“Aaina Shayari” or “Mirror Poetry” is a captivating genre of poetry that reflects on the various facets of life, emotions, and human experiences, using the metaphor of a mirror. With a collection of 100+ soul-stirring Shayari, this genre holds a unique charm, as it delves into self-reflection, introspection, and inner struggles. The verses mirror the truth, unveiling hidden emotions, vulnerabilities, and desires. Aaina Shayari beautifully captures the essence of self-awareness, personal growth, and the complexities of human nature. Each couplet acts as a mirror, allowing readers to see their own reflections in the poet’s words, forging a deep connection between the verse and the soul. These heartfelt and introspective poems leave a lasting impact on the readers, inspiring them to confront their inner selves and embrace the beauty and imperfections that make them uniquely human.
Aaina Shayari
एक आईने की दुकान की दीवार पर लिखा था तेरी पहचान ही न खो जाए कहीं, इतने चेहरे न बदल।
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।
आईने में वो अपनी अदा देख रहे हैं. मर जाये की जी जाये कोई उनकी बला से ।
किरदार अपना पहले बनाने की बात क़र फिर आइना किसी को दिखने की बात कर।
आईना कुछ नहीं नज़र का धोखा हैं, नज़र वही आता हैं जो दिल में होता हैं।
मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है, इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं, मेरी किस्मत में तो कुछ यु लिखा हैं, किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया, किसी ने अपना बना कर वक़्त गुज़ार लिया।
आईने में दिखता है टूटा सा अक्स अपना, जख्मों की चोट खाकर यूं चटक सा गया हूं।
“अब कैसे संभालू मैं अपने टूटे दिल के टुकड़े को, अपने ही दिल के आईने में देखो बिखर सा गया हूं !”
“आईना भी तुम्हे देख आहे भरता होगा, इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये !”
“आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो, इंसान का चेहरा नहीं, किरदार दिखा दे !”
“आइना और दिल का एक ही फ़साना हैं, आखिरी अंजाम दोनों का टूट कर बिखर जाना हैं !”
“आईना देख के बोले ये सँवरने वाले, अब तो बे-मौत मरेंगे मेरे मरने वाले !”
प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं, आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं।
कसूर निगाहों का नहीं आईने का था, जो चुपके से उनका दीदार आईने में कर लिया।
शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे, तुम मुझसे मिलने आती हो, उससे मिलने के बाद।
आज टूट गया तो बचकर निकलते है, कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे।
घर का आईना भी अब हक जता रहा है, खुद तो वैसा ही है पर मेरी उम्र बता रहा है।
आईने को भी खूबसूरत बना देगी, तुम्हारे चेहरे की मुस्कान।आईना कोट्स”।
मुझे जरुरत नहीं किसी आईने की अब, क्यूँकि मेरा मेहबूब कहता है क़ि तुम बहुत खूबसूरत हो।
उनकी आंखों के आईने में जब-जब, देखी अपनी छाया, हमनें खुद को पूरी कायनात में सबसे ज्यादा खूबसूरत पाया।
मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर, ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।
और भी खुबसूरत लगने लगती हूँ, जब आईने मे नहीं खुद को, तुम्हारी आंखों मे देख लेती हूँ।
ये लकीरें ये नसीब ये किस्मत सब फरेब के आईने हैं, हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल जिंदगी के मायने हैं।
आईने में जब भी देखता हूँ तो एक छोटी सी स्माइल आ जाती है, क्यूंकि मुस्कुराने की वजह तुम हो।
लगने लगा था अब कोई साथ नहीं मेरे, फिर अचानक आईने में अपना मैंने चेहरा देख लिया।
आंखें मेरी आइना है तेरा, तू एक दफा झाँक कर देख तो सही।
आईने में जब वो अपना चेहरा देखती है, आइना भी उसे देखता रह जाता है।
एक आइना ऐसा भी हो जिसमे चेहरे नहीं किरदार दिखे।
उन्हें खुद के किरदार में नुक्स बहुत थे और कमियां वो आईने में निकाल रहे थे।
किरदार अपना पहले बनाने की बात क़र फिर आइना किसी को दिखाने की बात कर।
सभी की जुबां बयां कर देगी ख़ूबसूरती तुम्हारी, तुम आइना देख कर वक़्त जाया ना किया करो।
आइना सच बोलता है और लोग अब सच पसंद नहीं करते, इसीलिए लोग अपना चेहरा अब आईने में नहीं फ़ोन में देखते है।
मैंने तुम्हे बस आइना दिखाया था, अब तुम्हे अपना चेहरा पसंद नहीं आया इसमें मेरा क्या कसूर।
आइना तो खुद आँख मूँद लेता है तेरे चेहरे की चकाचोंध में, अब वो क्या बताएगा तू कितना हसीं है।
जो मुझे अच्छा ना बोले मगर झूठ भी ना बोले एक यार चाहिए मुझे आईने सा।
आँखें और जुबां दिल के आईने की तरह होती है, ये दिखाती है जैसा वो होता है।
आईने में देख खुद से पूछता हूँ मैं, कब तक दर्द में रहेगा बताता क्यों नहीं।
जुबां परवरिश की आइना होती है।
मैं तो फ़ना हो गया उसकी एक झलक देख कर, नाजाने आईने पर रोज़ क्या गुज़रती होगी।
जो दूसरों को नीचे दिखाते है कई मायनो में, लगता है खुद अपना चेहरे नहीं देखते आइनों में।
खुद को झूठी तसल्ली इतनी दे चूका हूँ मैं, की अब आईने में भी खुदसे नज़रे नहीं मिला पा रहा।
ज़िन्दगी के आईने में मैंने जब भी प्यार से देखा, ज़िन्दगी में मुझे दिन में भी तारे दिखाए।