“100+ ‘I Hate My Life’ Shayari: Delve into a collection of intense verses that artfully express the turmoil and despair within. These poignant Shayari pieces provide a platform to vent the frustrations and complexities of life, offering solace to those who resonate with the feelings of disappointment. Through poetic expression, this compilation reflects the power of words in navigating and understanding the darker facets of existence.”
I Hate My Life Shayari
तुम ना ही मिलते तो अच्छा था,
बेकार में मोहब्बत से नफरत हो गयी !
I Hate My Life
कितनी झूठी होती है मोहब्बत की कसम,
देखो तुम भी जिंदा हो मैं भी जिंदा हूँ !
खामोशियां बेवजह नहीं होती,
कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं !
कुछ इस अदा से निभाना है,
किरदार मेरा मुझको,
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे वो,
नफरत भी ना कर सके !
जाने क्या मुझसे जमाना चाहता है,
मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसाना चाहता है,
जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से,
हर शख्स मुझे आजमाना चाहता है !
वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी !
उसको याद करते हुए कुछ ऐसा भी
सोना चाहता हूँ
कि कभी आंख ही नहीं खुलेगी !
I Hate My Life
प्यार किया तुझसे,
एक खता हो गयी मुझसे,
अब सिर्फ जी रहे हैं नफरत से !
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करूं
यहाँ तो लोग नफरत भी करते है प्यार की तरह !
वो बोली I Hate You
मेरी कसम खाकर बोलने को कहा तो,
पगली रोने लग गयी !
जो सबको संभालने की कोशिश करता है न,
उसको संभालना हर कोई भूल जाता है !
I Hate My Life
आज खुद को इतना तन्हा,
महसूस किया है,
जैसे कोई दफना के छोड़ गया हो !
नफरत हो जाएगी तुझे खुद से,
मैं अगर तुझसे तेरे ही अंदाज में बात करूं !
नफरत कभी न करना तुम हमसे,
ये हम सह नहीं पायेंगे,
एक बार कह देना हमसे जरूरत नहीं अब तुम्हारी,
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे !
मुझे किसी ने पूछा दर्द की कीमत क्या है,
मैंने कहा मुझे नहीं पता लोग तो मुझे मुफ्त में दे जाते हैं !
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के
तुम बस काबिल हो बस मेरी नफरत के !
तकलीफें कहें भी तो किससे कहें,
यहाँ हर शख्स सिर्फ मतलब में ही याद करता है |!
धोखा देकर ऐसे चले गए
जैसे कभी जानते ही नहीं थे,
अब ऐसे नफरत जताते हो,
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे !
अपने दिल की गहराईयों में,
उसका नाम तो लिख लिया,
पर ये न सोचा के,
तकदीर तो खुदा लिखता है !
रास्ता ऐसा भी दुशवार न था,
बस उसको हमारी चाहत पे ऐतबार न था,
वो चल न सकी हमारे साथ वरना,
हमे तो जान देने से भी इनकार न था !
तु भी आइने की तरह बेवफा निकली,
जो भी सामने आया तु उसी की हो गयी !
वक्त पर सुधर जाओ मेरे यारों,
वरना जिंदगी सुधरने का मौका नहीं देती है !
नफरत करती हो तो कह दो,
यू औरो से मिलकर दिल क्यों जलाती हो !
अधूरी कहानी पर खामोश होठों का पहरा है,
चोट रूह की है इसलिए दर्द जरा गहरा है !
ना जाने क्यों हर गलती की वजह हूँ मैं,
कभी कभी लगता है कि दुनिया में ही बेवजह हूँ !
तूने जो किया गुनाह हम तुझे माफ न करेंगे,
अगर मिल भी गए किसी और जनम में,
हम तब भी तुझसे नफरत ही करेंगे !
ये दुनिया दिखावे की बनी हुई है,
यहाँ अपने तो असली में हैं,
पर उनका अपनापन दिखावे का है !
अगर इतनी ही नफरत है हमसे तो !!
दिल से कुछ ऐसी दुआ करो कि !!
आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये !!
और हमारी ज़िन्दगी भी !!
नफरत कभी न करना तुम हमसे !!
ये हम सह नहीं पायेंगे !!
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी !!
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे !!
प्यार किया बदनाम हो गए !!
चर्चे हमारे सरेआम हो गए !!
ज़ालिम ने दिल उस वक़्त तोडा !!
जब हम उसके गुलाम हो गए !!
आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए !!
महसूस हुआ तब जब वो जुदा हुए !!
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो !!
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए.
नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यों किया !!
देना था ज़हर तो प्यार क्यों किया !!
देकर ज़हर कहते हो पीना ही होगा और !!
जब पी गए ज़हर तो कहते हो अब जीना ही होगा !!
एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया !!
चंद लम्हों में जान लेती है !!
वर्ना मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो !!
जिंदगी बीत जाती है !!
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया !!
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ !!
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है !!
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ !!
नफरत कभी न करना तुम हमसे !!
ये हम सह नहीं पायेंगे !!
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी !!
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे !!
जीते थे कभी हम भी शान से !!
महक उठी थी फिजा किसी के नाम से !!
पर गुज़रे हैं हम कुछ ऐसे मुकाम से !!
की नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से !!
नफरत को मुहब्बत की आँखो में देखा !!
बेरुखी को उनकी अदाओ में देखा !!
आँखें नम हुए और मै रो पड़ा !!
जब अपने को गैरों कि बाहो में देखा !!