“Aawaargi Shayari” is a captivating collection of 100+ poetic verses that delve into the essence of wanderlust and free-spiritedness. These soul-stirring poems eloquently explore the thrill of embracing life’s journey with abandon, celebrating the joys of wandering and discovering one’s path amidst the uncertainties of existence. With profound emotions and evocative imagery, the verses beautifully depict the highs and lows of wandering hearts, unbridled passion, and the quest for meaning. Each Shayari weaves a tapestry of emotions, inspiring readers to break free from societal constraints and embark on their own unique adventures. Experience a poetic symphony of wanderlust and self-discovery through the enchanting verses of “Aawaargi Shayari.”
Aawaargi Shayari
तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने,
हमें इश्क का शौक है आवारगी का नहीं।
ये इश़्क तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है दोस्तो,
जवानी में फुर्सत ही कहाँ आवारगी से।
फालतू शोर से ख़ामोशी अच्छी है,
झूठी शराफत से आवारगी अच्छी है।
वो बंदगी की ऐसी मिसाल देते हैं,
आवारगी को शराफत में ढाल देते हैं।
क्यों मेरी आवारगी पे ऊँगली उठाते हैं ज़माने वाले,
मैं तो आशिक हूँ ढूढता हूँ वफ़ा निभाने वाले।
मेरी आवारगी थी… मेरा जूनून था,
तेरे प्यार के नशे में मैं एक दम चूर था,
लोगो ने कहा तेरा प्यार गहरा सागर है
मगर तुझ में डूब जाना ही हमे मंजूर था।
मै शायर नही बस दिल के अहसासो को
शब्दो का रूप दे देता हूँ,
जहाँ दिख गये हसीन चेहरे
थोड़ी बहुत आवारगी कर लेता हूँ।
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,
एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना,
तेरे दीदार की आस में आते हैं तेरी गलियों में,
वरना सारा शहर पड़ा है आवारगी के लिए।
उन दिनों मेरी शख्सियत-ओ-आवारगी के चर्चे आम होते रहे,
कुछ चुभते अल्फाजों को लबो पे हम भी बे-अरमान होते रहे,
वक़्त की तो फितरत है अपनी रफ़्तार में चलने की,
वो अपने अंदाज़ में चलता रहा और हम बदनाम होते रहे।
ऐ ज़िन्दगी किस ओर ले चली हो मुझे,
ये आवारगी तो मुझको खराब कर गयी।
लुत्फ़ तो देती है ये आवारगी
फिर भी हम को लौट जाना चाहिए।
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी,
सलीका चाहिये जनाब आवारगी में।
ज़िन्दगी को ठुकरा कर आशिकी करता हूँ,
आवारगी की उम्र में शायरी करता हूँ।
मेरी आवरगी को देख लोग मुझसे मेरी कहानी पूछते हैं,
जाने अनजाने में तुम्हारी बातें हमारी जुबानी पूछते हैं।
एक रूह है जिसे पनाह चाहिए,
एक मिजाज है जिसे आवारगी की तलब।
मेरी आवारगी में कुछ कसूर तेरा भी है सनम,
जब तेरी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता।
आवारगी की जिंदगी तो जिंदगी भर चलती रही,
कहीं पर भी मगर इश्क का बसेरा नहीं निकला।
सरे बाजार निकलू तो आवारगी की तोहमत,
तन्हाई में बैठू तो इल्ज़ाम-ए-मोहब्बत ।
न शाखों ने दी पनाह, न हवाओं ने बख्शा,
वो पत्ता आवारा न बनता तो और क्या करता।
आवारगी छोड़ दी हमने तो लोग भूलने लगे हैं,
वरना शोहरत कदम चूमती थी जब हम भी बदनाम हुआ करते थे।
आवारगी ही मेरी मेरे काम आई है
दोस्ती कहाँ किसी ने निभायी है,
इस मतलब की दुनियादारी ने
हमेशा अपनी औकात दिखाई है.।
मेरी आवारगी बहुत हदसे बढ़ गयी
दूर जब से मुझसे होकर बेवफा वो गयी,
मुझे अब खुद की कोई फ़िक्र कहाँ
वो दर्द कुछ इस तरह देके गयी.।।
आवारगी के सिवा अब कोई काम नहीं है
मेरे दिल को एक पल भी आराम नहीं है,
ढूंढता हूँ खुद को ही मैं हर जगह
खो गयी मेरी पहचान कहीं है.।
हम गली गली भटकते हैं
हम को और कोई काम नहीं है,
तुमको देखे बिना दिल को जरा भी
हमारे आज कल आराम नहीं है.।
आवारा पंछी की तरह हो गए हम
ना कोई मंजिल है न कोई साथी ,
भटकते है बस यूँही दिन रात हम
मिलने की उसकी अब कोई आस नहीं है.।
दिल मेरा अब आवारा हो चला
प्यार में तुम्हारे मनचला हो चला,
अब मुझको जमाने की फ़िक्र कहाँ
अब हर कोई मेरा दुश्मन हो चला.।
मुझको आवारगी से फुर्सत नहीं मिलती
दिल में एक आग सी है मेरे जलती,
मुझको अब दुनिया से क्या वास्ता
मुझको मुझ से ही अब फुरसत नहीं मिलती.।
लोग आज कल हमसे बहुत जलते हैं
हम भी आज कल लोगों से कहाँ मिलते है,
हमें लोगों ने आवारा नाम दिया है
मोहब्बत में हमारी फिर अच्छा काम किया है.।
आवारापन अकेलापन बहुत अच्छा है
हमें अब किसी की जरुरत नहीं है,
मतलब से रिश्ता रखने वालों की
अब हमें बिलकुल भी जरुरत नहीं है.।
आवारगी मेरी अब कहाँ लेके जायेगी
पता नहीं अब किससे मुलाकात करवायेगी,
मुझे अब तनहा रहने की आदत है
कहीं फिर किसी और के करीब तो नहीं लेजायेगी.।
आवारगी में हम अपनी ज़िन्दगी गुज़ारते है
हर जगह हम आज भी तुझ को तलाशते है.।
आवारगी ने हमको बहुत कुछ सिखाया है
अच्छे बुरे लोगों का फर्क समझाया है.।
मैं तो हूँ आवारा, अपनी माँ का दुलारा
दोस्तों को जान से प्यारा, पापा की आँखों का तारा।
आवारा हूँ सब को बहुत प्यारा हूँ
रहता हूँ लोगो के दिल में बस आवारा हूँ.
मेरी आवारगी मुझे लेचल पड़ी फिर नए सफ़र पर
रास्तों का पता नहीं मंजिल से भी है ये बेख़बर ।