Embark on a journey of aspirations with over 100 heartfelt “Manzil Ki Raah” Shayari. Each verse reflects the essence of chasing dreams, navigating challenges, and finding strength within. These Shayaris paint the path to success, where every step echoes determination, resilience, and the pursuit of one’s goals. Through poetic words, experience the highs and lows of life’s journey, as each Shayari encapsulates the spirit of moving forward with unwavering hope.
Manzil Ki Raah Shayari
मंज़िल की राहों में जब तक हूँ,
दिल के दर्द को सहता रहूँ।
चलने की राहों में हर कदम एक सिख है,
मंज़िल की तलाश में जीवन की यह गीत है।
मंज़िल की तलाश में निकल पड़ा हूँ,
राह में मिले रंग-मोहब्बत के बदल पड़ा हूँ।
हर मुश्किल को अपने हौसलों से छू लेता हूँ,
मंज़िल की ओर बढ़ता जा रहा हूँ।
चलते जाना हूँ मंज़िल की ओर,
जीवन के सफर में अपने सपनों को पूरा करता जा रहा हूँ।
मंज़िल की राहों में जादू है,
हर कदम नए सपनों की ओर ले जाता है।
जीवन के सफर में मंज़िलें मिलें या न मिलें,
मैं राहों में अपनी मिटटी का सफर जारी रखता हूँ।
मंज़िल की तलाश में जीवन की राहों पे,
सपनों की उड़ानों को बढ़ता जा रहा हूँ।
मंज़िल की दीवारों को छूने की आस में,
दिल के सपनों को हकीकत बनाता जा रहा हूँ।
राहों में मिले जो गहराईयों का अहसास,
मंज़िल की दौड़ में मैं बस तय कदमों में हूँ।
मंज़िल की खोज में आगे बढ़ता जाऊं,
चाहे मुझे मिलें मुश्किलें या बिना मंज़िल के राह।
मंज़िल की राहों में बस एक सपना हूँ,
जीवन के सफर में उस सपने को पूरा करता जा रहा हूँ।
मंज़िल की तलाश में निकल पड़ा हूँ,
राह में हर कदम नई कहानियाँ बिछाता जा रहा हूँ।
राहों में मिलेगा मुझको मेरा रास्ता,
मंज़िल की दीवारों को छूकर ही मैं सफलता पा रहा हूँ।
मंज़िल की तलाश में कदम बढ़ा रहा हूँ,
राहों में चुनौतियों को गले लगाता जा रहा हूँ।
जीवन की मंज़िलों का सफर जारी है,
राहों में मिलती है खुशियों की चमक सारी।
मंज़िल की खोज में जीवन के सफर में,
हर मुश्किल को अपने दिल में बसाता जा रहा हूँ।
राहों में हर कदम अद्वितीय है,
मंज़िल की ओर बढ़ता जा रहा हूँ ख्वाबों के साथ।
मंज़िल की राहों में उम्मीद का दीपक जलता हूँ,
राहों के कठिनाइयों से अपने आप को नहीं हारने देता।
राहों में मिलेगा मुझको मेरा मक्सद,
मंज़िल की तलाश में बेहद उत्साह से बढ़ता जा रहा हूँ।
मंज़िल की तलाश में कदम बढ़ा रहा हूँ,
राहों में छुपे सब्र और आत्मविश्वास को सहारा बनाता जा रहा हूँ।
राहों में मिलेगा मुझे मेरा आगाज़,
मंज़िल की उम्मीद में आगे बढ़ता जा रहा हूँ।
मंज़िल की तलाश में हर कदम बढ़ाता हूँ,
राहों में अपने सपनों को साकार करता जा रहा हूँ।
जीवन की मंज़िलों की ओर बढ़ता जा रहा हूँ,
हर रुकावट को आत्मविश्वास से पार करता जा रहा हूँ।
मंज़िल की राहों में खोया हूँ मैं,
राह में मिलेंगे नए मौके, नए सफर मैं।
राहों में हर कदम नई खोजों की ओर ले जाता है,
मंज़िल की दीवारों को छूने की आस में निकल पड़ता हूँ।
मंज़िल की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा हूँ,
