Ruswayi Shayari, a captivating form of Urdu and Hindi poetry, delves into the complexities of heartbreak and estrangement. This genre of Shayari expresses the emotions of disappointment, separation, and hurt that arise from fractured relationships. With poignant verses and heartfelt words, Ruswayi Shayari portrays the pain of unrequited love, lost friendships, and shattered trust. Each line bears the weight of emotions, capturing the anguish and vulnerability of those who feel abandoned or betrayed. Through its expressive language, Ruswayi Shayari offers solace to the wounded soul and serves as a poignant reminder of the fragility of human connections. As a compelling form of expression, it continues to resonate with those navigating the turbulent waters of emotional upheaval, finding comfort in shared experiences through the art of poetry.
Ruswayi Shayari
हमारे नाम लिखी जा चुकी थी रुस्वाई,
हमें तो होना था यूँ भी ख़राब चारों तरफ़..!!
किसी दिन मेरी रुस्वाई का ये कारन न बन जाए,
तुम्हारा शहर से जाना मिरा बीमार हो जाना..!!
इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा,
आदमी काम का नहीं होता..!!
कोई तोहमत हो मिरे नाम चली आती है,
जैसे बाज़ार में हर घर से गली आती है..!!
जिस जगह बैठे मिरा चर्चा किया,
ख़ुद हुए रुस्वा मुझे रुस्वा किया..!!
वो जुनूँ को बढ़ाए जाएँगे,
उन की शोहरत है मेरी रुस्वाई..!!
इश्क़ की रूसवाई से मैं क्या पाऊँगी,
मुहब्बत की मैं भी गुनहगार हो जाऊँगी..!!
कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उसने,
बात तो सच है मगर बात है रूसवाई की..!!
तुमको शोहरत हो मुबारक हमदम हमे रुसवा न करो,
तुम भी बिक जाओ एक रोज ऐसा कोई सौदा न करो..!!
उसकी बेवफ़ाई ने हमे रुसवा कर दिया,
जिसके लिए जीता था उसने ही मार दिया..!!
फिर उसी की याद में दिल बेक़रार हुआ है,
बिछड़ के जिस से हुयी शहर शहर रुसवाई..!!
ज़माने को अपना चेहरा दिखाना पड़ा मुझे,
पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे,
रुसवाईयों के डर से महफिल में आज,
फिर इस #बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे..!!
जमाने भर की रुसवाईयाँ और बेचैन रातें,
ऐ दिल कुछ तो बता ये माजरा क्या है..!!
खुलता किसी पे क्या मेरे दिल का मामला,
शायरों के इन्तिखाब ने रुसवा किया मुझे..!!
कुछ इस तरह से रुसवा कर दिया उसने मुझे,
कि साँस भी न रुकी और मौत भी आ गई..!!
कुछ कमी रह गई है शायद मेरी रुसवाइयों में,
तुझ से फिर मैं दिल लगाना चाहता हूँ..!!
दुनिया को अपना चेहरा दिखाना पड़ा मुझे,
परदा जो दरमियाँ था हटाना पड़ा मुझे,
रुसवाइयों के खौफ से भरी महफ़िल में आज,
फिर उस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे..!!
जमाने भर की रुसवाईयाँ और बेचैन रातें,
ऐ दिल कुछ तो बता ये माजरा क्या है..!!
तमाशा यहाँ इश्क़ ही नहीं करता,
इस पेट ने भी दी है रुस्वाईया बहुत..!!
कुछ तुम रूठे कुछ मैं रूठी बात हो गई रुसवाई की,
ना तुम समझे न मैं मानी वजह बन गई तन्हाई की..!!
किसी को मोहब्बत में अगर तुम यूँ रुसवा करोगे,
लोग मोहब्बत करना छोड़ देंगे फिर क्या करोगे..!!
ना कर दिल बेसब्र ना रुसवा कर मुझे,
जुर्म बता सजा सुना और किस्सा खत्म कर..!!
राह भी तुम हो राहत भी तुम ही हो,
मेरे सुख और दुख को बांटने वाली,
हमसफर भी तुम ही हो..!!
बस सफर हमारा है बाकी सफर के हिस्से है,
जो साथ चले वो हमसफर जो छुट गए वो किस्से है..!!
फिर उसी की याद में दिल बेक़रार हुआ है,
बिछड़ के जिस से हुयी शहर-शहर रुसवाई..!!
ना तो कारवाँ की तलाश है,
ना तो हमसफ़र की तलाश है,
मेरे शौक़-ए-खाना खराब को,
तेरी रहगुज़र की तलाश है..!!
सियासत की दुकानों में रोशनी के लिए,
जरूरी है कि मुल्क मेरा जलता रहे..!!
जमाने भर की रुसवाईयाँ और बेचैन रातें,
ऐ दिल कुछ तो बता ये माजरा क्या है..!!
सियासत की दुकानों में रोशनी के लिए,
जरूरी है कि मुल्क मेरा जलता रहे..!!
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ,
के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले..।!!
तन्हाई में मुस्कुराना भी इश्क़ है और,
इस बात को सबसे छुपाना भी इश्क़ है..!!
यादों में आपके तनहा बैठे हैं,
आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,
आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,
इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं..!!
कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमको जरा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई..!!
क्या मिला तुम को मेरे इश्क़ का चर्चा कर के,
तुम भी रुस्वा हुए आख़िर मुझे रुस्वा कर के..!!
कितने तोहफे देती है ये मोहब्बत भी,
रुसवाई अलग जुदाई अलग तन्हाई अलग..!!
लगता हैं इन हवाओं में रुसवाई मिल गयी हैं,
तन्हाई मेरी किस्मत में लिख दी गयी हैं,
पहले यकीन हुआ करता था,
अब दिल को तस्सली देनी पड़ती हैं कि तुम मेरे हो..!!