना
कोई इत्तेफाक नहीं है
किसी ने बहुत मेहनत की है
मुझे इस हाल तक पहुंचाने के लिए !
मत सोच इतना ज़िन्दगी के बारे में
जिसने ज़िन्दगी दी है उसने भी कुछ तो सोचा होगा !
एक उम्र गुस्ताखियों के लिये भी नसीब हो
ये ज़िंदगी तो बस अदब में ही गुजर गई।
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई ऊस वक़्त
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नही होता !
मेरी ज़िन्दगी तुम बन गई
मुझे जीना सिखा दिया तुमने !!
हर बात मानी है तेरी सिर झुका कर ऐ ज़िंदगी
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी।
बाज़ार जा के ख़ुद का कभी दाम पूछना
तुम जैसे हर दुकान में सामान हैं बहुत
आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे
बाहर जो सुनने वाले हैं शैतान हैं बहुत!
जो मिला कोई न कोई सबक दे गया
अपनी ज़िन्दगी में हर कोई गुरु निकला!
अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट
हो गया है ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा थोड़ा।
मशहूर होना पर मगरुर ना होना
कामयाबी से नशे मे चूर ना होना
मिल जाए सारी कायनात आपको अगर
इसके लिए अपनो से कभी दूर मत होना!