राहों के संघर्षों को मिटाता जा रहा हूँ।
जीवन की मंज़िलों का सफर जारी है,
राहों में उन ख्वाबों को पूरा करता जा रहा हूँ।
मंज़िल की राहों में आगे बढ़ता जा रहा हूँ,
राहों की चुनौतियों को साहस से निभाता जा रहा हूँ।
राहों में हर कदम एक नई कहानी लिखता जा रहा हूँ,
मंज़िल की तलाश में खुद को पाना जारी रखता हूँ।
मंज़िल की राहों में आगे बढ़ता जा रहा हूँ,
राहों में बिखरी मुश्किलें को समेटता जा रहा हूँ।
जीवन की मंज़िलों का सफर है यह,
मंज़िल की तलाश में हर दर्द को सहता जा रहा हूँ।
रख हौसला वो मंज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समन्दर भी आएगा,
थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफ़िर
मंजिल भी मिलेगी, और मिलने का मज़ा भी आएगा.
मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं.
मंजिल मिले या ना मिले ये तो
मुकद्दर की बात है हम कोशिश भी
ना करे ये तो गलत बात हैं !!
सोचने से कहाँ मिलते है तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरूरी है मंजिल को पाने के लिए.!
कोशिश के बावजूद हो जाती है कभी हार,
होकर निराश मत बैठना ऐ मेरे यार,
बढ़ते रहना आगे ही जैसे भी मौसम हो,
पा लेती मंजिल चींटी भी…गिर फिर कर कई बार.
कब मिल जाए किसी को मंजिल ये मालूम नहीं,
इंसान के चेहरे पर उसका नसीब लिखा नहीं होता
कभी उनको मिलती नहीं कोई मंजिल,
बदलते है जो हर कदम पर इरादें.
मंजिल सामने थी मगर रास्ते कहीं खो गये,
हम तुम अपने घरों के वास्ते कहीं खो गये.
ठोकरे मिलती है सफलता की राहों में
यह हर कोई जानता है,
पर मंजिल सिर्फ उसी को मिलती है
जो कभी हार नहीं मानता है.
कितना मुश्किल है बड़े हो कर बड़े रहना भी,
अपनी मंजिल पर पहुँचना भी खड़े रहना भी.
मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं !!
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा !!
मिलना किस काम का अगर दिल ना मिले,
चलना बेकार है जो चलके मंजिल ना मिले.
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है कि पैरों में कुछ थकान रहे.
दिल बिन बताएं मुझे ले चला कहीं,
जहाँ तू मुस्कुराएँ मेरी मंजिल वहीं.l
रास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में,
मंज़िल तो वहां है जहां ख्वाहिशें थम जाएं।
मंजिल इंसान के हौसलें आजमाती है,
सपनों के पर्दे, आँखों से हटाती है,
किसी भी बात से हिम्मत ना हारना
ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है.
मेरी हर अदा का आइना तुझसे है,
मेरी हर मंजिल का रास्ता तुझसे है,
कभी दूर न होना मेरी जिन्दगी से
मेरी हर ख़ुशी का वास्ता तुझसे है.
बहुत गुरूर था, छत को छत होने पर,
एक मंजिल और बनी और वो छत फर्श हो गई.
अगर निहागें हो मंजिल पर और कदम हो राहों पर,
ऐसी कोई राह नहीं जो मंजिल तक न जाती हो.
हर सपने को अपनी साँसों में रखे
हर मंज़िल को अपनी बाहों में रखे
हर जीत आपकी ही है
बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखे !!
मंज़िल होगी आसमाँ ऐसा यकीं कुछ कम है
अपने नक्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है !!
मंज़िले हमारे करीब से गुज़रती गयी जनाब
और हम औरो को रास्ता
दिखाने में ही रह गये !!
