“Delve into the essence of human nature with our collection – 100+ Fitrat Shayari. These verses explore the intricacies of our inherent traits, unearthing the truths hidden within our hearts. Join us for an introspective journey through poetry, where the hues of human disposition are painted in words. Each line unravels the depths of emotions, relationships, and self-discovery. Don’t miss this opportunity to reflect on the shades of our nature that define who we are. Experience the beauty of introspection through the canvas of Fitrat Shayari.”
Fitrat Shayari
फ़ित्रत की राहों में चलते चलते,
हम खुद को खो जाते हैं और भटकते चलते।
फ़ित्रत में उसकी खोज करता रहा,
खुद को पाने के लिए, खुद से लड़ता रहा।
फ़ित्रत ने जो सिखाया हमें,
सच्चे रिश्तों की महत्वपूर्णियता को हम समझे।
दिल की फ़ित्रत को ना समझो तुम दुश्मन,
क्योंकि वो हमेशा सच्चाई की तरफ ले जाती है।
फ़ित्रत का रंग दिल के पास होता है,
वो खुद को छुपाने की कोशिश में रोता है।
फ़ित्रत में उसका अंश छिपा होता है,
जिससे वो हमें हमेशा सही दिशा में ले जाता है।
फ़ित्रत की आवाज़ हमें सच्चाई से बुलाती है,
जब दिल ख़यालात से जूझता है, तब वो समझाती है।
फ़ित्रत की दस्तक से जान लेता हूँ,
कि कैसे किसी की बातों की सच्चाई को मैं पहचान लेता हूँ।
फ़ित्रत के सफर में मैं चल पड़ा हूँ,
खुद को खो देने के ख़तरों के बावजूद उसे देख पा रहा हूँ।
फ़ित्रत के रंगों में बसी एक दुनिया है,
जहाँ सच्चाई की पहचान होती है, हर किसी की आँखों से।
फ़ित्रत की गहराइयों में छुपा है ज़िंदगी का राज,
बदलते स्वभाव की दास्तां, हर दिल में बसा है यह संगीत।
दिल की फ़ित्रत बतलाती है ख़ूबसूरती की कहानी,
दिलचस्प रिश्तों की मिठास और बिछुड़े दुख की कहानी।
फ़ित्रत के पलों में छुपा है सच्चाई का राज,
आदतों की मज़ार पर बसी है हक़ीकत की ख़ास बातें।l
फ़ित्रत का ख़ुद से ख़ुद को दोस्त बनाना है श्रेष्ठ,
स्वभाव में ही छुपी है आत्मा की गहराइयों की यह कविता।
दिल की फ़ित्रत में छुपा है प्यार की मिसाल,
खुद को पहचान के दिखाता है रिश्तों का मतलब।
फ़ित्रत की मज़ार पर बसे हैं ख्वाब और राज,
दिल में छुपी है ख़यालात की अनमोल मित्रता।
दिल की फ़ित्रत में छुपा है ज़िंदगी का सफर,
आदतों की बुनाई में बसी है सबकी ख़ुशियों की ख़बर।
फ़ित्रत के आगे चुपके से खड़ी है यह दुनिया,
सबकी आदतें और राज दिल की परदे के पीछे।
दिल की फ़ित्रत में छुपा है इंसान का असली चेहरा,
जिन्दगी की हर लहर में छुपा है यह ख़ुदकुशी का ख़तरा।
फ़ित्रत की दस्तक से हम अपने आप को जानते हैं,
दिल की बातों को समझते हैं, खुद को और बेहतर समझते हैं।
फित्रत की आवाज़ सुनते हैं हम,
दिल की धड़कनों की महक समझते हैं हम।
फित्रत में छुपे हैं रिश्तों के ख़ज़ाने,
हर यादें और लम्हे हैं वहां अनमोल मिश्रणे।
ज़िन्दगी की राहों में फित्रत की नज़र होती है,
आदतों की बुनाई में छुपी है हर ख़ुशी और ग़म।
फित्रत की दास्तां बताती है आदतों की कहानी,
दिल की धड़कनों की बाज़ु में छुपे अहसासों की कहानी।
फित्रत का सफर रुकता नहीं कहीं भी,
दिल की आवाज़ को सुनते चलते रहें, खुद को समझते चलते रहें।
फित्रत के रंग रूप बदलते रहते हैं,
जैसे दिल की धड़कनें बदलती रहती हैं।
फित्रत की छाया हर पल साथ चलती है,
आदतों की मज़ार पर बसी है ज़िंदगी की राज़ बातें।
फित्रत के नूर से जगमगाता ज़िंदगी का सफर,
