भगवान गौतम बुद्ध का जीवन और उनके उपदेश हमें शांति, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। यहाँ उनके जीवन का संक्षिप्त परिचय दिया गया है: जन्म और प्रारंभिक जीवन: गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था और वे शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधन और रानी महामाया के पुत्र थे। जन्म के सात दिन बाद ही उनकी माता का निधन हो गया, और उनका पालन-पोषण उनकी मौसी महाप्रजावती गौतमी ने किया.
ज्ञान की प्राप्ति: सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की आयु में राजमहल, पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को छोड़कर सत्य और ज्ञान की खोज में निकल पड़े वर्षों की कठोर तपस्या के बाद, बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए. उपदेश और शिक्षाएँ: भगवान बुद्ध ने अपने जीवन में चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की शिक्षा दी। उनके उपदेशों का मुख्य उद्देश्य दुखों से मुक्ति और निर्वाण की प्राप्ति था. उन्होंने अहिंसा, करुणा, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।महापरिनिर्वाण: भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत) में महापरिनिर्वाण प्राप्त कियाl
भगवान बुद्ध के जीवन और उपदेशों ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में लोगों को प्रभावित किया है। क्या आप उनके किसी विशेष उपदेश के बारे में और जानना चाहेंगे?
100+”गौतम बुद्ध के सुविचार: शांति और ज्ञान की दिशा में मार्गदर्शन Gautam Buddha Quotes: Guidance towards peace and wisdom”
गौतम बुद्ध के सुविचार
बुद्ध कहते हैं अतीत पर ध्यान मत दो,
भविष्य के बारे में मत सोचो,
अपने मन को वर्तमान क्षण पर केंद्रित करो।
जिसे जान-बूझकर झूठ बोलने में लज्जा नहीं,
वह कोई भी पाप कर सकता है,
इसलिए तू यह हृदय में अंकित कर ले
कि मैं हंसी-मजाक में भी कभी असत्य नहीं बोलूंगा।
ये लोग भी कैसे हैं।
साम्प्रदायिक मतों में पड़कर
अनेक तरह की दलीलें पेश करते हैं
और सत्य और असत्य दोनों का ही प्रतिपादन कर देते हैं,
अरे! सत्य तो जगत में एक ही है, अनेक नहीं।
सत्यवाणी ही अमृतवाणी है,
सत्यवाणी ही सनातन धर्म है।
सत्य,
सदर्थ और सधर्म पर संतजन सदैव दृढ़ रहते हैं।
असत्यवादी नरकगामी होते हैं
और वे भी नरक में जाते हैं,
जो करके ‘नहीं किया’ कहते हैं।
जिसे जान-बूझकर झूठ बोलने में लज्जा नहीं,
उसका साधुपना औंधे घड़े के समान है।
साधुता की एक बूंद भी उसके हृदय-घट के अंदर नहीं है।
सभा में, परिषद में अथवा एकांत में किसी से झूठ न बोलें।
झूठ बोलने के लिए दूसरों को प्रेरित न करें
और न झूठ बोलने वाले को प्रोत्साहन दें।
असत्य का सर्वांश में परित्याग कर देना चाहिए।
जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है
कि तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो।
फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी,
इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।
हजारों खोखले शब्दों से अच्छा
वह एक शब्द है जो शांति लाएं।
संतोष सबसे बड़ा धन है,
वफादारी सबसे बड़ा संबंध है
और स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है।
हम जब भी क्रोधित होते हैं
सच का मार्ग छोड़ देते हैं।
आपको अगर मोक्ष पाना है
तो खुद ही मेहनत करनी होगी,
दूसरों पर निर्भर मत रहिए।
जीवन में हजारों लड़ाइयां जीतने से
बेहतर स्वयं पर विजय प्राप्त करना है।
