“Selfish Family Quotes in Hindi | स्वार्थी लोग स्टेटस हिंदी में” translates to “Selfish Family Quotes in Hindi | Status for Selfish People in Hindi.” This collection likely contains quotes that reflect the challenges and dynamics of dealing with selfish individuals within a family context. These quotes may offer insights, reflections, or even humorous takes on such situations. They can serve as a way to express feelings or navigate complex family relationships.
Selfish Family Quotes
जीवन भर जिनको प्यार का थाल परोसा,
धोखा उन्होंने दिया जिन पर किया भरोसा !
जो भी लोग पैसे को परिवार समझते हैं,
ये उनकी सबसे बड़ी भूल होती है !
आज इंसान भी परेशान है क्योंकि
रिश्ते में जो गर्मी होनी चाहिए
वो हमारे दिमाग में है !
स्वार्थी लोग अपनों को भी,
दर्द पहुंचाने में नहीं कतराते !
परिवार की कीमत उनसे जाकर पूछो,
जो खाली पेट आधी रात सड़को पर सोते हैं !
दिखा दी है शीशे ने असलियत झूठे लोगों की,
बनावटी चेहरे पहन कर अक्सर जो,
झूठी दुनिया में घूमते हैं !
इस दुनिया का उसूल है,
जब काम तब तक नाम,
वरना तो दूर से ही राम-राम !
Selfish Family Lines in Hindi
विश्वास की डोर को चुटकियों में तोड़ जाते हैं,
घटिया लोग अपनों को बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं !
जिन रिश्तों में स्वार्थ जगह बना लेता है,
वहाँ पर रिश्तों के मायने खत्म हो जाते हैं !
ये दुनिया सिर्फ अपने मतलब पर चलती है,
बिना मतलब के यहाँ कोई अपना नहीं होता !
भुला देंगे तुम्हे भी जरा सब्र तो कीजिए
आपकी तरह मतलबी होने में जरा वक्त लगेगा !
ऐसे लोगो से सदा बचके रहिएगा,
जिनके दिलो में भी दिमाग होता है !
यह दुनियां का नियम हैं भाई
जब तक जेब गर्म है तब तक
How are you.
मगर जब जेब खाली हुई तो
Who are you.
कुछ मतलबी लोगों ने दुनिया पर किया ऐसा असर,
प्रणाम करने पर भी लोग अब नहीं मिलाते नजर !
वक्त सब दिखा देता है,
लोगों का साथ भी और लोगों की औकाद भी !
जिनका दिल भरता गया वेगाने होते गए ,
जिसको समझा अपना उसे भी खोते गए !
दिखावे के प्यार से अच्छा है,
हमे सभी से नफरत मिले,
कम से कम उसमे सच्चाई तो होगी !
बड़े महंगे किरदार है जिन्दगी में साहब,
समय समय पर सबके भाव बढ़ जाते है !
मतलबी वो नहीं जो वक्त पर काम न आए
मतलबी वो है जो साथ होते भी साथ न निभाए !
में वो खिलौना हूँ
जिसे टूटने से पहले सब चूमना चाहते थे,
और अब चुबने के दर सेकोई चुना भी नहीं चाहता !
जब दुनियाँ को हमने करीब से जाना,
हर रिश्ते को हमने मतलबी सा पाया !
लोग बिना गलती के भी ताने सुनाते हैं,
समझता कोई नहीं पर समझाने सब आते हैं !
कितना अकेला है आज का इंसान,
की अपने घर में ही आपनो को ढूंढ़ता है !
लोगो की जुबा पर सिर्फ,
तब तक ही तुम्हारा नाम रहेगा,
जब तक उन्हें तुमसे कुछ काम रहेगा !
रिश्ते संवारने में मैं ऐसा क्या झुका,
कि लोगों ने झुकना ही मेरी औकात समझ ली !
जब लोग अनपढ़ थे तो,
परिवार एक हुआ करते थे,
मैने टूटे परिवारों में अक्सर,
पढ़े लिखे लोग देखे हैं !
अक्सर अच्छे वक्त में आपसे हाथ जोड़ कर,
मिलने वाले लोग ही,
आपके बुरे वक्त में आपका हाथ छोड़ देते हैं !
बड़े महंगे किरदार है जिंदगी में साहब,
समय समय पर सबके भाव बढ़ जाते हैं !
यहाँ तो सिर्फ दिखावा होता है साहब अच्छेपन का,
क्योकि मतलब के नकाब जो लगा रखे हैं यहाँ मेरे अपनों ने !
जिन लोगों को आपकी कदर नहीं,
उनसे दूर हो जाना ही लाभदायक होता है !
