Farmer Quotes, a collection of heartfelt and insightful statements about the life of farmers, pays tribute to the backbone of agriculture and the unsung heroes who work tirelessly to feed the world. These quotes encapsulate the essence of farming, highlighting the unwavering dedication, indomitable spirit, and profound wisdom of those who toil in the fields. At the heart of Farmer Quotes lies the celebration of the indomitable spirit of farmers. Through scorching summers and freezing winters, farmers work relentlessly, driven by their love for the land and a deep sense of responsibility towards their communities. The quotes exude the determination and resilience that characterize their way of life. These quotes also shed light on the deep connection that farmers have with the land they cultivate. Embedded in the soil is their history, their heritage, and their hopes for the future. The quotes reflect the profound bond between farmers and their fields, showcasing the reverence they have for Mother Nature’s bounties.
Farmer Quotes
जब कोई किसान या जवान मरता है,
तो समझना पूरा हिन्दुस्तान मरता है.
सफल किसान है, उन्नतशील किसान
देता रहा तुझको अनाज, चुका कर खून पसीने का ब्याज।।
उन घरो में जहाँ, मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं…
घमंड ही नहीं गुरुर है अपने किसान होने का।
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा, सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.।
माना गरीब हूं मैं बेटा किसान का मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का!!
ग़रीब# के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में,
तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बाजारों में.
जो घर बैठी माँ को माँ पुकारे वो इंसान है।……
जो घर बैठी माँ से पहले देश की माटी को माँ पुकारे, वो मेरा हिंदूस्तान है।…..
जो इस माटी का कर्ज चुकाए बिना कोई लोभ…..
वो इस माटी कि असल संतान मेरे देश का किसान है।
कट गए है हाथ जो उगाते है देश लिए अनाज. बढ गई है जनसंख्या, कम हो गए है किसान
अब तो बस चारो तरफ दिखते है होटलें और मकान ही मकान , कहा से लाए खेत
और खलिहाल.. “क्या करेंगा अब मेरे देश का किसान!”
जमीन जल चुकी है आसमान बाकीहै, सूखे कुएँ तुम्हारा इम्तहान बाकी है.. वो जो खेतोंकी मेढ़ों पर उदास बैठे हैं, उनकी आखों में अब तक ईमान बाकी है बादलों बरस जाना समय पर इस बार किसी का मकान गिरवी तोकिसी का लगान बाकी है
हम आराम से बैठ कर भी रोज़ कुछ अलग खाने की गुज़ारिश करते है और किसान जो अपनी मेहनत से पूरे देश को खिला रहा है वो दो सूखी रोटियों में दिन का गुज़ारा करता है।
ये चार फ़िल्मी सितारे नहीं ये लाखों किसान हमारी शान है।
समंदर की लहरें मेरे क़दमों में यूं दम तोड़ देती हैं जैसे #मर जाता है किसी के क़दमों में अपने घर को बचाने की गुहार लगाता किसान –
इस किसान प्रधान देश में किसान बस एक नौकर है और एक सेवक नेता प्रधान है।
टूटा फूटा घर मेरा, बस दो वक़्त की रोटी है साहब,,, हम बुरे हालातों से लडने वाले Eकिसान, ज़िन्दगी हमारी बहुत छोटी है…..!!!!!!!!
चीर देता है धरती सूखता नहीं उसका पसीना, आराम के लिए किसान को मिलता नहीं महीना।
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक कृषक को छलता रहेगा।
भोले-भाले किसानों को ईश्वर अपने खुले दीदार का दर्शन देता है.।
जब भोजन की थाली सामने आ जाए, तो भोजन के समय ईश्वर को नहीं उस महान किसान को धन्यवाद देना,
क्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान को,
खुदा तूने सजा दे दी सीधे-साधे किसान को।
छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की,
फिर भी “बारिश” हो जाये, तमन्ना हैं किसान की.
जलोस में,मदहोश है ये लोग, खलोस में, ये लोग हर रोज इंसान इंसाफ को याद करे bahut, लेकिन किसान कि मौत पे नहीं होता soog?
घटाएँ उठती हैं बरसात होने लगती है,
जब आँख भर के फ़लक को किसान देखता है।।
किस लोभ से किसान आज भी, लेते नही विश्राम हैं,
घनघोर वर्षा में भी करते निरंतर काम हैं
किसानो की मदद करे, देश के विकास में योगदान करे
चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ… | मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ… ||
कभी ज़िया करो किसान कि जिंदगी… लोग महलों में रह कर भी ख़ुद को परेशान कहते है।
आजकल शहर के लोगों को इंसान कम कुत्ते ज्यादा प्यारे लगने लगे है।
किसान का सम्पूर्ण जीवन प्रकृति से स्थायी सहयोग है.
बढ़ रही है कीमतें किसान की उगाई हुई सब्ज़ियों की, पर ना जाने कैसे किसान आज भी गरीब का गरीब ही है।
किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।
किसान# की आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी
देश की प्रगति है तब तक अधूरी, किसान के विकास के बिना न होगी पूरी
तन के कपड़े भी फट जाते है, तब कहीं एक फसल लहलहाती है। और लोग कहते है किसान के जिस्म से पसीने की बदबू आती है।
बिना गाँव और बिना किसान किसी भी देश का संपूर्ण होना संभव नहीं है।
इस धरती पर अगर किसी को #सीना तानकर चलने का अधिकार हो, तो वह धरती से धन-धान्य पैदा करने वाले किसान को ही है.
उन घरो में जहाँ, मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं।
ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे…
मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनूनपर,
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर…
आज फिर अखबार की खबर पढ़ दिल भर गया, एक किसान मौसम की मार से मर गया।