यदि स्वयं पर विजय प्राप्त कर लिया
तो फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी।
इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।
व्यक्ति कभी भी बुराई से
बुराई को खत्म नहीं कर सकता है।
इसे खत्म करने के लिए व्यक्ति को
प्रेम का सहारा लेना पड़ता है।
प्रेम से दुनिया की हर बड़ी
चीजों को जीता जा सकता है।
भविष्य के बारे में सपने देखकर
अभी से मत उलझो।
भूतकाल के समय को याद करके
पछताने से अच्छा है
अपने वर्तमान में रहो।
खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका यही है।
जिस तरह से एक जलता हुआ
दिया हजारों लोगों को रौशनी देता है,
ठीक वैसे ही खुशियां बाटने से
आपस में प्यार बढ़ता है।
बुद्ध के अनुसार,
खुशियां बांटने से हमेशा बढ़ती हैं।
कभी कम नहीं होती हैं।
जंगली जानवर की अपेक्षा कपटी और
दुष्ट मित्र से डरना चाहिए।
जंगली जानवर आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है,
लेकिन एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
जीवन में तीन चीजें कभी भी छुपाकर
नहीं रखा जा सकता है।
वो है- सूर्य, चंद्रमा और सत्य।
ना तो आप खुद के बारे में
बढ़ा चढ़ाकर बोलें और ना
ही दूसरों से ईर्ष्या करें
अपने मोक्ष के लिए खुद प्रयत्न करें,
दूसरों पर निर्भर ना रहें
घृणा को तो केवल प्रेम के सहारे
ही समाप्त किया जा सकता है,
यह एक अटूट सत्य है
जैसे मोमबत्ती बिना
आग के नहीं जल सकती,
मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन
के बिना नहीं जी सकता.
क्रोध को मन में पाले रखना,
गर्म कोयले को दूसरों पर फेंकने की नीयत
से पकड़े रहने के सामान है,
इसमें आप ही जलते हैं
भविष्य के सपनों में मत खो
और भूतकाल में मत उलझो,
वर्तमान पर ध्यान दो.
जीवन में खुश रहने का
यही एक सही रास्ता है
यदि किसी समस्या का समाधान मिल सकता है तो चिंता किस बात की जाए।
यदि आपकी समस्या का समाधान नहीं भी मिल रहा है
तो चिंता करने से आपको कोई लाभ नहीं मिलेगा।
बिना स्वास्थ्य के जीवन बिल्कुल बेकार है।
वह केवल एक पीड़ा की स्थिति और मौत के समान जीवन है।
अगर आप सच में खुद से प्यार करते हैं
तो आप कभी भी किसी को दुःख नही पहुंचा सकते।
यदि आप अपना मार्ग नहीं बदलेंगे।
तो निश्चित ही आप वही पहुंच जायेगे जहां से आप जा रहे हैं।
बुद्ध का कहना था कि में कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है।
मैं हमेशा यह देखता हूं कि अभी और क्या किया जाना बाकी है।
आप चाहे जितना भी शांति को तालाश लेे।
लेकिन असली शांति आपको अपने ही अंदर मिल सकती हैं।
क्रोध को शांति से जीतो,
बुराई को अच्छाई से जीतो और
झूठ बोलने वालो को सच बोलकर जीतो।
यदि आप मोक्ष पाना चाहते है
थे उसके लिए आपको स्वयं ही
अपने मन को क़ाबू कर प्रयास करने होंगे।
जो करना है। आज ही करे,
क्या पता कल जिंदगी रहे ना रहे।
अगर लापरवाह होते हैं
तो नरम घाव से भी हाथ छिल सकते हैं।
इसी प्रकार धर्म के प्रति की गई
लापरवाही हमें नर्क के दरवाजे पर ला सकती है।
हमारा शरीर सबसे जरूरी है।
इसलिए इसे हमेशा अपने शरीर को स्वस्थ रखें
और इसका पूरा ख्याल रखे।
अगर आप सही दिशा में चल रहे हैं।
तो आपका काम है उस रास्ते में निरंतर करना।
जो लोग ज्यादा बोलते हैं।
वह सीखने की कोशिश नहीं करते।
जबकि समझदार इंसान
हमेशा निडर और साहसी होता है।
जो समय आने पर ही बोलते हैं।
दर्द मिलना तो अनिवार्य है
फिर आपके हाथ में है
दुखी होना न होना।
अगर बुराई को मात देनी है
तो अच्छाई को बढ़ावा दीजिए
और खुद के अंदर अच्छे विचार रखे।