100+ Maut Shayari: Explore a collection of poignant and thought-provoking verses that delve into the enigma of death. These Shayari pieces offer deep insights into the inevitability of mortality, reminding us to cherish life’s fleeting moments and ponder the mysteries of what lies beyond.
जिन्दगी कशमकश-ए-इश्क के आगाज का नाम,
मौत अंजाम इसी दर्द के अफसाने का
जब जान प्यारी थी तब दुश्मन हजार थे,
अब मरने का शौक है तो कातिल नहीं मिलते।
मेरी ज़िन्दगी तो गुजरी तेरे हिज्र के सहारे,
मेरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना।
Maut Shayari in Hindi
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जायेंगे,
सब रिश्ते इस जमीन के तोड़ जायेंगे,
जितना जी चाहे सता लो मुझको,
एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे।
तुम मेरी कब्र पे रोने मत आना,
मुझसे प्यार था ये कहने मत आना,
दर्द दो मुझे जब तक दुनिया में हूँ,
जब सो जाऊं तो मुझे जगाने मत आना।
यूँ तो हादसों में गुजरी है हमारी ज़िन्दगी,
हादसा ये भी कम नहीं कि हमें मौत न मिली।
ले रहा है तू खुदाया इम्तेहाँ दर इम्तेहाँ,
पर स्याही ज़िन्दगी की खत्म क्यूँ होती नहीं।
तसव्वुर में न जाने कातिबे-तकदीर क्या था,
मेरा अंजाम लिखा है मेरे आगाज से पहले।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे,
काश एक वादा ही उसने निभाया होता,
मौत का किसको पता कि कब आएगी,
पर काश उसने ज़िन्दा जलाया न होता।
किसी दिन तेरी नजरों से दूर हो जायेंगे हम,
दूर फिजाओं में कहीं खो जायेंगे हम,
मेरी यादों से लिपट कर रोने लगोगे,
जब ज़मीन को ओढ़ कर सो जायेंगे हम।
तमाम उम्र जो हमसे बेरुखी की सबने,
कफ़न में हम भी अजीज़ों से मुँह छुपा के चले।
लम्बी उम्र की दुआ मेरे लिए न माँग,
ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और मौत भी न आये।
वही तफरीक का आलम है बाद-ए-मर्ग भी यारों,
न कतबे एक जैसे हैं, न कब्रें एक जैसी हैं।
किससे महरूम-ए-किस्मत की शिकायत कीजे,
हमने चाहा था कि मर जायें सो वो भी नहीं हुआ।
ऐ हिज्र वक़्त टल नहीं सकता है मौत का,
लेकिन ये देखना है कि मिट्टी कहाँ की है।
अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं,
रोज इक मौत नए तर्ज़ की ईजाद करे।
ऐ अज़ल तुझसे यह कैसी नादानी हुई,
फूल वो तोड़ा चमन भर में वीरानी हुई।
आखिरी दीदार कर लो खोल कर मेरा कफ़न,
अब ना शरमाओ कि चश्म-ए-मुन्तजिर बेनूर है।
तमाम गिले-शिकवे भुला कर सोया करो यारो,
सुना है मौत किसी को कोई मोहलत नहीं देती।
तुम्हारा दबदबा खाली तुम्हारी ज़िन्दगी तक है,
किसी की क़ब्र के अन्दर जमींदारी नहीं चलती।
मिल जाएँगे कुछ हमारी भी तारीफ़ करने वाले,
कोई हमारी मौत की अफवाह तो उड़ाओ यारों।
अब तलक हम मुन्तजिर रहे हैं जिनके,
उनको हमारा ख्याल तक न आया,
उनके प्यार में हमारी जान तक चली गयी,
उनको हमारी मौत का मलाल तक न आया।
लम्हा-लम्हा साँसें खत्म हो रही हैं,
ज़िन्दगी मौत के आगोश में सो रही है,
उस बेवफा से न पूछो मेरी मौत के वजह,
वही तो कातिल है दिखाने को रो रही है।
वादे भी उसने क्या खूब निभाए हैं,
ज़ख्म और दर्द तोहफे में भिजवाए हैं,
इस से बढ़कर वफ़ा कि मिसाल क्या होगी,
मौत से पहले मेरा कफ़न ले आये हैं।
Maut Status
चले आओ मुसाफिर
आखिरी साँसें बची हैं कुछ,
तुम्हारी दीद हो जाती तो
खुल जातीं मेरे आँखें।
ऐ मौत ठहर जा तू जरा
मुझे यार का इंतज़ार है,
आएगा वो जरूर अगर
उसे मुझसे सच्चा प्यार है।
अज़ल को दोष दें,
तकदीर को रोयें, मुझे कोसें,
मेरे कातिल का चर्चा क्यों है
मेरे सोगवारों में।
कितना और दर्द देगा बस इतना बता दे,
ऐसा कर ऐ खुदा मेरी हस्ती मिटा दे,
यूँ घुट-घुट के जीने से तो मौत बेहतर है,
मैं कभी न जागूं मुझे ऐसी नींद सुला दे।
मोहब्बत के नाम पे दीवाने चले आते हैं,
शमा के पीछे परवाने चले आते हैं,
तुम्हें याद आये तो चले आना मेरी मौत पर,
उस दिन तो बेगाने भी चले आते हैं।
जला है जिस्म तो दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है?
