100+ Khafa Shayari in Hindi


Khafa Shayari, an artful expression of emotions in poetic form, encapsulates the essence of feeling neglected or hurt in relationships. With just a few verses, it paints a vivid picture of the pain of being ignored or distant from a loved one. The eloquent words reflect the turbulence of emotions, the longing for reconciliation, and the bittersweet ache of unrequited love. In 100+ Khafa Shayari, hearts pour out their grievances, seeking solace in the beauty of melancholic verse. Through this profound poetry, one finds a voice to articulate the complexities of human emotions and experiences, resonating with those who have felt the sting of being uncherished, yet yearning for understanding and acceptance.

Khafa Shayari

Khafa Shayari

मुह माेड़ लिया उन्होने हमे देख कर

लगता है खफा हैं, अब मान भी जाओ

तुम दूर हो हमसे, इससे बड़ी क्या सजा है

क्या हुयी खता जो, खफा हो

देदो सजा हमे अगर हुई कोई गुनाह हो

मत हो खफा हमसे ए सनम

हम लड़ते है तुमसे झगड़ते है

पर प्यार तुम्ही से करते है

नज़रे फेर लेते है वो हमसे जाने क्यो

खता क्या हो गयी जो खफा है

पहले ता हम उनके आँखो में बसा करते थे

आज नज़र के सामने भी नही आने देते

लगे ऐसा जान तेरा हमसे खफा हो जाना

जैसे सूरज से उसकी रोसनी चली गयी हो

चोट दिल पे लगी जब वो खफा हुये

एहसास तब हुआ जब वो जुदा हुये

हक है तूझे हमस रूठने की

पर वजह तो बताया करो

यूँ ना हमसे बार बार मुह फूलाया करो

Khafa Shayari

खपा क्यो हो वजह बता दो

खता क्या हुयी बता दो।

क्यो नजरे फेर लेते हो खफा हो क्या

दूर दूर रहते कोइ वजह है क्या

खफा हो ठीक है

पर कभी जुदा न होना

जो भी मिला वो हम से खफा मिला 

देखो हमे मोहब्बत का क्या सिला मिला,

उम्र भर रही फ़क़त वफ़ा की तलाश हमे 

पर हर शख्स मुझ को ही क्यों बेवफा मिला.

खफा नहीं हूँ
तुझसे ए जिंदगी,
बस जरा दिल लगा बैठा हूँ
इन उदासियों से.।

Khafa Shayari

इस तरह मेरी मोहब्बत का इम्तेहान न लीजिये,
खफा हो क्यूँ मुझ से यह बता तो दीजिये,
माफ़ कर दो अगर हो गयी हो हमसे कोई खता,
पर याद न करके हमें यूँ सजा तो न दीजिये।

रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर,
क्या खबर थी वो इतना खफा हो जाएगा।

वो आए थे मेरा दुख-दर्द बाँटने के लिए,
मुझे खुश देखा तो खफा होकर चल दिये।

किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,
तू मुझ से खफा है, तो जमाने के लिए आ.

तू छोड़ गयी अकेला तुझसे क्या खफा होना,
खुदा ने ही लिखा था तुझसे जुदा होना।

इतना तो बता जाओ खफा होने से पहले,
वो क्या करें जो तुम से खफा हो नहीं सकते।

Khafa Shayari

नाराज क्यों हो हमसे किस बात पे हो रूठे,
अच्छा चलो ये माना तुम सच्चे हम झुठे,
कब तक छुपाओगे तुम हमसे हो प्यार करते,
गुस्से का है बहाना दिल में हो हम पे मारते।

जो भी मिला वो हम से खफा मिला
देखो हमे मोहब्बत का क्या सिला मिला,
उम्र भर रही फ़क़त वफ़ा की तलाश हमे
पर हर शख्स मुझ को ही क्यों बेवफा मिला.

उनसे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन,
कि उनके मनाने का अंदाज़ कैसा है।

अजीब शख्स है भेद ही ना खुलते उसके,
जब भी देखूं तो दुनिया से खफा ही देखूं।

कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते
टूट जाया करते हैं,
दिल भर जाता है तो
लोग रूठ जाया करते हैं।

थोड़ी ही सही मगर बाते तो किया करो,
चुपचाप रहते हो तो खफा से लगती हो।

क्यों वो रूठे इस कदर के मनाया न गया,
दूर इतने हो गए के पास बुलाया न गया,
दिल तो दिल था कोई समंदर का साहिल नहीं,
लिख दिया नाम वो फिर मिटाया न गया।

तुम खफा हो गए तो कोई खुशी न रहेगी,
तुम्हारे बिना चिरागों में रौशनी न रहेगी,
क्या कहें क्या गुजरेगी दिल पर,
जिंदा तो रहेंगी पर ज़िन्दगी न रहेगी।

तोड़कर अहदे-करम न आशना हो जाइये,
बंदापरवर जाइये अच्छा खफा हो जाइये.

तुम हसते हो मुझे हँसाने के लिए,
तुम रोते हो मुझे रुलाने के लिए,
तुम एक बार खफा होकर तो देखो,
मर जायेंगे तुम्हें मानाने के लिए।

आग दिल मे लगी जब वो खफा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
कर के वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए.

Khafa Shayari

मुझे न सताओ इतना कि
मैं खफा हो जाऊं तुमसे,
मुझे अच्छा नहीं लगता
अपनी सासों से जुदा होना।

रुठने का हक हैं तुझे,
पर वजह बताया कर,
खफा होना गलत नहीं,
तू खता बताया कर.

परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे,
बस इतनी सी दुआ है की आप मेहरबां रहे.

दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया,
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया,
हमसे तू नाराज है किस लिए बता जरा,
हमने कभी तुझे खफा तो नहीं किया।

हर एक शख्स खफा मुझसे अंजुमन में था,
क्योंकि मेरे लब पे वही था जो मेरे मन में था.

उस से खफा होकर भी देखेंगे एक दिन,
के उसके मानाने का अंदाज़ कैसा है।

हक़ हूँ में तेरा हक़ जताया कर,
यूँ खफा होकर ना सताया कर.

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