व्यक्ति की अच्छाई पर सब खामोश रहते है,
चर्चा यदि उसकी बुराई पर हो तो गूंगे भी बोल उठते हैं !
इस दुनिया से हमने यही है सीखा,
जो पीठ के पीछे बोलते हैं तीखा,
उनसे बना लो समय पर दूरी,
इससे पहले ये जीवन कर दें फीका !!
में अगर रूठ जाऊ तो रूठा ही रह जायूँगा,
मुझे तो मानाने वाला भी कोई नहीं है !
मिलकर रहना साथ में कभी न हो तकरार,
आपस में हो प्रेम जी ऐसा हो परिवार !
ऐसे लोगो से सदा बचके रहिएगा,
जिनके दिलों में भी दिमाग होता है !
सम्मान उनका करना चाहिए जो लोगों का सम्मान करते हैं,
उनका नहीं जो हर वक्त लोगों का अपमान करते हैं !
हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था,
कि हमारे अपने ही हमें धोखा देंगे !
परिवार साथ रहने से नहीं,
बल्कि हमेशा साथ जीने से बनता है !
आपसी लाभ के लिए जितना हो सके उतना करो,
परिवार का क्या है, यह तुम्हें कभी पता नहीं चलेगा।
परिवार में खुदाई करो,
वहां अकेले ही खजाने मिलेंगे,
क्योंकि दूसरों का कोई धर्म नहीं होता।
स्वार्थपर परिवार के साथी हमेशा खुश रहते हैं,
क्योंकि उनका मायने होता है – “मैं” और “मेरा”।
परिवार में बसे होने से ही सब कुछ मिलता है,
बाकी सब बेकार है।
आपसी सहारा तब तक दो,
जब तक आपकी जेब में कुछ बचा हो,
बाकी समय तो खुदा ही है।
परिवार में नेतृत्व करो तब तक,
जब तक तुम्हें कुछ चाहिए,
बाद में सबका बनो और तुम्हें चाहिए ही नहीं होगा।
सच्चा परिवार वह है जो तुम्हारी मदद करे,
जब तुम उससे कुछ मांगो,
बाकी सब केवल सवार्थ की राह पर हैं।
परिवार में सबसे बड़ा धर्म होता है – “मुझे मेरा हक चाहिए”।
स्वार्थपर रिश्तों का सफर हमेशा अकेले ही आसान होता है,
क्योंकि तब तक तुम्हें किसी की जरुरत नहीं होती।
वह परिवार जो सिर्फ निकट सम्बंधों के लिए बना होता है,
वह कभी भी बिना किसी चेतना के तुम्हारे साथ खड़ा नहीं होगा।
परिवार में साझेदारी की बातें सुनना अच्छा होता है,
परंतु स्वार्थपर परिवार में तो सिर्फ “मेरा हक” ही मायने रखता है।
खुशियाँ साझा करने का वक्त तब होता है,
जब सभी खुश हों, लेकिन स्वार्थपर परिवार में तो खुशियाँ सिर्फ एक तरफ होती हैं।
सबका साथ देने का वक्त तब होता है,
जब सबका साथी खुश हो,
लेकिन स्वार्थी परिवार में सबका साथी तब तक होता है,
जब तक उसका खुद का साथी बना रहता है।
परिवार में सहयोग और समर्थन की बातें सुनना बड़ी अच्छी होती है,
परंतु स्वार्थपर परिवार में सबसे अधिक चर्चा “मेरी जरुरतें” की होती हैं।
सच्चा परिवार वह है जो तुम्हारे साथ है,
जब तुम्हें किसी की जरुरत होती है,
लेकिन स्वार्थपर परिवार तब तक तुम्हारे साथ है,
जब तक तुम्हारे पास कुछ होता है।
जो लोग सिर्फ स्वार्थ के लिए साथ होते हैं,
वे कभी सच्चे परिवारी नहीं बन सकते।
स्वार्थपर परिवार में तो रिश्ते बस नाम के होते हैं,
दिल से कोई ज़रा सा भी नहीं जुड़ा होता।
परिवार में समर्थन और विश्वास की बातें तो बड़ी सुनी जाती हैं,
लेकिन स्वार्थपर परिवार में तो सब कुछ सिर्फ लाभ की राह पर है।
स्वार्थी परिवार का एकमात्र नियम – “जब तक तुम्हें चाहिए हो,
हम साथ हैं; बाद में, खुदा हफ़िज़!”
असली परिवार वह होता है जो बड़े और छोटे सभी समस्याओं का सामना साथ में करता है,
लेकिन स्वार्थपर परिवार में तो समस्याएँ बस एक व्यक्ति की होती हैं।