“Garibi Shayari in Hindi | Reflecting on Poverty Through Poetry” is a carefully curated collection of verses that delve into the poignant realities of poverty. Through evocative Hindi poetry, this anthology sheds light on the struggles, challenges, and resilience of those affected by economic hardship. The shayaris touch upon themes such as inequality, societal disparities, and the enduring spirit of those facing financial adversity. Each verse serves as a poignant reminder of the stark realities faced by millions, prompting readers to contemplate the systemic issues surrounding poverty. “Garibi Shayari in Hindi” invites readers to empathize with the experiences of those living in poverty, offering a platform for reflection and a call to action for positive change.
Garibi Shayari
छीन लेता है हर चीज मुझसे ऐ खुदा,
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है !
अमीरी का हिसाब तो दिल देख के किजिए साहब,
वर्ना गरीबी तो कपडों से ही झलक जाती है !
किस्मत को खराब बोलने वालों,
कभी किसी गरीब के पास बैठकर,
पूछना जिंदगी क्या है !
ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,
गरीबों को गरीब अमीरों को माला-माल कर दिया !
मैं क्या मुहब्बत करू किसी से,
मै तो गरीब हूँ
लोग अक्सर बिकते हैं और,
खरीदना मेरे बस में नहीं !
दिल को बड़ा सुकून आता है,
किसी गरीब की सहायता करने,
पर जब वह मुस्कुराता है !
बड़ी बेशरम होती है ये गरीबी,
कमबख्त उम्र का भी,
लिहाज नहीं करती !
आज तक बस एक ही बात समझ नहीं आती,
जो लोग गरीबों के हक के लिए लड़ते हैं,
वो कुछ वक्त के बाद अमीर कैसे बन जाते हैं !
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है !
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना,
हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरो के इलाज के खातिर !
सुक्र है की मौत सबको आती है,
वरना अमीर इस बात का भी,
मजाक उड़ाते कि गरीब था
इसलिए मर गया !
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है !
खुले आकाश के नीचे,
भी अच्छी नींद पा लेते है,
गरीब थोड़ी सब्जी में,
भी चार रोटी खा लेते हैं !
परिस्थिति है ये मेरी विचार नहीं,
गरीब जरूर हूँ मैं साहब लाचार नहीं !
साथ सभी ने छोड़ दिया,
लेकिन ऐ-गरीबी,
तू इतनी वफादार कैसे निकली !
गरीबी मिटाने का हैं बस एक ही तरीका,
पढ़ाई करो और बदलो अपना सलीका !
किसी गरीब को देखकर मुह मत,
फेरना साहब क्योकि उसे भी उसी ने,
बनाया है जिसने आपको अमीर बनाया है !
बहुत अमीर है उसका नया दोस्त,
उसने मेरी मोहब्बत भी खरीद ली !!
मुफ्त में तो बस गरीबी आती है,
बाकी सब तो रईसी,
से खरीदी जा सकती है !
हजारों दोस्त बन जाते हैं जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में जो रिश्ता खास होता है !
सबसे बड़ा गरीब वो है,
जो रूपये होते हुए भी,
किसी की मदद ना करे !
अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है,
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं !
Garibi Line Shayari
खुदा के दिल को भी सुकून आता होगा,
जब कोई गरीब चेहरा मुस्कुराता होगा !
जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को,
ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाजा भी दे !
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है,
वो मजदूर जो शहर में ऊँची इमारते बनाता है !
गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में,
तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बाजारों में !
यहाँ तो गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी है,
कि कहीं कफन महंगा ना हो जाए !
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं !
उन घरों में जहाँ मिटटी के घड़े रहते है,
कद में छोटे मगर लोग बड़े रहते हैं !
ये गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब तो सड़कों से थैलीयाँ तक उठा लेते हैं !
सुबह से रात हो गई कतार बहुत लम्बी थी,
ये दो वक्त की रोटी आज फिर मेरा,
अधूरा ख्वाब हो गई !
नन्हें बच्चों के सवालात से डर जाता हूँ
जेब खाली हो तो मैं देर से घर जाता हूँ !
शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है,
वो मजदूर जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है !
उन घरो में जहाँ मिट्टी कि घड़े रखते हैं,
कद में छोटे मगर लोग बड़े रखते हैं !
कभी आंसू तो कभी खुशी बेची,
हम गरीबो ने बेकसी बेची,
चंद सासे खरीदने के लिए
रोज थोड़ी सी जिंदगी बेची !
चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने,
सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया !
यूँ तो खिलाफत के कोई भी फिलाफ नही है,
फिर क्यों गरीबी के बदन पर लिहाफ नही है !
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं !