100+ gham bhari Shayari is a collection of heart-wrenching and soul-stirring poems that delve deep into the emotions of sorrow, loss, and despair. Through poignant verses and evocative imagery, these Shayaris express the pain of shattered dreams, unrequited love, and the agony of separation. Each line resonates with the ache of a broken heart, capturing the essence of human vulnerability and the struggle to find solace amidst adversity. This compilation of emotional poetry is a cathartic journey for those seeking to embrace their grief and find comfort in the power of words. Whether experiencing heartbreak or seeking empathy, these Shayaris provide a poignant reflection of life’s trials and tribulations.
Gham Bhari shayari
दर्द भी उनको मिलता है,
जो रिश्ते दिल से निभाते हैं।
कुछ इस तरह अपनी तमन्नाओं को
सुलगता हूं, आंखें भीगी होती है फिर
भी चेहरे से हंसता हूं।
कमाल की चीज है ये मोहब्बत
अधूरी हो सकती है,
पर कभी खत्म नही हो सकती।
कोई एहसान करदे मुझपे
इतना सा बता कर, भुलाया
कैसे जाता है दिल तोड़ने वाले को।
कुछ अजीब है ये दुनिया यहाँ झूठ नहीं,
सच बोलने से रिश्ते टूट जाते है।
उस शक़्स को अलविदा कहना
कितना मुश्किल है, जिसने हमें
बहुत सारी यादें दी हो।
दिल हमारा तोड़ कर चकनाचूर
कर गए उनकी खुशी के खातिर
हम उनसे दूर हो गए।l
ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार
दोनों मिलकर उसे भूल जाते है।
यह मोहब्बत बड़ी कमाल की
चीज होती है, मिल जाए तो मजा है
बिछड़ जाए तो सजा है।
वक्त हमे तजुर्वे तो बहुत
बड़े-बड़े देता है लेकिन
मासूमियत छीन लेता है।
इंसान की खामोशी ही काफ़ी है,
ये बताने के लिये की वो अंदर से टूट चुका है।
जिंदगी रही तो सिर्फ याद
तुम्हे ही करेंगे, जिस दिन याद न करें
तो समझना हम मर गये।
वो किसी महंगी खिलौने सी थी,
मैं गरीब का बच्चा बस देखता ही रह गया।
कुछ बातें समझाने से नहीं,
खुद पर बीत जाने से समझ आती हैं।
अक्सर मोहब्बत उन्ही लोगो से होती है,
जिन्हें पाना नामुमकिन होता है।
अखबार तो रोज़ आता है घर में,
बस अपनों की ख़बर नहीं आती आजकल।
कैसे करूँ मैं साबित
कि तुम याद बहुत आते हो
एहसास तुम समझते नही
और अदाएं हमे आती नही।
यही सोचकर सफाई नहीं दी
हमने इल्ज़ाम भले ही झूठे हैं
पर लगाए तो तुमने हैं।
रोज़ ख्वाबों में जीता हूँ वो ज़िन्दगी,
जो तेरे साथ मैंने हक़ीक़त में सोची थी।
जो इंसान आपको रोता छोड़ जाये,
तो वो इंसान कभी आपका नही हो सकता।
हम रूठे तो किसके भरोसे,
कौन आएगा हमें मनाने के लिए,हो सकता है,
तरस आ भी जाए आपको,
पर दिल कहाँ से लाये..आप से रूठ जाने के लिए..
तुम खुद ही उलझ जाओगेमुझे ग़म देने की चाहत में,
मुझमे हौंसला बहुत हैमुस्कुराकर निकल जाऊँगा।
सोचा था बताएँगे सब दर्द तुमको
,पर तुमने तो इतना भीन पूछा की, खामोश क्यों हो।
नजरिया भी बहुत तबज़्ज़ो रखता है,
तभी तो गरीब अक्सर खुश रहता है।
तू नाराज न रहा कर तुझे वास्ता है खुदा का,
एक तेरा चेहरा देख हम अपना गम भुलाते है।
इंसान अगर मोहब्बत में पड़े तो ग़म में पड़ ही जाता है,
क्योंकि मोहब्बत किसी को चाहे जितना भी करो,
थोड़ा सा तो कम पड़ ही जाता है।
माना कि ग़म के बाद मिलती है मुस्कराहटें,
लेकिन जियेगा कौन? तेरी बेरुखी के बाद।
उड़ता हुआ गुबार सर-ए-राह देख कर,
अंजाम हमने इश्क़ का सोचा तो रो दिए,
बादल फिजा में आप की तस्वीर बन गए,
साया कोई ख्याल से गुजरा तो रो दिए।
दे गया ग़म मुझे तोहफे में मिला वो जब भी,
मैंने एक शख्स को क्यूँ कर भला समझा अपना।
अजीब ज़ुल्म करती है तेरी यादें मुझे पर,
सो जाऊ तो उठा देती हैं,
जाग जाऊ तो रुला देती है।
रहा यूँ ही नामुकम्मल ग़म-ए-इश्क का फसाना,
कभी मुझको नींद आई कभी सो गया ज़माना।
निकल आते हैं आँसू हँसते हँसते,
ये किस ग़म की कशक है हर खुशी में।
नींद आँखों में पिरोने की इजाज़त दे दे,
ऐ शब-ए-ग़म अब हमें सोने की इजाज़त दे दे।
आँसू होते नहीं बहाने के लिए,
ग़म होते हैं पी जाने के लिए,
मत सोचना किसी को पाने के लिए,
वरना जिंदगी कम पड़ जाएगी,
उसको भुलाने के लिए।
आज कल मेरी कमी भी उसे सताती नहीं,
लगता है किसी और ने पूरी करदी है…
नींद भी अब तब आती है,
मुझसे जब वो तेरे ख्वाबों की हामी भरवाती है।