100+ Judai Shayari is a poignant collection of verses that beautifully capture the pain of separation and longing. These Shayaris delve deep into the bittersweet emotions experienced when two souls part ways. Each line expresses the void left behind, the memories that linger, and the yearning for a reunion that seems elusive. With heartfelt metaphors and evocative language, these poems reflect the universal human experience of missing someone dearly. Whether it’s a lover’s farewell, a friend’s departure, or the distance from a loved one, this compilation resonates with anyone who has tasted the bitterness of farewell.
Through the art of poetry, these Shayaris offer solace to those navigating the complexities of heartache and hold a mirror to the eternal essence of love and loss.
Judai Shayari
तुझे चाहा तो बहुत इजहार न कर सके
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके
तूने माँगा भी तो अपनी जुदाई माँगी
और हम थे कि तुझे इंकार न कर सके
मुस्कुराने कि आदत भी कितनी महेंगी पड़ी हमे
छोड़ गया वो ये सोच कर कि हम जुदाई में खुश हैं
हर एक बात पर वक़्त का तकाजा हुआ
हर एक याद पर दिल का दर्द ताजा हुआ
सुना करते थे ग़ज़लों में जुदाई की बातें
खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ
जिसकी आँखों में काटी थी सदियाँ
उसने सदियों की जुदाई दी है
वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है
कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है
जो मुझे तुझसे जुदा करती है
हाथ की उस लकीर से डर लगता हैl
बेवफा वक़्त था, तुम थे या मुकद्दर था मेरा
बात इतनी ही है की अंजाम जुदाई निकला
इन दूरियों को जुदाई मत कहना
इन खामोशियों को रुसवाई मत कहना
हर मोड़ पर याद करेंगे आपको
ज़िन्दगी में साथ नहीं दिया तो बेवफाई मत कहना
ऐ चाँद चला जा क्यो आया है मेरी चौखट पे
छोड़ गया वो शख्स जिसके धोखे में हम तुझे देखते थे
याद में तेरी आहें भरता है कोई
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई
मौत तो ऐसी चीज़ है जिसको आना ही है
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज मरता है कोई
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने
ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह
किसी को प्यार इतना देना कि हद न रहे
पर ऐतबार भी इतना रखना कि शक न रहे
वफ़ा इतनी करना कि बेवफाई न हो
और दुआ बस इतनी करना की जुदाई न हो
ना जाने मेरी मौत कैसी होगी
पर ये तो तय है तेरी जुदाई से बेहतर होंगी
अगर ज़िन्दगी में जुदाई न होती
तो कभी किसी कि याद आयी न होती
साथ ही गुजरता हर लम्हा तो
शायद रिश्तो में ये गहराई न होती
मुमकिन फैसलों में एक हिज्र का फैसला भी था
हम ने तो एक बात की उसने कमाल कर दिया
एक उम्र भर की जुदाई मेरे नसीब करके
वो तो चला गया है बातें अजीब करके
तर्ज़-ए-वफ़ा को उनकी क्या नाम दूँ मैं अब
खुद दूर हो गया है मुझको करीब करके
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है
आओ किसी रोज मुझे टूट के बिखरता देखो
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो
किस किस अदा से तुझे मागा है खुदा से
आओ कभी मुझे सजदो में सिसकता देखो
अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चिराग
इनसे कब हिज्र कि रातों में उजाला होगा
आप तो चले जाओगे मगर कैसे जिएंगे हम
आपकी जुदाई का जहर कैसे पियेंगे हम
आप भले ही भुला देना मुझको मगर
न भूले से भी कभी अपने ग़म सियेंगे हम
खुदा करे के तेरी उम्र में गिने जायें
वो दिन जो हमने तेरे हिज्र में गुजारे हैं
इस बे-फरेब प्यार के रस्ते में चन्द रोज
अगर हम तुम्हारे साथ रहे भी तो क्या रहे
कुछ ऐसे मोड़ आये मोहब्बत की राह में
हम बदनसीब मिलके भी तुमसे जुदा रहे
थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब
चाँद की जुदाई में आसमा भी तड़प गया
उसकी एक झलक पाने को हर सितारा तरस गया
बादल के दर्द को क्या कहूँ
चाँद की याद में वो हसते हसते बरस गया
जाने वाले एक बात तो बता
क्या हम कभी याद भी आयेंगें
दर्द-ए-जुदाई सहने कि आदत सी हो गयी
ग़म न किसी से कहने कि आदत सी हो गयी
होकर जुदा भी यार ने ले लिया जीने का वादा
रोते हुए भी जिन्दा रहने की आदत सी हो गई
मेरी जुदाई में वो मिलकर नहीं गया
उसके बगैर मैं भी कोई मर नहीं गया
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
जुदाई इश्क़ का दस्तूर क्यूँ है हम नहीं समझे
मोहब्बत इस क़दर मजबूर क्यूँ है हम नहीं समझे
किसी लिबास की ख़ुशबू जब उड़ के आती है
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है
तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है
मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है
सफर-ए-मोहब्बत अब खत्म ही समझिए साहब
उनके रवैये से अब जुदाई की महक आने लगी है
आपकी जुदाई भी हमें प्यार करती हैं
आपकी याद बहुत बेकरार करती हैं
जाते जाते कहीं भी मुलाकात हो जाये आप से
तलाश आपको ये नज़र बार बार करती हैं
ओ जाने वाले तुम्हें क्या ख़बर है
उधर तुम जा रहे इधर जान जा रही
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर
हम उसे अपनी खता कहते हैं
वो तो साँसों में बसी है मेरे
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं
होता ही यही है, जो दिल को भाता है
वही अक्सर छोड़ के चला जाता है
तेरी जुदाई भी हमें प्यार करती है
तेरी याद बहुत बेकरार करती है
वह दिन जो तेरे साथ गुज़ारे थे
नज़रें तलाश उनको बार-बार करती हैं
तेरे दर्द का यूँ असर हो रहा है
जुदाई में सारा शहर रो रहा है
वो जिस्म और जान जुदा हो गए आज
वो मेहेंदी के रंग में खो गए आज
हमने चाहा जिन्हें शिद्दत से
वो उम्र भर को किसी और के हो गए आज