कितनी अज़ीयत है इस एहसास में,
कि मुझे तुझसे मिले बिना ही मर जाना है।
हर एक साँस का तू एहतराम कर वरना,
वो जब भी चाहे, जहाँ चाहे, आखिरी कर दे।
कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे खत्म हो,
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते बजाते।
जरा चुपचाप तो बैठो कि दम आराम से निकले,
इधर हम हिचकी लेते हैं उधर तुम रोने लगते हो।
खबर सुनकर मरने की वो बोले रक़ीबों से,
खुदा बख्शे बहुत-सी खूबियां थीं मरने वाले में।
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ मौत भी कोई चीज़ है,
ज़िन्दगी वो थी जो उसकी महफ़िल में गुज़ार आए।
बढ़ जाती है मेरी मौत की तारीख खुद ब खुद आगे,
जब भी कोई तेरी सलामती की खबर ले आता है।
चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
ज़िन्दगी तो वीरान थी मौत भी गुमनाम ना हो,
मुझे गले लगा लो फिर चाहे मौत हजार दे दो।
कितना दर्द है दिल में दिखाया नहीं जाता,
किसी की बर्बादी का किस्सा सुनाया नहीं जाता,
एक बार जी भर के देख लो इस चहेरे को,
क्योंकि बार बार कफ़न उठाया नहीं जाता।
दो गज़ ज़मीन सही मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया।
ऐ मौत तुझे एक दिन आना है भले,
आ जाती शबे फुरकत में तो अहसां होता।
ऐ मौत तुझे एक दिन आना है भले,
आ जाती शबे फुरकत में तो अहसां होता।
वो कर नहीं रहे थे मेरी बात का यकीन,
फिर यूँ हुआ के मर के दिखाना पड़ा मुझे।
तू बदनाम ना हो इसलिए जी रहा हूँ मैं,
वरना मरने का इरादा तो रोज होता है।
हमारे प्यार का यूँ इम्तिहान न लो,
करके बेरुखी मेरी तुम जान न लो,
एक इशारा कर दो हम खुद मर जाएंगे,
हमारी मौत का खुद पे इल्ज़ाम न लो।
अगर कल फुर्सत न मिली तो क्या होगा,
इतनी मोहलत ही न मिली तो क्या होगा,
रोज़ कहते हो कल मिलेंगे कल मिलेंगे,
कल मेरी आँख ही न खुली तो क्या होगा।
अब मौत से कह दो कि नाराजगी खत्म कर ले,
वो बदल गया है जिसके लिए हम ज़िंदा थे।
इस मरहले को भी मौत ही कहते हैं,
जहाँ एक पल में टूट जाये उम्र भर का साथ।
उम्र तमाम बहार की उम्मीद में गुजर गयी,
बहार आई है तो मौत का पैगाम लाई है।
बादे-फना फिजूल है नामोनिशां की फिक्र,
जब हम नहीं रहे तो रहेगा मज़ार क्या?