खुद को समझते हुए हम अपने रास्तों पर चलते जा रहे हैं।
फित्रत की बोलती कहानी है दिल की,
खुद को पहचानकर हम खुद से जुदा नहीं होते।
फित्रत के रंग बिखरते जाते हैं ज़िंदगी की पाठशाला में,
हर रंग एक सिख देता है, हर कदम एक बचपन की याद दिलाता है।
इंसान घर बदल देता है मुकाम बदल देता है
रिश्ते बदल देता है दोस्त भी बदल देता है
उसको खुशी नसीब नहीं होगी
जब तक वह अपनी फितरत नहीं बदल देता है
क्या करेंगे हम दिखावे से भरी दुनिया में
यहाँ तो आईना भी फितरत से जुदा लगता है
हमने शामिल किया जब दिल को अपने साथ कहीं
अपना चेहरा भी बड़ा अजनबी सा लगता है
करते है मोहब्बत और जताना भूल जाते है
पहले खफा होते हैं फिर मनना भूल जाते है
भूलना तो फितरत सी है ज़माने की
लगाकर आग मोहब्बत की बुझाना भूल जाते है
सबको ऐतराज है दुनिया में मेरी फितरत पे
कि क्यूँ मैं तुमपे ये जाँनिसार करता हूँ
लोग कहते हैं कि सैकड़ों परियाँ हैं यहाँ
फिर जुदा होके क्यूँ तेरा इंतजार करता हूँ
दुश्मन भी दुआ देते हैं मेरी फितरत ऐसी है
दोस्त भी दगा देते हैं मेरी किस्मत ऐसी है
सिखा दिया तुने मुझे अपनों पर भी शक करना
मेरी फितरत में तो था गैरों पर भी भरोसा करना
नहीं चाहिए वो जो मेरी किस्मत में नही
भीख मांग कर जीना मेरी फितरत में नहींl
क्या मिलना ऐसे लोगो से जिनकी फितरत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आये और असली सूरत छुपी रहे
आदमी की फितरत उसकी पहचान बता देती है
कौन किस लबो लहजे का है ज़ुबान बता देती है
दिल है कदमों पे किसी के सर झुका हो या न हो
बंदगी तो अपनी फ़ितरत है ख़ुदा हो या न हो
ऐ सनम अब ज़रा अपनी फितरत बदल के देख
तुझे भी इश्क़ हो जाएगा ज़रा हमसे मिल के देख
इश्क की फितरत मलंग से रंग घोले
बाजी थी इशारों की जुंबा भी क्या बोले
अजीब सी आदत और गज़ब की फितरत है मेरी
मोहब्बत हो या नफरत बहुत शिद्दत से करता हूँ
मुझे भी सिखा दो भूल जाने का फितरत
मैं थक गयी हूँ तुझे याद करते करते
बहते पानी की तरह है फितरत-ए-इश्क
रुकता भी नहीं थकता भी नहीं
थमता भी नहीं और मिलता भी नहीं
हमारी तो फितरत थी
दूध में शक्कर की तरह
घुल मिल जाने की
रंजिशे हैं अगर दिल में कोई तो खुलकर गिला करो
मेरी फितरत ऐसी है कि मैं फिर भी हँस कर मिलूंगी
ऐसा नही कि मेरे इन्तजार की उन्हें खबर नही
लेकिन तड़पाने की आदत तो उनकी फितरत में शुमार है
तुम्हारी आँखो की जुबान उर्दू ही है शायद
पढ़ने में मुझे दिक्कत हैं
और बयां ना करना तुम्हारी फितरत
मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं
टूटना फितरत है इश्क की
सनम मिले तो दिल टूटता है
ना मिले तो कलम टूटती है
ज़माना चाहता है क्यों मेरी फ़ितरत बदल देना
इसे क्यों ज़िद है आख़िर फूल को पत्थर बनाने की
तुम को चाहने की वजह कुछ भी नहीं
बस इश्क़ की फितरत है बेवजह होना
पता ही न चला कि कमबख्त ज़माना कब से शुगर
फ़्री हो गया ?
तुम्हारी फितरत भी उस मक्खी की तरह है
जो अपने फायदे के लिए जख्मो को भी नही छोड़ती
आग लगाना मेरी फितरत में नही है
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या
मेरी फितरत में नहीं अपने गम बयां करना
अगर तू मेरे वजूद का हिस्सा है
तो महसूस कर तकलीफ मेरी
फितरत किसी की यूँ ना आजमाया कर ए जिंदगी
क्यूंकी हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है
हर कोई रखता है ख़बर ग़ैरों के गुनाहों की
अजब फितरत हैं कोई आइना नहीं रखता
नहीं चाहिए वो जो मेरी किस्मत में नही
भीख मांग कर जीना मेरी फितरत में नहीं