हौसले बुलंद रखो मंज़िल मिल ही जाएगी
काँटों पर चलने वालों को
फूलों की राह मिलेगी !!
रास्ते कहां खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएं !!
नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही !!
बढ़ते चले गए जो वो मंज़िल को पा गए
मैं पत्थरों से पाँव बचाने में रह गया !!
मंज़िल को पाने की अक्सर ज़िद में पलते है
वह दुनिया जीत लेते है जो अकेले चलते है !!
कोई मंज़िल के क़रीब आ के भटक जाता है
कोई मंज़िल पे पहुँचता है भटक जाने से !!
किसी की सलाह से रास्ते जरूर मिलते है,
पर मंजिल तो खुद की मेहनत से ही मिलती हैं.
मंज़िल पाना तो बहुत दूर की बात है
गरूर में रहोगे तो रास्ते भी न देख पाओगे !!
पहुँचे जिस वक़्त मंज़िल पे तब ये जाना
ज़िन्दगी रास्तों में बसर हो गई !!
सामने हो मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना,
जो भी मन में हो वो सपना मत तोड़ना,
कदम कदम पर मिलेगी मुश्किल आपको
बस सितारे छूने के लिए जमीन मत छोड़ना.
मंजिल मिलने से दोस्ती भुलाई नहीं जाती
हमसफ़र मिलने से दोस्ती मिटाई नहीं जाती
दोस्त की कमी हर पल रहती है यार
दूरियों से दोस्ती छुपाई नहीं जाती !!
किसी को घर से निकलते ही
मिल गई मंजिल कोई हमारी
तरह उम्र भर सफ़र में आया!!
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब मंज़िल बढ़ती आती है
चुपके-चुपके मेरे हक़ में कौन दुआएं करता है !!
सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत
राह-ए-शौक़ में
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही !!
मेरी पतंग भी तुम हो
उसकी ढील भी तुम
मेरी पतंग जहां कटकर गिरे
वह मंज़िल भी तुम !!
मंज़िल का पता है न किसी
राहगुज़र का
बस एक थकन है कि जो
हासिल है सफ़र का !!
ऐसे चुप है कि ये मंजिल भी कड़ी हो जैसे,
तेरा मिलना भी जुदाई की घड़ी हो जैसे.
कामयाबी के लिए जरूरी है
सही रास्ता चुनना,
किसी भी रास्ते पे चलने से
मंजिल नहीं मिलती.
हल मुश्किल का पाने के लिए
दिमागी पेच लड़ाने पड़ते हैं,
बैठे-बैठे मंजिल नहीं मिलती
कुछ कदम बढ़ाने पड़ते हैं.
दिल के जज्बातों को खबर करते रहो,
जिंदगी मंजिल नहीं सफर है, चलते रहो.
सपनों की मंजिल पास नहीं होती,
जिन्दगी हर पल उदास नहीं होती,
ख़ुदा पर यकीन रखना मेरे दोस्त,
कभी-कभी वो भी मिल जाता है
जिसकी आस नहीं होती…
सफ़र से इश्क करना सीखों,
मंजिल तो कुछ पल की मेहमान है.
रोक नहीं सकता कोई,
मन से इतना कहना होगा,
मंजिल को पाने के लिए
कठिन रास्तों पर चलाना होगा.
मुसाफिर को रास्ते के
पत्थर स्वयं ही हटाने होगे
खुद ही अपनी मंजिल की
तरफ कदम बढ़ाने होगे..!
मंज़िले ख़ुद राह दिखाती है अग़र
ख़्वाहिश बुलन्द हो तो
खुदा की रहमत मंज़िल बन जाती है !!
अगर निगाहे हो मंज़िल पर और कदम हो राहो पर
ऐसी कोई राह नही जो मंज़िल तक ना जाती हो !!
मंज़िल को हासिल करने वाले
अक्सर देर तक नही सोते !!