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे,
मर के भी चैन न पाया तो किधर जायेंगे।
साँसों के सिलसिले को न दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी मर जाते हैं कुछ लोग।
तेरी ही जुस्तजू में जी लिया इक ज़िन्दगी मैंने,
गले मुझको लगाकर खत्म साँसों का सफ़र कर दे।
आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई,
आँसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई,
आ रही है जिस्म की दीवार गिरने की सदा,
एक अजब ख्वाहिश थी जो अबके बरस पूरी हुई।
मौत-ओ-हस्ती की कशमकश में कटी उम्र तमाम,
गम ने जीने न दिया शौक ने मरने न दिया।
वादा करके और भी आफ़त में डाला आपने,
ज़िन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया।
तुम समझते हो कि जीने की तलब है मुझको,
मैं तो इस आस में ज़िंदा हूँ कि मरना कब है।
न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके-कब्र ज़ालिम,
यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी।
प्यार में सब कुछ भुलाए बैठे हैं,
चिराग यादों के जलाये बैठे है,
हम तो मरेंगे उनकी ही बाहों में,
ये मौत से शर्त लगाये बैठे हैं|
हुआ जब मोहब्बत का एहसास उन्हें,
आकर वो पास सारा दिन रोते रहे,
हम भी निकले खुदगर्ज़ इतने यारो,
कफ़न में आँखें बंद करके सोते रहे।
मिट्टी मेरी कब्र से उठा रहा है कोई,
मरने के बाद भी याद आ रहा है कोई,
कुछ पल की मोहलत और दे दे ऐ खुदा,
उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई।
कितना दिल-फरेब होगा वो मेरी मौत का मंजर,
मुझे ठुकराने वाले मेरे लिए आँसू बहायेंगे।
Death Shayari in Hindi
उनके साथ जीने का एक मौका दे दे ऐ खुदा,
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे।
मौत से क्यों इतनी दहशते-जान है अजीज,
मौत आने के लिए है, जान जाने के लिए है।
ओढ़ कर मिट्टी की चादर बेनिशान हो जायेंगे,
एक दिन आएगा हम भी दास्ताँ हो जायेंगे।
ये जमीं जब खून से तर हो गई है,
ज़िन्दगी कहते हैं बेहतर हो गई है,
हाथ पर मत खींच बेमतलब लकीरें,
मौत हर पल अब मुक़द्दर हो गई है।
हम अपनी मौत खुद मर जायेंगे सनम,
आप अपने सर पर क्यूँ इलज़ाम लेते हो,
जालिम है दुनिया जीने न देगी आपको,
आप क्यूँ अपनी जुबां से मेरा नाम लेते हो।
मुझे रुला कर सोना तो तुम्हारी आदत बन गई है,
अगर मेरी आँख न खुली तो तुम तड़पोगे बहुत।
कोई नहीं आएगा मेरी जिदंगी में तुम्हारे सिवा,
बस एक मौत ही है जिसका मैं वादा नहीं करता।
ऐ मौत तुझे भी गले लगा लूँगा जरा ठहर जा,
अभी है आरज़ू सनम से लिपट जाने की।
जनाजा रोक कर मेरा वो इस अंदाज से बोले,
गली हमने कही थी तुम तो दुनिया छोड़े जाते हो।
मोहब्बत मुझे थी बस तुम्हीं से सनम,
यादों में तुम्हारी यह दिल तड़पता रहा,
मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी,
कब्र में भी यह दिल धड़कता रहा।
ढूढ़ोगे कहाँ मुझको मेरा पता लेते जाओ,
एक कब्र नई होगी एक जलता दिया होगा।।
ज़िन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पे फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
सौ ज़िन्दगी निसार करूँ मैं ऐसी मौत पर,
यूँ रोये ज़ार-ज़ार तू अहले-अज़ा के साथ।
मैं जो चाहूँ तो अभी तोड़ लूँ नाता तुम से,
पर बुजदिल हूँ मुझे मौत से डर लगता है।
मेरी ज़िन्दगी तो गुजरी तेरे हिज्र के सहारे,
मेरी मौत को भी कोई बहाना चाहिए।