Guroor Shayari in Hindi | गुरूर शायरी इन हिंदी

“Guroor Shayari in Hindi” is a collection of poetic expressions that delve into the complex theme of pride. These verses artfully capture the nuances of human ego, exploring the facets of self-importance, confidence, and the interplay between pride and humility. Through eloquent language and vivid imagery, this compilation navigates the delicate balance between self-worth and arrogance. The shayaris within this collection traverse the landscapes of individuality, self-respect, and the empowerment that comes with recognizing one’s own value. Each verse is a reflection on the multifaceted nature of pride, highlighting its potential to either uplift or isolate.

Guroor Shayari

गुरूर किस बात का दोस्तो जिन्दगी में,
आज माटी के ऊपर कल माटी के नीचे !

किरदार में मेरे भले अदाकारियाँ नहीं हैं,
खुद्दारी हैं गुरूर हैं पर मक्कारियाँ नहीं हैं !

मुख्तसर सा गुरूर भी जरूरी है जीने के लिए
ज्यादा झुक के मिलो तो दुनिया,
पीठ को पायदान बना लेती है !

मुझे घमंड था की मेरे चाहने वाले बहुत हैं इस दुनिया में,
बाद में पता चला की सब चाहते हैं अपनी जरूरत के लिए !

गुरूर की हैसियत बस इतनी सी है,
बस एक पल दूर है अब वो टूटने से !

सुनो मगरूर हम भी बहोत हैं,
बस तेरे गुरूर का एहतेराम करते हैं !

घमंड जब घुसा इंसान के शरीर में,
इंसान झुकने की कोशिश भी,
खड़े-खड़े करने लगा !

चीजें अक्सर छोटी लगती हैं,
जब कोई दूर से या गुरूर से देखता है !

ऊँचाई पर चढ़कर कभी गुरूर मत करना,
ढलान वही से शुरू होती है !

चांद को गुरूर है की उसके पास नूर है,
ऐसे चांद से क्या फायदा जो कोसो मुझसे दूर है !

साफ दामन का दौर तो कब का खत्म हुआ साहब,
अब तो लोग अपने धब्बों पे गुरूर करने लगे हैं !

जरूरत तोड़ देती हैं इंसान के घमंड को,
अगर न होती मजबूरी तो हर बंदा खुदा होता !

गुरूर का भार इतना भारी होता है की,
इंसान उसे उठाते-उठाते,
दूसरों की नजरों से ही गिर जाता है !

गुरुर नहीं है मुझमें हाँ मगर,
जिद्दी मैं कमाल का हूँ !

घमंड जब घुसा इंसान के शरीर में,
इंसान झुकने की कोशिश भी खड़े-खड़े करने लगा !

चेहरे पर हंसी छा जाती है आँखों में सुरूर,
आ जाता है जब तुम मुझे अपना कहते हो,
मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है !

बादशाह तो वक्त होता हैं,
इंसान तो यूँ ही गुरुर करता है !

हौसलों को हमेशा हवा में रखना,
पर कुछ हासिल करने के बाद,
हवा में मत उड़ने लगना !

तोड़ेंगे गुरुर इश्क का,
और इस कदर सुधर जायेंगे,
खड़ी रहेगी मोहब्बत बीच रास्ते में,
और हम सामने से गुजर जायेंगे !

क्यूँ ना गुरूर करता में अपने आप पे,
मुझे उस ने चाहा जिस के चाहने वाले हजारों थे !

रूबरू होने की तो छोड़िये,
लोग गुफ्तगू से भी कतराने लगे हैं,
गुरूर ओढ़े हैं रिश्ते,
अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं !

हमें लगा रूठे हो तुम तभी हमसे झगड़े हो तुम,
सोचा लौट कर आओगे पर बेहद घमंडी हो तुम !

आज इंसानियत का रंग इतना बेरंग क्यूँ है,
हर शख्स को खुद पर इतना गुरूर क्यूँ है !

हो सके तो दिल में रहना सिखो,
गुरूर में तो हर कोई रहता है !

Latest Guroor Shayari

चलो रहने देते है मुलाकातों के सिलसिले,
मै अपने सुरूर में खुश तुम अपने गुरुर में !

तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना छोड़ दी हमने,
जरा हम भी देखे कौन चाहता है तुम्हे हमसे जयादा !

तेरी अकड़ दो दिन की कहानी हैं,
मेरा गुरूर तो खानदानी है !

कोशिश यही रहती है,
हमसे कभी कोई रूठे ना,
मगर नजरअंदाज करने वालों को,
पलट कर हम भी नहीं देखते !

जो लोग अपनी गलती खुद नहीं मानते हैं,
उन्हें वक्त अपनी गलती मनवा लेता है !

अगर तुझको गुरूर है सत्ता का इस कदर तो,
हम भी तख्तों को पलटने का हुनर रखते हैं !

तेरा लहजा याद रखने को,
मैं चाय भी कड़वी पीता हूँ !

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