“100+ Kaash Shayari” is a collection of poignant verses that capture the essence of longing and “kaash” – the Urdu word for “if only.” This compilation beautifully expresses unfulfilled desires, regrets, and the bittersweet musings of what could have been. Through evocative words and eloquent imagery, these shayaris delve into the realms of dreams unattained, moments left behind, and the haunting allure of alternate paths. Each verse paints a vivid picture of emotions, reflecting the human experience of yearning for the unattainable. With a touch of melancholy and a surge of emotion, these poems resonate deeply, giving voice to the “kaash” moments that linger in the heart’s corridors.
Kaash Shayari
काश मोहब्बत भी मौत की तरह होती,
सबको एक बार मिलती तो सही।
काश फुरसत में उन्हें भी ये ख्याल आ जाये,
कि कोई याद करता है उन्हें ज़िन्दगी समझकर।
काश तू मेरे आँखों का आंसू बन जाये,
मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से।
बरसों बाद भी तेरी जिद की आदत नहीं बदली,
काश हम मोहब्बत नहीं… तेरी आदत होते।
काश तुम मिल जाते बस एक पल के लिए,
तो हम यूँ ना तड़पते जिंदगी भर के लिए।
काश मैं पानी होता और तू प्यास होती,
न मैं खफा होता और न तू उदास होती,
जब भी तुम मेरी निगाहों से दूर होते,
मैं तेरा नाम लेता और तू मेरे पास होती।
काश तू इतनी सी मोहब्बत निभा दे,
जब भी मैं रूठूँ तो तू मुझे मना ले।
काश कहीं से मिल जाते वो अल्फ़ाज़ हमें भी,
जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम तेरे आशिक ज्यादा हैं।
काश फिर मिलने की वजह मिल जाए,
साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए,
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें,
क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए।
काश… एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आकर गले लगा ले, मेरी इजाजत के बगैर।
काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे,
हम मर गये हैं क्या? जो इतने उदास रहते हो।
तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता,
काश… तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती ।
उस की हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले,
काश… उसको भी मेरी क़िस्मत में लिखा होता।l
काश… तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलो को,
किसी की सांसो में समाकर उसे तन्हा नहीं करते ।
काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह,
न वक़्त देखे न बहाना बस चली आये ।।
वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह,
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता ।।
काश कि वक़्त को पलटा सकता,
ताक़द के साथ अपना काश बदल सकता।
काश वो मोमेंट्स वापस आ सकें,
जब हम साथ थे और खुद को खो सकते थे।
काश तुम मेरे पास होते, और हम साथ होते,
तब यह दुनिया हमें कुछ भी नहीं छू सकती थी।
काश कभी रूका होता वक़्त,
जब हम एक साथ थे, वो पल याद आते हैं हमें।
काश कोई हमारी बातों को समझता,
और हमारे दिल की बातें पढ़ पाता।
काश वो दिन फिर से आ जाएं,
जब हम हँसते हँसते सो जाते थे।
काश कुछ काबिल था हम भी,
तो शायद तुम अब भी हमारे साथ होते।
काश हम वो गलियाँ फिर से घूम सकते,
जहाँ हमने कितनी खुशियाँ बिताई थी।
काश किताबों की जगह, तुम होते हमारे पास,
तो शायद हम पढ़ाई के बजाय तुमसे मिलने जाते।
काश तुम्हारी यादें भी बिना रुके हमारे दिल में बसी रहती,
जैसे कि हमारी आँखों की पलकों में बसे हो तुम।
काश वक़्त फिर से मुड़कर आता,
और हम वो वक़्त फिर से जी सकते।
काश हम वो सपने फिर से देख सकते,
जो हमने तुम्हारे साथ देखे थे।
काश वो दिन कभी खत्म न होते,
जब हम साथ बिताते थे, अपनी बातें सुनाते थे।
काश तुम आकर्षित होते हमारे पास,
तो हम अब तक साथ होते।
काश तू इतनी सी मोहब्बत निभा दे,
जब भी मैं रूठूँ तो तू मुझे मना ले।