100+ Book Shayari in Hindi

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Book Shayari

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले.।

किताब -ए-दिल का कोई भी पन्ना सादा नहीं होता,
निगाह उस को भी पढ़ लेती है, जो लिखा नहीं होता.

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

किताब को खोलने से डर लगता है,
अब तो मुझे सच बोलने से डर लगता है.

आ बैठ मेरे संग, तुझ पर भी मोहब्बत का नकाब रख दूँ,
दो शब्द क्या, तेरे इश्क में पूरी किताब लिख दूँ.

अधूरी शाम का अधूरा किस्सा हूँ मैं,
जो पढ़ा न गया किताब को वो हिस्सा हूँ मैं.

मोहब्बत ही तो है लोग भूल जाते हैं दिल लगा के बड़े आराम से,
अक्सर हमने देखा है सूखे गुलाब को गिरते हुए किताब से.

मैं अभी भी अक्सर रास्ता भटक जाता हूँ,
किताब के उस पहले पन्ने पर ही अटक जाता हूँ.

किताबों सी हो गई है जिंदगी मेरी,
पढ़ हर कोई रहा है, जिन्दगी मेरी.

पढ़ने का शौक़ीन वो, उसे शोर पसंद नहीं,
किताबों के सिवाय उसे कोई और पसंद नहीं.

किताबों सी हो गई है जिन्दगी हमारी,
पढ़ हर कोई रहा है समझ कोई नहीं रहा.

वफ़ा नजर नहीं आती कहीं ज़माने में,
वफा का जिक्र किताबों में देख लेते हैं.

लफ़्ज…अल्फ़ाज… कागज या किताब,
कहाँ-कहाँ रखे हम… यादों का हिसाब.

इस मोहब्बत की किताब के दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए, कुछ हम जैसे बर्बाद हुए.

आज कल की लड़कियां अंग्रेजी की किताब हो जाती है,
पसंद तो बहुत आती है, पर समझ में नहीं आती है

लम्हों की खुली किताब है जिन्दगी,
ख्यालों और साँसों का हिसाब है जिन्दगी,
कुछ जरूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी
इन्हीं सवालों के जवाब है जिन्दगी.

काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बेपढ़े, लिखे मशहूर हो गया

दिल की किताब में गुलाब उनका था,
रात के नींद में ख्वाब उनका था,
कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा
मरे जायेंगे तुम्हारे बिना यह जवाब उनका था.

मैं भी हो गयी हूँ बिल्कुल किताबों सी अब,
शब्दों से भरी पड़ी पर बिल्कुल ख़ामोश सी अब.

इश्क की किताब का ऊसूल है जनाब,
मुड़ कर देखोगे… तो मोहब्बत मानी जायेगी।

किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश

पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में
नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आंसू पूरी किताब है.

बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो
ऐ काश हमारी आँखों का इक्कीसवाँ ख़्वाब तो अच्छा हो

किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के

कुछ लोगों की मोहब्बत भी सरकारी होती है,
न तो फाइल आगे बढती है, न ही मामला बंद होता है.

जिन्दगी की रीत के बारें में कोई जान न सका,
इसकी सच्चाई को कोई पहचान न सका
किताबों में कई किस्से दफन है लेकिन
पर हकीकत में हकीकत कोई जान न सका.।

किताब और समाज में ज्यादा फर्क नहीं,
किताब बताती है, समाज सिखाती है.

किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी खुदा ने,
बस वही पन्ना गम था जिसमें इश्क़ का जिक्र था.

जिन्दगी की किताब कई पन्नों से पूरी है,
पर कुछ कहानियाँ है, जो लफ्जों में भी अधूरी है.

कुछ कहानियों की कोई किताब नहीं होती पर,
मशहूर जमाने भर में होती है.

आज वो कोने में पड़ी किताब फिर से उठा ली मैंने,
जिसमें कभी कुछ ख्वाब दबा के रखे थे,
जी लिया उन ख़्वाबों को फिर से ख्वाब में ही
वो ख्वाब भी तो बेचारे बेकार से पड़े थे.।

जिन्दगी के जज्बातों को लिखों इस कदर,
हर दूकान में तुम्हारे किताब आये नजर.

यूँ ही नहीं जिंदगी के किताब को सबके सामने खोलता हूँ,
हार हो या जीत हर खेल को बड़ी शिद्दत से खेलता हूँ.

वो खुली किताब थी,
मैंने उसे पूरे दिल से पढ़ा था,
पर जब वो बेवफा निकली
तो लगा दोस्तों ने सच कहा था.

बहती हुई ज्ञान की धारा है किताब,
जिज्ञासा की तृप्ति का सहारा है किताब.

खुद ही पलट लेता हूँ…
किताबे-जिन्दगी के पन्ने
वो लोग अब कहाँ…
जो मुझमें, मुझे तलाशते थे.

यकीन ना हो तो पूछलो मेरे कमरे की दीवारों से,
अपनी किताबों से मैं बस तेरा ही जिक्र करता हूँ.

किसी गुलाब के किस्मत में होता है,
ताउम्र किताब की बाहों में सोता है.

कोई मेरी जिन्दगी की किताब को पढ़ ले हजार में,
मुझे मंजूर नहीं कि दिल तमाशा बने बाजार में.

कलम है किताब है,
हाथ में एक कप कॉफ़ी है,
माना कि तू नहीं,
पर मेरी जान तेरी याद काफी है.

हिफाजत इश्क़ के तस्वीरों की कुछ पुरानी किताबों ने की थी,
और रद्दी वाला इनके भाव लगा रहा था.

कोई आँखों से पूछ कर देखे
कौन आता है मेरे ख़्वाबों में,
वही चेहरा मेरे दिल में भी है
जिसकी तस्वीर है किताबों में.

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