Fear Shayari in Hindi explores the complex emotions surrounding fear and anxiety, offering a poetic insight into the human psyche. These verses delve into the various aspects of fear, be it the fear of the unknown, the fear of failure, or the fear of losing someone dear. The Shayaris evoke empathy and understanding for those grappling with their fears, encouraging them to confront and overcome their inner demons.
Through metaphors and vivid imagery, Fear Shayari captures the crippling effects of fear on one’s mind and heart. It reminds readers that fear is a universal emotion and that it’s okay to experience it. The Shayaris also emphasize the importance of resilience and courage, motivating individuals to rise above their fears and face life’s challenges head-on.
Fear Shayari
डर तो इंसान का वहम है,
जो उसे यूँ ही लग जाता।
तब तक है लगता रहता,
जब तक इंसान सहमता रहता.
जिनकी बातों में बड़ा मिठास होता है,
जिनपर दिल को बड़ा विश्वास होता है,
ऐसे लोगो से थोड़ा डर कर रहना
क्योंकि वो हर किसी का खास होता है.
अजीब कहानी है इश्क और मोहब्बत की,
उसे पाया ही नहीं फिर भी खोने सेडरता हूँ…
पता है कि आज भी वो हमे ही चाहते होंगे,
फिर भी ना जाने क्यू उन्हें खोने का डर नहीं जाता.
सुनो जिसका डर था वही हुआ,
बेपनाह मोहब्बत हो गयी न तुमसे।
डट कर खड़े होने से डर नहीं लगता,
जिद पे अड़े होने से डर नहीं लगता.
डर का लगना कमज़ोर दिमाग की पहचान है,
स्थिर दिमाग में डर का ना कोई नामोनिशान है .
डर महज दिमाग के अंदर है,
उससे बाहर जो निकला वो सिकंदर है.
तुमको पाने की तमन्ना नहीं फिर भी खोने का डर है,
कितनी शिद्दत से देखो मैनें तुमसे मोहब्बत की है।
डर मन की मजबूती के सामने कभी नहीं टिकता.
इस दौर में आदमी को आदमी से डर,
क्योंकि आदमी ही जलाता है आदमी का घर.
मुझे सिर्फ दो चीजों से डर लगता है,
तेरे रोने से और तुझे खोने से..
किसी को डर है इंसान का,
तो किसी को हैवान का.
कोई इससे नहीं बचता.
डर थोडा-थोडा सबको लगता.
डर मुझे भी लगा फ़ासला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई
मेरी मंजिल मेरा हौसला देख कर.।
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,
जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं.
डर से पार पाने के लिए,
डर के पार जाना पड़ता है।
तुमसे मोहब्बत करने से डर लगता है
तुम्हारे करीब आने से डर लगता है,
तुम्हारी वफाओं पर भरोसा है
पर अपनी नसीब से डर लगता है.
डर का उन पर जोर है,
जिनके Negativity चारो ओर है.
कोई भी डर से पार पा सकता ,
अगर मन में अच्छे ख्याल ला सकता.
जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का,
वो क्या अफ़सोस करता मेरे न होने का.
तिनका -सा मैं और समंदर-सा इश्क,
डूबने का डर और डूबना ही इश्क.
डर का एहसास मर जाता है,
जब दिल में कोई और घर कर जाता है.
इंसान का दिमाग ही उसे डराता,
और वो ही डर से ऊपर उठाता .
जो अपना मन मजबूत कर लेता,
उसे कभी कोई डर नहीं डराता.।
जिसने डर को अपने मन में पाल रखा है,
उसने अपने कमजोर कंधो पर इक दुनिया सम्भाल रखा है.
जितना डरोगे उतना ही डराएगी दुनिया,
जितना करोगे परवाह उनकी,
उतना ही सताएगी दुनिया.
वफ़ा की ज़ंजीर से डर लगता है,
कुछ अपनी तकदीर से डर लगता है,
जो मुझे तुझसे जुदा करती है
हाथ की उस लकीर से डर लगता है.।
इंसान का दिमाग आसानी से डर जाता,
कोई भी हो Negative Thought जल्दी से घर कर जाता .
डर होना चाहिए और दिल में होना चाहिए,
पर वो दिल अपना नहीं सामने वाले का होना चाहिए.
डर का वजूद तब तक है
जब तक आपके अन्दर.कमजोरियों का वजूद है