100+ Shayari on Beauty: Discover an enchanting collection of poetic verses celebrating the allure of beauty. Each verse weaves an intricate tapestry of admiration for nature’s splendor and the elegance of the human soul. These shayaris paint vivid pictures of the moon’s radiance, the stars’ twinkling, and the sun’s warmth, paralleling them to the grace of a beloved. The metaphors evoke feelings of wonder and admiration, likening beauty to the melody of a song, the fragrance of a flower, and the artistry of a painter’s brush. Embark on a journey through these verses, where words dance with emotion and every line captures the essence of beauty’s timeless charm.
Shayari on Beauty
तेरे दिल की सुनवाई में,
सच्चे आशिक का इलज़ाम क़ुबूल है हमें..
रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है।
ढाया है खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर,
तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क़ देकर।
क्या लिखूं तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार,
अलफ़ाज़ कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर।
कुछ फिजायें रंगीन हैं, कुछ आप हसीन हैं,
तारीफ करूँ या चुप रहूँ जुर्म दोनो संगीन हैं।
करूँ कैसे कोई भी काम मैं जब,
कमी मुझे यहाँ तेरे लिए महसूस हो रही हो.कैसे लिखूं तारीफ में तेरी वो शायरी,
जहाँ अल्फ़ाज़ों की कमी तुझे देखकर हो रही हो !
तू जरा सी कम खूबसूरत होतीतो भी बहुत खूबसूरत होती.
कोई इस कदर है इतना खूबसूरत,
बस गयी नैनों में उसकी प्यारी मूरत।दिलबर की हर एक अदा मुझे भाए,
चाहत है कि वो ज़िन्दगी भर साथ निभाए।
होश-ए-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।
मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँइस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।
आज उसकी मासूमियत के कायल हो गए,
सिर्फ उसकी एक नजर से ही घायल हो गए।
और भी इस जहां में आएंगे आशिक कितने,
उनकी आंखों को तुमको देखने की हसरत रहे।
तुझे हर जगह ढूंढने की मेरी आदत बन गयी,
कम से कम एक बार तुझे देखने की मेरी आदत बन गयी.मुड़कर पीछे देखना तो फितरत में नहीं था मेरे,
अब तो गलियों में भी पीछे देखने की मेरी आदत बन गयी l!
तुझको देखा ✧ फिर उसको ना देखा ✧चांद कहता रहा✧…मैं चांद हूं, मैं चांद हूं
चढ़ गया तेरे नाम, का ऐसा फितूर.कि सामने तेरे लगे मुझे सब बेनूर.
अभी इस तरफ़ न निगाह करमैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईनातुझे आईने में उतार लूँ।
हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है,
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया,
उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया।
इस जहां में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,
सदियों तक इस जमीं पे तेरी कयामत रहे।
कैसे करूँ तारीफ शब्दों में तेरी,
नहीं जानता मैं,कुदरत की नायाब रचना पर शब्द कहाँ से लाया जाता है.
जब भी लिखता हूँ मैं कुछ भी तेरे बारे में तो,
पन्ना भी खूबसूरती का दीदार करने बैठ जाता है.
खबर है कलम को भी कहीं खूबसूरती को आँच ना आये तेरे,
तभी तेरा नाम आता नही की कलम भी चलना भूल जाता है !
तेरी खाई हुई मेरे सर की झूठी कसमें,
अब मुझे अक्सर बीमार रखती हैं
खूबसूरती में तेरी खो गए हम,तेरे तो दीवाने हो गए हम .
अपने हुसन से मुझे तड़पाते हो,इस सच्चे आशिक का फायदा उठाते हो.
उसके हुस्न से मिली है मेरे इश्क को ये शौहरत,
मुझे जानता ही कौन था तेरी आशिक़ी से पहले।
हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे,
ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है।
वो मुझसे रोज़ कहती थी मुझे तुम चाँद ला कर दो,
उसे एक आईना दे कर अकेला छोड़ आया हूँ।
तुझको देखा… तो फिर… उसको ना देखा,
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ।
नदियों को शान्ति सागर में आकर हुआ,
मन को शांति मंदिर में आकर हुआ.
ढूंढ रहा था जब खूबसूरती की चरम को,
तो मेरी खोज का अंत तुम पर आकर हुआ !
वह मुझसे रोज कहती थी,
मुझे तुम चांद ला कर दो.उसे एक आईना देकर,
अकेला छोड़ आया हूं.
जितना ज़िन्दगी हमारे साथ खेलेगी,
उतना ही अच्छा वो हमे खिलाड़ी बना देगी.
कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा,
नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा।
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हेंतुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछोकितने लाजवाब हो तुम।
उफ्फ ये नज़ाकत ये शोखियाँ ये तकल्लुफ़,
कहीं तू उर्दू का कोई हसीन लफ्ज़ तो नहीं।
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
जब से देखा है तुमको न जाने क्या हो गया है,
मेरे लिए रात और दिन बराबर सा हो गया है.
ये कैसा नशा है आँखों में तेरी जो,
झाँका था आँखों से पर नशा दिल को हो गया है !
कमियां तो बहुत है मुझ में,
पर कोई निकाल कर तो देखें.
खूबसूरत होते है वो लोग,
जो दूसरों से प्यार करते.
दूसरों की मदद करते हुए,
दूसरों के लिए जीते-मरते.
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
उनके हुस्न का आलम न पूछिये,
बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर।
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदालड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर,
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
जंगली जड़ी बूटी सी मैं दोस्तों,किसी को जहर,
किसी को दवा सी लगती हूं.
इंसान अपनी ज़िन्दगी में,जीने आता हैमगर कैसे जीना है,
उसे मरते दम तक नहीं आता है..
ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ तो दूसरी होश उड़ा देती है।
न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा।
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है,
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,
खूबसूरती की इंतेहा है तू…
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।
कहाँ तक लिखूं एक ताज़ा शायरी आपके लिए,
आपके हुस्न में तो रोज एक नयी बात हुआ करती है।
बिल्कुल चांद की तरह है नूर भी, गुरुर भी, दूर भी.
खूबसूरत है ज़िन्दगी हँसते-मुस्कुराते जीलो ,
कैसे भी हो गिले-शिकवे मन से एकदम भूलो .
ज़िन्दगी तो बस चलते रहने का नाम है ,
एक ही बार मिलती है जी भर के इसका मज़ा लेलो .
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार,
फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।